कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष के निशाने पर सरकार, राहुल गांधी ने कहा, 'मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने मित्रों का व्यापार'
लोकसभा में तीनों विधेयक पास होने के साथ ही सरकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। सड़क से लेकर संसद तक हंगामे के बीच विपक्षी नेता इन कृषि विधेयकों को लेकर सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठा रहे हैं।
गाँव कनेक्शन 18 Sep 2020 2:32 PM GMT
देश में कृषि से जुड़े तीनों विधेयकों के लोकसभा में पास होने के साथ हर ओर विरोध के स्वर और तेज हो गए हैं। एक तरफ जहाँ किसान इन तीनों विधेयकों को लेकर हंगामा कर रहे हैं, दूसरी तरफ देश की राजनीति भी गरमा गई है। इन विधेयकों को लेकर विपक्षी नेता सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
इससे पहले बिल पास होने के विरोध में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता और केंद्रीय खाद्य संस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया था और इन विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया था। इसके अलावा पंजाब में फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के विधायक कुलजीत सिंह नागरा ने भी इन विधेयकों को लेकर अपना इस्तीफा दे दिया है।
इन कृषि विधेयकों पर क्यों मचा है हंगामा, क्यों विपक्षी पार्टियाँ इन विधेयकों को किसान विरोधी बता रही हैं, सरकार के खिलाफ क्या कह रहे हैं विपक्षी नेता, आइये डालते हैं एक नजर ...
देश की सबसे प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन कृषि विधेयकों को जमींदारी का नया रूप बताया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था, लेकिन मोदी सरकार के 'काले' क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं। ये 'ज़मींदारी' का नया रूप है और मोदी जी के कुछ 'मित्र' नए भारत के 'ज़मींदार' होंगे। कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी।"
मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 17, 2020
लेकिन मोदी सरकार के 'काले' क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं।
ये 'ज़मींदारी' का नया रूप है और मोदी जी के कुछ 'मित्र' नए भारत के 'ज़मींदार' होंगे।
कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी।
राहुल गांधी ने यह भी कहा, "किसान का मोदी सरकार से विश्वास उठ चुका है क्यूँकि शुरू से मोदी जी की कथनी और करनी में फ़र्क़ रहा है- नोटबंदी, ग़लत GST और डीज़ल पर भारी टैक्स। जागृत किसान जानता है- कृषि विधेयक से मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने 'मित्रों' का व्यापार और करेगी किसान की रोज़ी-रोटी पर वार।"
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "मजदूर-किसान व कांग्रेस 'संसद से सड़क तक' इन काले कानूनों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष लड़ेंगे। हमारी बुलंद आवाज को बहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता," उन्होंने कहा, "मोदी जी कसम किसानों की खाते हैं और दोस्ती मुट्ठी भर पूंजीपतियों से निभाते हैं!"
