ऑपरेशन ग्रीन योजना में 22 और कृषि उत्पाद शामिल करने से क्या असर पड़ेगा?

टमाटर, प्याज और आलू के साथ ही 22 सब्जी व फलों को 'ऑपरेशन ग्रीन योजना' में शामिल किया जा रहा है, ऐसे में किसानों को इस योजना का कितना लाभ मिलेगा?

Divendra SinghDivendra Singh   3 Feb 2021 4:43 PM GMT

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What is Operation Green Scheme, What is top to total scheme, Which of the following is not covered under Operation greens mission, operation green yojana, operation green yojana in hindi, opertaion green yojana kab bani, budget 2021 agricultureभारत, फल और सब्जियों के उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। फोटो: पिक्साबे

सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन योजना में 22 और कृषि उत्पादों को शामिल करने का ऐलान किया है। इस योजना में अब तक 'TOPs' यानी टमाटर, प्याज और आलू शामिल थे। क्या इस योजना से किसानों को या फिर आम उपभोक्ता को कोई फ़ायदा हुआ?

जितेंद्र शिंदे को पिछले साल भारी नुकसान हुआ था। भंडारण की सही व्यवस्था न होने से उनका प्याज सड़ गई थी। "पहले की जो प्याज रखी थी, वो भी सड़ गई थी। ज्यादा बारिश की वजह से शेड (कांदा चाल) फेल हो गया। मजबूरी में प्याज फेंकनी पड़ी। हर साल यही होता है, जब हमारा प्याज बाजार में आता है तो भाव गिर जाते हैं," जितेंद्र शिंदे ने बताया। जितेंद्र, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पाथर्डी तालुका के मिरी गाँव में खेती करते हैं।

टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों को स्थिर करने और किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम दिलाने के लिए ऑपरेशन ग्रीन योजना को शुरू किया गया था। लेकिन इस योजना का न तो किसानों को फायदा हो रहा है और न ही उपभोक्ताओं को सही दाम पर उत्पाद मिल रहे हैं। पिछले साल के आखिर में भी आलू और प्याज की कीमतें काफी बढ़ गईं थी। बेमौसम बारिश से नई फसल बाजार में नहीं आ पाई और भंडारण में रखी प्याज भी खराब हो गई।

पिछले साल के आखिर में भी आलू और प्याज की कीमतें काफी बढ़ गईं थी। Photo: Pixabay

पांच नवंबर को मुंबई में प्याज का खुदरा भाव 90 रुपए किलो, दिल्ली और लखनऊ में 70 रुपए किलो तो बनारस के आसपास प्याज 60 से 80 रुपए किलो रहा। लेकिन प्याज की एक बड़ी मंडी में छह नवंबर को एक किसान की प्याज 1,500 रुपए कुंतल में और एक दूसरे किसान की 1,100 रुपए कुंतल में बिकी। यानी थोक में प्याज 15 और 11 रुपए किलो के हिसाब से बिकी। इससे साफ़ है कि इस योजना का फ़ायदा न तो उपभोक्ता को मिल रहा है और न ही किसानों को।

केंद्र सरकार की टॉप (टोमैटो, ओनियन व पटेटो) स्कीम के तहत कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चेन और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की योजना थी। इस योजना को चलाने का दायित्व खाद्य प्रसंस्करण विभाग को दिया गया था। इसमें किसान उत्पादक संगठन के गठन के साथ उन्हें पोस्ट हार्वेस्टिंग में नुकसान रोकने जैसी तकनीक को अपनाने और इन संवेदनशील फसलों की खेती पर ज़ोर देना था। सरकार ने 2018-19 के बजट भाषण में ऑपरेशन ग्रीन के लिए 500 करोड़ रुपए की घोषणा की थी। इसमें प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्य, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात और तेलंगाना, प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, बिहार और प्रमुख आलू उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब को प्रोडक्शन क्लस्टर क्षेत्र बनाया गया है।

इन सभी राज्यों में किसानों की मदद के लिए इन जगहों पर प्रोसेसिंग यूनिट लगनी थी, अभी तक आंध्र प्रदेश में टमाटर के लिए एक, गुजरात में आलू के दो और प्याज के लिए महाराष्ट्र में दो इंड्रस्टी शुरू हो पाई हैं।

देश में सबसे अधिक प्याज उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। फोटो: पिक्साबे

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले कहते हैं, "महाराष्ट्र में सबसे अधिक प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन जब किसानों को प्याज के सही दाम मिलने वाले होते हैं तो वो बारिश से खराब हो जाती है। अगर सरकार की योजना है तो किसानों को भी तो इसका फायदा होना चाहिए, जोकि नहीं हो रहा है।"

