'एक गांव,एक ट्रैक्टर, 15 किसान और 10 दिन' किसान आंदोलन जीवित रखने का सूत्र

किसान आंदोलन के 3 महीने होने को हैं। आगे किसान आंदोलन कैसे चलेगा? सर्दियों में राते खुलेआसमान के नीचे बिताने वाले किसान गर्मियों का सामना कैसे करेंगे? एक फसल की फसल की कुर्बानी का मुद्दा है.. समझिए इस खबर में

Amit PandeyAmit Pandey   22 Feb 2021 10:22 AM GMT

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एक गांव,एक ट्रैक्टर, 15 किसान और 10 दिन किसान आंदोलन जीवित रखने का सूत्ररबी की फसलों के कटाई का समय आ रहा है, ऐसे में किसानों ने तय किया है कि गांवों से लोग क्रम में आएंगे वापस जाएंगे। फोटो-अमित पंडे.

गाजीपुर बॉर्डर ( दिल्ली-उत्तर प्रदेश)। दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की संख्या अधिक है। राज्य का यह इलाका गन्ने की खेती के लिए मशूहर है। फ़रवरी महीने की शुरुवात में ये कयास लगाए जा रहे थे की फ़सल की कटाई का मौसम होने की वजह से ग़ाज़ीपुर मोर्चा कमजोर पड़ जायेगा। लेकिन किसान नेताओं और किसानों के मुताबिक उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है।

"एक गांव-एक ट्रैक्टर, पंद्रह किसान और दस दिन। हमने यह सूत्र रट लिया है। हम इसी तरीके से आएंगे और जाएंगे।" मुज़फरनगर के किसान अभिजीत बालियान (25 वर्ष) जोशीले अंदाज में गांव कनेक्शन को बताते हैं।

बागपत के कासिमपुर खेड़ी से गाजीपुर आंदोल स्थल पर पहुंचे किसान सत्य ब्रह्म सिंह तोमर हुक्के का कश लेते हुए कहते हैं, "किसानों में जनमानस का भाव आ गया है। हर घर से एक या दो व्यक्ति धरने पर नियमित समय के बाद आते रहेंगे। व्यक्ति अपनी गन्ने की पर्ची डालकर सीधे मोर्चे पर आएगा, फिर मोर्चे पर मौजूद व्यक्ति अपनी फसल का काम करेगा।" तोमर आगे कहते हैं, "जिस किसान का ट्रैक्टर आंदोलन में मौजूद होगा गांव में उसके घर और खेत का काम रुकेगा नहीं, बाकि लोक उसकी फसल काट देंगे, काम करेंगे।"

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गाजीपुर बॉर्डर पर सबसे ज्यादा किसान पश्चिमी यूपी हैं। जहां इन दिनों गन्ने की कटाई जोर-शोर से चल रही है। फोटो- अमित पांडेय

भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में एक फसल की कुर्बानी देने की बात कही है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पिछले दिनों कहा था इस साल किसान अपनी फसल सरकार को नहीं बेचेगा और जितनी फसल की जरूरत होगी केवल उतनी ही फसल अपने लिए काटेगा। टिकैत की इस अपील का मोर्चे पर मौजूद किसानों ने समर्थन दिया।

पिछले एक पखवाड़े से पश्चिमी और हरियाणा में कुछ किसानों ने अपनी गेहूं की फसल नष्ट कर दी है। मुजफ्फरनगर में भैंसी गांव के किसान योगेंद्र अहलावत ने अपने 2 एकड़ गेहूं की फसल पर रोटावेटर (ट्रैक्टर से जुताई) चला दिया। उनके पास कुल ढाई 2.5 हेक्टेयर जमीन बताई जाती है।

गाजियाबाद बॉर्डर पर गांव कनेक्शन से मुलाकात में मुरादाबाद के किसान हर्ष ढाका राकेश टिकैत की बातों का करते हुए मनते हैं कि इससे उन्हें आर्थिक तौर पर नुकसान तो होगा लेकिन वो आंदोलन के तैयार ये करने को तैयार हैं। " देखिये अभी हम दो हज़ार के कपडे पहनते हैं, इस साल सिर्फ पाँच सौ के कपड़े पहनेंगे। यह लड़ाई सिर्फ इस वर्ष के नहीं बल्कि आने वाले वर्षों की फसलों की है।" हर्ष अपने कपड़े दिखाते हुए कहते हैं।

हालांकि किसानों द्वारा गेहूं खड़ी फसल पर ट्रैक्टर की जुताई करने पर राकेश टिकैत ने किसानों से ऐसा न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि फसल बर्बाद करने को नहीं कहा गयाथा, बल्कि ये कहा गया था कि फसल आंदोलन के आड़े नहीं आएगी। एक फसल की कुर्बादी देने को फसल तैयार नहीं है। जो लोग यहां आएंगे उनका काम न रुके इसके लिए गांव गांव में कमेटियां बनाएंगे।"

