कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष के निशाने पर सरकार, राहुल गांधी ने कहा, 'मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने मित्रों का व्यापार'

लोकसभा में तीनों विधेयक पास होने के साथ ही सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। सड़क से लेकर संसद तक हंगामे के बीच विपक्षी नेता इन कृषि विधेयकों को लेकर सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठा रहे हैं।

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कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष के निशाने पर सरकार, राहुल गांधी ने कहा, मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने मित्रों का व्यापारकृषि बिल पर हंगामा करते किसान। फोटो साभार : पीटीआई

देश में कृषि से जुड़े तीनों विधेयकों के लोकसभा में पास होने के साथ हर ओर विरोध के स्वर और तेज हो गए हैं। एक तरफ जहाँ किसान इन तीनों विधेयकों को लेकर हंगामा कर रहे हैं, दूसरी तरफ देश की राजनीति भी गरमा गई है। इन विधेयकों को लेकर विपक्षी नेता सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।

इससे पहले बिल पास होने के विरोध में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता और केंद्रीय खाद्य संस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया था और इन विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया था। इसके अलावा पंजाब में फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के विधायक कुलजीत सिंह नागरा ने भी इन विधेयकों को लेकर अपना इस्तीफा दे दिया है।

इन कृषि विधेयकों पर क्यों मचा है हंगामा, क्यों विपक्षी पार्टियाँ इन विधेयकों को किसान विरोधी बता रही हैं, सरकार के खिलाफ क्या कह रहे हैं विपक्षी नेता, आइये डालते हैं एक नजर ...

देश की सबसे प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन कृषि विधेयकों को जमींदारी का नया रूप बताया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था, लेकिन मोदी सरकार के 'काले' क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं। ये 'ज़मींदारी' का नया रूप है और मोदी जी के कुछ 'मित्र' नए भारत के 'ज़मींदार' होंगे। कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी।"

राहुल गांधी ने यह भी कहा, "किसान का मोदी सरकार से विश्वास उठ चुका है क्यूँकि शुरू से मोदी जी की कथनी और करनी में फ़र्क़ रहा है- नोटबंदी, ग़लत GST और डीज़ल पर भारी टैक्स। जागृत किसान जानता है- कृषि विधेयक से मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने 'मित्रों' का व्यापार और करेगी किसान की रोज़ी-रोटी पर वार।"

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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "मजदूर-किसान व कांग्रेस 'संसद से सड़क तक' इन काले कानूनों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष लड़ेंगे। हमारी बुलंद आवाज को बहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता," उन्होंने कहा, "मोदी जी कसम किसानों की खाते हैं और दोस्ती मुट्ठी भर पूंजीपतियों से निभाते हैं!"

वहीं उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी पार्टियों ने इन कृषि विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया है। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने देश के किसानों की शंकाओं को दूर किये बगैर बिल पास किये जाने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया।

मायावती ने ट्वीट कर कहा, "संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।"

दूसरी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीनों बिल को किसान के खिलाफ बड़ी साजिश करार दिया है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, "ये बिल किसान विरोधी और किसानों के खिलाफ एक साजिश है। इन कठिन समय में किसानों ने हमारी अर्थव्यवस्था को बचाया लेकिन अब बड़े उद्योगपति खेती पर नज़र गड़ाए हुए हैं, जो किसानों को मजदूरों की तरह पेश करेंगे।"

अखिलेश यादव ने यह भी कहा, "भाजपा सरकार खेती को अमीरों के हाथों गिरवी रखने के लिए शोषणकारी विधेयक लाई है। ये खेतों की मेड़ तोड़ने का षड्यंत्र है और साथ ही एमएसपी सुनिश्चित करनेवाली मंडियों के धीरे-धीरे खात्मे का भी। भविष्य में किसानों की उपज का उचित दाम भी छिन जाएगा और वो अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर बन जाएँगे।"

वहीं पंजाब के बठिंडा से लोकसभा सांसद और केंद्रीय खाद्य संस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि विधेयकों को लेकर अपना इस्तीफा देने के बाद पहला बयान दिया है।

शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "मैंने कहा कि सरकार को हितधारकों के साथ परामर्श के बाद बिल लाना चाहिए, इसमें राजनीति क्या है? किसान न केवल पंजाब में बल्कि हरियाणा, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र में भी आंदोलन कर रहे हैं। कृषि विधेयकों के खिलाफ दक्षिण भारत में विरोध है।"

कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के विधायक कुलजीत सिंह नागरा ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है।

कुलजीत सिंह नागर ने ट्वीट कर कहा, "भाजपा-अकाली सरकार द्वारा किसान विधेयक पारित किए जाने से गहरा दु:ख हुआ। मैं किसान के समर्थन में विधायक फतेहगढ़ साहिब के रूप में अपना इस्तीफा देता हूं।"

इस मामले में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने कहा, "किसानों की पार्टी के रूप में अकाली दल देश के किसानों के खिलाफ जाने वाली किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं कर सकता, खासतौर पर पंजाब में। इसलिए, हमने आज लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 का विरोध किया।"

इसके अलावा आप पार्टी के सांसद भगवंत मान ने इन बिलों के लोकसभा में पास होने पर इस दिन को काला दिन करार दिया।

भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा, "17 सितंबर को किसानों के लिये काले दिन के तौर पर देखा जायेगा... क्यूँकि इस दिन खेती बिल के ज़रिए किसानों से उनकी ज़मीन व खेती छीनकर पूँजीपतियों को बेच दिया .. प्रधान सेवक ने अपने जन्मदिन पर किसानों के तोहफ़ा दिया।"

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