वो आगे कहते हैं, "महाराष्ट्र में अभी भी लोग पुराने तरीके से प्याज रखते हैं, जिसमें रखा आधे से ज्यादा प्याज सड़ जाता है। बहुत से लोगों को ऐसी योजनाओं की जानकारी ही नहीं होती कि उनके लिए सरकार ऐसी भी कोई योजना चला रही है।

लॉकडाउन में बाजार न मिलने से किसानों को फल और सब्जियां फेंकनी पड़ी थी। अगर किसानों के पास भंडारण की सुविधा होती तो फलों और सब्जियों को फेंकना न पड़ता। भारत, फल और सब्जियों के उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के सर्वे के अनुसार देश में 4.58% से 15.88% सब्जियां और फल हर साल खराब हो जाते हैं।

भारत में 374.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता के 8,186 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 2,406, इसके बाद गुजरात (969), पंजाब (697), महाराष्ट्र (619), पश्चिम बंगाल (514) जैसे राज्य आते हैं। इनमें से ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज आलू रखने के हिसाब से बनाए गए हैं।


उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज एसोशिएसन के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "ये अच्छी योजना है, लेकिन अभी तक कितने लोगों को इसका लाभ मिला है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन होता है और सबसे ज्यादा कोल्ड स्टोरेज भी यहीं पर हैं। लेकिन आलू का दाम फिर भी घटता-बढ़ता ही रहता है। इससे किसानों और कोल्ड स्टोरज दोनों का ही नुकसान होता है। इसलिए योजना को सही तरीके से चलाने की जरूरत है।"

कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत के तहत टॉप टू टोटल सब्सिडी कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसमें टमाटर, प्याज, आलू के साथ ही 19 फलों (आम ,केला, अमरूद, किवी, लीची, मौसमी, संतरा, किन्नू, चकोतरा या कागज़ी नींबू, नींबू, पपीता, अन्नास, अनार, कटहल, सेब, अनोला, कृष्णा फल या पैशन फ्रूट, नाशपाती) और 14 सब्जियों (फ्रेंच बीन्स, करेला, बैंगन, शिमला मिर्च, गाजर, फूलगोभी, हरी मिर्च, भिंडी, खीरा, मटर, प्याज़, आलू और टमाटर) को शामिल किया था। आत्मनिर्भर भारत के तहत इसे छह महीनों के लिए लागू किया गया था, जिसे 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। आत्मनिर्भर योजना के तहत ऑपरेशन ग्रीन योजना टॉप टू टोटल ऐसे अधिसूचित फलों और सब्जियों के परिवहन और भंडारण में 50 प्रतिशत सब्सिडी मुहैया कराती है

लीची ग्रोवर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह बताते हैं, "बिहार के कई जिलों में लीची की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन जिस तरह से पैदावार होती है, उस तरह से किसानों को फायदा नहीं मिल पाता। लीची को ज्यादा दिनों तक स्टोर नहीं किया जा सकता, इसलिए सरकार को चाहिए की इसकी प्रोसेसिंग पर काम करे। जिससे लीची को फेंकना तो न पड़े।"

ऑपरेशगन ग्रीन योजना में कई तरह के फल और सब्जियों को शामिल किया गया है। फोटो: फ्लिकर

दो फरवरी 2021 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि वित्त वर्ष 2019-20 में बजट अनुमानों में ऑपरेशन ग्रीन के लिए 200 करोड़ रुपए प्रस्तावित थे जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 32.48 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसी तरह वित्त वर्ष 2020-21 में इस योजना के लिए बजट प्रस्तावों में ये राशि 127.50 करोड़ रुपए थी लेकिन संशोधित अनुमानों में इसे घटाकर 38.32 करोड़ रुपए कर दिया गया।

इस योजना के तहत किसान सहित कोई भी अधिसूचित फलों और सब्जियों की फसल का परिवहन कर सकता है। रेलवे इन फलों और सब्जियों के परिवहन पर मात्र 50 प्रतिशत शुल्क लेगी। शेष 50 प्रतिशत शुल्क मंत्रालय की ओर से भारतीय रेल को दिया जाएगा।

कृषि अर्थशास्त्री विजय जवांधिया कहते हैं, "मैं अभी दस रुपए किलो टमाटर ख़रीदकर लाया हूं, अगर दस रुपए में मैंने लिया है और जो बेच रहा है, उसे भी चार-पांच रुपए की कमाई हुई तो फिर किसान को कितना मिला, ये सोचने वाली बात है। अगर पहले से कोई योजना चल रही है, तो सरकार को ये देखना चाहिए कि योजना कितनी अच्छी तरह से चल रही है। सरकार अक्सर पुरानी योजनाओं को ही नया रुप दे देती है।"


    

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