क्यों महंगा हुआ प्याज? आगे और भी बढ़ सकते हैं दाम?

पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है, प्याज की बढ़ी कीमतों से किसानों को कितना फायदा हो रहा है? क्या आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में कमी आएगी?

Divendra SinghDivendra Singh   22 Oct 2020 8:15 AM GMT

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क्यों महंगा हुआ प्याज? आगे और भी बढ़ सकते हैं दाम?

प्याज की कीमतें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं, कई शहरों में तो प्याज कीमतें 80 से 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गईं हैं। आने वाले दिनों में प्याज और भी ज्यादा महंगा हो सकता है।

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में बारिश की वजह से प्याज की फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को तो नुकसान हुआ ही, मार्केट में भी प्याज की कीमतें बढ़ती जा रहीं हैं।

दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता जैसे शहरों में प्याज की कीमतें 70 से 100 रुपए तक पहुंच गईं हैं, क्या इससे किसानों को फायदा हो रहा है, इस बारे में महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोळे बताते हैं, "नासिक मंडी में प्याज की कीमत 7000 से 8000 प्रति कुंतल तक हो गई है, अगर बारिश से प्याज को नुकसान न होता तो प्याज इतना महंगा न बिकता। लेकिन इससे उन्हीं को फायदा हो रहा है, जिनका प्याज रखा हुआ है, क्योंकि बारिश की वजह से स्टॉक में रखा प्याज भी खराब हो गया है।"

"अभी जल्दी नई प्याज मार्केट में आएगी नहीं, इसलिए प्याज अभी जल्दी सस्ता भी नहीं हो सकता, क्योंकि प्याज की फसल तो खराब हुई ही, पहले से रखा प्याज भी खराब हो गया है।" भारत दिघोळे ने आगे बताया।

सितम्बर महीने में महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों में पछेती खरीफ की नर्सरी बुवाई और अगेती खरीफ प्याज की हार्वेस्टिंग चल रही थी। जब लगातार बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है।

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पाथर्डी तालुका के मिरी गाँव के किसान जितेंद्र शिंदे की नई फसल तो बर्बाद ही हुई थी, पहले से रखा प्याज भी खराब हो गया। जितेंद्र कहते हैं, "नर्सरी का तो नुकसान हुआ ही, जो फसल लगायी थी, उसमें भी पानी भर गया। पानी भरने से काफी नुकसान हुआ।पिछले साल का जो प्याज हमने रखा था वो भी सड़ने लगा है। वैसे हम जितनी बारिश होती है, उसी हिसाब से रखरखाव करते हैं, लेकिन ज्यादा बारिश की वजह से शेड फेल हो गया, जिसे हमारे यहां कांदा चाल बोलते हैं। मजबूरी में प्याज फेकनी पड़ा।"

अहमदनगर जिले के पाथर्डी तालुका के मिरी गाँव के किसान की पहले से रखी प्याज भी ज्यादा बारिश से सड़ गई। फोटो: किसान

उधर की प्याज की बढ़ी कीमतों से परेशान लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने और प्याज आयात करने जा रही है। 14 अक्टूबर को सरकार ने खरीफ फसल के प्याज के आगमन से पहले के ख़ाली मौसम के दौरान घरेलू उपभोक्ताओं को उचित दरों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्याज निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा करके एक पूर्ववर्ती उपाय किया था। जिस दर से प्याज की खुदरा कीमतों में वृद्धि हुई थी, उसे कुछ हद तक कम किया गया था। लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के प्रमुख जिलों में भारी बारिश की वजह से खरीफ की फसलों, संग्रहित प्याज और बीज नर्सरी भंडारण को नुकसान पहुंचा था। मौसम में आये हुए इन बदलावों के बाद ही प्याज की कीमतों में काफी तेज वृद्धि हुई है।

प्याज के आयात को आगामी 15 दिसंबर 2020 तक सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने आयात के लिए प्लांट क्वारेंटाइन ऑर्डर - 2003 के तहत दिनांक 21 अक्टूबर को पादप स्वच्छता प्रमाणपत्र पर धूम्रीकरण और अतिरिक्त घोषणा के लिए शर्तों में ढील दी है। भारतीय उच्च आयोगों को संबंधित देशों में निर्देश दिया गया है कि, वे देश में प्याज के अधिक आयात के लिए व्यापारियों से संपर्क करें। आयातित प्याज की ऐसी खेप जो पीएससी पर प्रभाव के लिए धूम्रीकरण और पुष्टि के बिना भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचती है, तो उसका धूम्रीकरण भारत में एक मान्यता प्राप्त उपचार प्रदाता के माध्यम से आयातक द्वारा किया जाएगा। खेप में अगर डंठल और सूत्रकृमि या प्याज भुनगा का पता चलता है, तो धूम्रीकरण के माध्यम से इसे समाप्त कर दिया जाएगा और जारी की जाने वाली खेप पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जायेगा। आयातकों से एक वायदा भी लिया जाएगा कि, प्याज का उपयोग केवल उपभोग के लिए किया जाएगा न कि उत्पादन और प्रसार के लिए। खपत के लिए आने वाली प्याज की ऐसी खेप को पीक्यू के आदेश 2003 के तहत आयात की शर्तों में गैर अनुपालन के कारण चार गुना अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क के अधीन नहीं लाया जाएगा।

सरकार के प्याज आयात के निर्णय से किसान और किसान संगठन नाराज भी हैं। क्योंकि सितम्बर में केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। महाराष्ट्र की स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी बताते हैं, "पहले सरकार ने महाराष्ट्र से प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जबकि कर्नाटक से निर्यात चालू रहा और अब सरकार बाहर से प्याज आयात करने जा रही है। सरकार चाहती क्या है अभी किसानों की फसल बारिश से बर्बाद हो गई है, लेकिन फिर पहाड़ी क्षेत्रों में फसल को उतना नुकसान नहीं हुआ है। जब किसानों की फसल तैयार हो जाएगी, तो सरकार बाहर से प्याज मंगाने जा रही है। ऐसे में नुकसान तो किसानों का ही होगा।"

महाराष्ट्र में खरीफ मौसम में होने वाली प्याज की फसल अब तक बाजार में आ जाती, लेकिन ज्यादा बारिश और देरी से बुवाई होने की वजह से यह अगले महीने तक बाजार में आएगी। मतलब कि प्याज की नई फसल के लिए दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ सकता है।

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