मजदूर-किसान व कांग्रेस 'संसद से सड़क तक' इन काले कानूनों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष लड़ेंगे।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 17, 2020
हमारी बुलंद आवाज को बहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता।
मोदी जी के काले कानूनों के खिलाफ किसान व कांग्रेस के मुखर ऐतराज इस प्रकार हैं 👇🏼 pic.twitter.com/JyhwARlpiq
वहीं उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी पार्टियों ने इन कृषि विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया है। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने देश के किसानों की शंकाओं को दूर किये बगैर बिल पास किये जाने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया।
मायावती ने ट्वीट कर कहा, "संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।"
संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।
— Mayawati (@Mayawati) September 18, 2020
दूसरी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीनों बिल को किसान के खिलाफ बड़ी साजिश करार दिया है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, "ये बिल किसान विरोधी और किसानों के खिलाफ एक साजिश है। इन कठिन समय में किसानों ने हमारी अर्थव्यवस्था को बचाया लेकिन अब बड़े उद्योगपति खेती पर नज़र गड़ाए हुए हैं, जो किसानों को मजदूरों की तरह पेश करेंगे।"
These bills are anti-farmer & a conspiracy against farmers. In these difficult times, farmers saved our economy but now big industrialists are eying on farming which will render farmers like labourers: Former CM Akhilesh Yadav on agriculture bills pic.twitter.com/vZe54uq5Tw
— ANI UP (@ANINewsUP) September 18, 2020
अखिलेश यादव ने यह भी कहा, "भाजपा सरकार खेती को अमीरों के हाथों गिरवी रखने के लिए शोषणकारी विधेयक लाई है। ये खेतों की मेड़ तोड़ने का षड्यंत्र है और साथ ही एमएसपी सुनिश्चित करनेवाली मंडियों के धीरे-धीरे खात्मे का भी। भविष्य में किसानों की उपज का उचित दाम भी छिन जाएगा और वो अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर बन जाएँगे।"
वहीं पंजाब के बठिंडा से लोकसभा सांसद और केंद्रीय खाद्य संस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि विधेयकों को लेकर अपना इस्तीफा देने के बाद पहला बयान दिया है।
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "मैंने कहा कि सरकार को हितधारकों के साथ परामर्श के बाद बिल लाना चाहिए, इसमें राजनीति क्या है? किसान न केवल पंजाब में बल्कि हरियाणा, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र में भी आंदोलन कर रहे हैं। कृषि विधेयकों के खिलाफ दक्षिण भारत में विरोध है।"
I said government should bring the bills after consultation with stakeholders, what is politics in this? Farmers are agitating not only in Punjab but also in Haryana, Rajasthan, UP, Maharashtra. There is opposition in South India: Shiromani Akali Dal leader Harsimrat Kaur Badal pic.twitter.com/uGeRE3VjHe
— ANI (@ANI) September 18, 2020
कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के विधायक कुलजीत सिंह नागरा ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है।
कुलजीत सिंह नागर ने ट्वीट कर कहा, "भाजपा-अकाली सरकार द्वारा किसान विधेयक पारित किए जाने से गहरा दु:ख हुआ। मैं किसान के समर्थन में विधायक फतेहगढ़ साहिब के रूप में अपना इस्तीफा देता हूं।"
Deeply saddened by the passing of farmer Bill by the BJP-Akali Govt. I hereby tender my resignation as MLA Fatehgarh Sahib in support of farmer's cause. @PunjabGovtIndia @capt_amarinder @CMOPb @ANI @abpsanjha @News18Punjab @ZeePunjabHH @BabushahiCom @sunilkjakhar @RanakpINC
— Kuljit Nagra (@kuljitnagra1) September 17, 2020
इस मामले में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने कहा, "किसानों की पार्टी के रूप में अकाली दल देश के किसानों के खिलाफ जाने वाली किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं कर सकता, खासतौर पर पंजाब में। इसलिए, हमने आज लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 का विरोध किया।"
As a party of the farmers, @Akali_Dal_ cannot support anything which goes against the interest of the 'annadata' in the country, especially in #Punjab. So, we opposed the Essential Commodities (Amendment) Bill 2020 in #LokSabha today. 1/4 pic.twitter.com/xZs8ns4xei
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) September 15, 2020
इसके अलावा आप पार्टी के सांसद भगवंत मान ने इन बिलों के लोकसभा में पास होने पर इस दिन को काला दिन करार दिया।
भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा, "17 सितंबर को किसानों के लिये काले दिन के तौर पर देखा जायेगा... क्यूँकि इस दिन खेती बिल के ज़रिए किसानों से उनकी ज़मीन व खेती छीनकर पूँजीपतियों को बेच दिया .. प्रधान सेवक ने अपने जन्मदिन पर किसानों के तोहफ़ा दिया।"
17 सितंबर को किसानों के लिये काले दिन के तौर पर देखा जायेगा...क्यूँकि इस दिन खेती बिल के ज़रिए किसानों से उनकी ज़मीन व खेती छीनकर पूँजीपतियों को बेच दिया.. प्रधान सेवक ने अपने जन्मदिन पर किसानों के तोहफ़ा दिया pic.twitter.com/wdB2iJWmxi
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) September 18, 2020
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