पश्चिमी यूपी में मुजफ्फरनगर जिले के किसान अभिजीत बालियान टिकैत की इस अपील का समर्थन करते हुए कहते हैं, "जब तालाबंदी थी तब हमने अपने खेतों में लगी फूल गोभी, सूरजमुखी और पत्ता गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाया क्योंकि कीमत नहीं थी। जब हम उस घाटे को झेल सकते हैं तो आंदोलन के लिए ये घटा कोई बड़ी बात नहीं।"

शामली के हथछोया के सतबीर (80 वर्ष) मानते हैं की इस बार फसल छोड़ने से कर्जा बढ़ेगा लेकिन उनका कहना है की अगर अभी ये कर्जा नहीं झेला तो आगे स्तिथि और भी बद्तर हो जाएगी।"

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में बैठे अमरोहा के किसान गौरव चहल के गांव के लोगों ने चंदा लगाकर उनके लिए कूलर भिजवाया है। फोटो- अमित पांडेय

मौसम से चुनौती की तैयारी

26 नवम्बर से शुरु हुए दिल्ली में आंदोलन के तीन महीने होने को हैं। दिल्ली में कड़ाके के सर्दी झेलने के बाद किसानों के सामने आगे फिर मौसम की चुनौती है। दिल्ली की सर्दी और गर्मी दोनों को झेलना मुश्किल होता है। दिल्ली-एनसीआर में लोगों का बिना बिजली के एक मिनट घर में रुकना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में खुले आसमान के नीचे रुकना आसान नहीं होगा। लेकिन किसान इसके लिए भी अभी से तैयारियों में जुटे हैं।

पंजाब और हरियाणा से सिंघु, टीकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर की तरफ आने वाले कई ट्रालियों में कूलर और वाटर टैंकर देखे गए हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान गर्मियों के लिए सामान जुटा रहे हैं।

अमरोहा के किसान गौरव चहल कहते हैं, "हमारे गांव में लोगों ने चंदा जमा करके हमारे लिए कूलर भिजवाया है। अगर कूलर से कुछ नहीं होगा तो आगे एसी का भी हम प्रबंध करेंगे।"

गर्मी बढ़ने के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर जो किसान पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर दिल्ली और गाजियाबाद को जोड़ने वाले फ्लाईओवर के ऊपर थे उनमें बहुत से किसान प्लाईओवर के नीचे दिन में जुट जाते हैं। फ्लाई ओवर के नज़दीक मिले बाघपत के किसान उपेंद्र तोमर मज़ाकिया स्वर में कहते हैं "जब गर्मी होगी तो इस फ्लाई -ओवर के नीचे सो जायेंगे और श्याम के वक़्त जभी हवा चलेगी तो इसके ऊपर।"

हालांकि मौसम को लेकर किसान ज्यादा परेशान नहीं। वो कहते हैं, हमारा तो काम ही मौसम से लड़कर खेती करना है। यूपी में ही पीलीभीत जिले के किसान संतराम कुशवाहा मानते हैं किसान को मौसम में बदलाव का कोई असर नहीं होगा। किसान हर मौसम में अपने खेत में काम करता है तो उन्हें इस गर्मी का कोई असर नहीं होगा।

गन्ने का उचित दाम न मिलने से किसान नाराज़।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए ज्यादातर किसान राज्य सरकार द्वारा गन्ने के दाम में वृद्धि न करने से नाराज़ दिखे। गौरव चहत कहते हैं की पिछले साल उन्होंने 1500 क्विंटल गन्ना बेचा था जिसमें से अभी सिर्फ 1000 क्विंटल का दाम उन्हें मिला है। गौरव ने इस साल नवम्बर महीने से 800 क्विंटल गन्ना मिलों में दे दिया है लेकिन एक भी पैसा अभी नहीं मिला।

उन्हीं की तरह अभिजीत भी गन्ने की खरीद व्यवस्था से नाराज़ दिखे। वो कहते हैं " उत्तर प्रदेश में गन्ने किसान की स्थिति बहुत खराब है I अगर गन्ना दो दिन मिल में नहीं डला तो मिल वाले जड़ काली बताकर गन्ना नहीं खरीदते हैं। सही समय पर पर्ची न आने के कारण किसान को गन्ने की तुलाई में ज्यादा वक़्त लगता है। जो हमारी रेट की लड़ाई है उससे भूलकर अब हम भुगतान की लड़ाई लड़ रहे हैं।" गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत ने गन्ने के कोल्हू भी लगाया और खुद रस भी पेरा था। उन्होंने मीडिया को बताया कि ये वही कोल्हू है जो 36 साल पहले उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने लालकिले पर चलाया था अब यहां चल रहा है।

राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आंदोलन में जो जरुरत होगा होगा। हमने सरकार से कहा है कि हमें बिजली का कनेक्शन दे दीजिए, अगर वो नहीं देंगे तो हम जेनरेटर चल लेंगे। आंदोलन तो चलता ही रहेगा।

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22 फरवरी को हरियाणा की खरखौंदा मंडी में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते राकेश टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता। फोटो- साभार राकेश टिकैत ट्वीटर

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