बागवानी और खेती से जुड़ा स्टार्टअप शुरू करने वालों के लिए बढ़िया मौका, यहां से ले सकते हैं प्रशिक्षण

सीआईएसएच से प्रशिक्षण लेकर खेती और बागवानी से जुड़ा कोई भी स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   5 Feb 2021 11:10 AM GMT

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बागवानी और खेती से जुड़ा स्टार्टअप शुरू करने वालों के लिए बढ़िया मौका, यहां से ले सकते हैं प्रशिक्षणखाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लेते युवा। फोटो: सीआईएसएच

लखनऊ। अगर आप बाग़वानी या फिर खेती से जुड़ा कोई भी स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, तो ये आपके लिए बढ़िया मौका है। यहां से प्रशिक्षण लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

केंद्रीय उपोष्ण बाग़वानी संस्थान, लखनऊ में टिश्यू कल्चर, नर्सरी, रुफटॉप गार्डेनिंग, गार्डनर ट्रेनर, ग्रीन हाउस जैसे 24 ज्यादा स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। केंद्रीय उपोष्ण बाग़वानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "खेती और बाग़वानी से जुड़े बहुत से काम हैं, जिनका प्रशिक्षण लेकर युवा अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। संस्थान में आम, अमरूद, जामुन जैसे फलों की खेती के साथ ही प्रोसेसिंग के जरिए उनसे उत्पाद बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।"

"संस्थान में पाँचवीं पास से लेकर स्नातक युवा प्रशिक्षण लेने आते हैं। खेती और बाग़वानी के रोज़गार में सफल होने और असफ़लता से बचने के बारे में विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। एंटरप्रन्योरशिप के लिए प्रोजेक्ट बनाने में भी संस्थान की तरफ़ मदद की जाती है और इसके बाद नया उद्यम शुरू करने के लिए बैंक से 25 लाख तक का लोन मिल जाता है," डॉ. शैलेंद्र राजन ने आगे बताया।

पश्चिम बंगाल के हबीबपुर ब्लॉक से नर्सरी की ट्रेनिंग लेने आयीं महिलाएं। फोटो: सीआईएसएच

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 24 तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें से प्रमुख है बाग़वानी, नर्सरी, जैविक खेती, आम की बाग़वानी, केले की खेती, ड्रिप सिंचाई, ग्रीन हाउस मैनेजमेंट इसके साथ और बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं। जिनसे संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे है। इन कार्यक्रमों में युवा तो बड़ी मात्रा में हिस्सा ले ही रहे हैं महिलाएं भी प्रशिक्षण लेकर सफलतापूर्वक घर की छत पर नर्सरी कर रही हैं।

लखनऊ की मानसी राय शर्मा (30) ने भी सीआईएसएच से प्रशिक्षण लेकर बनाना (केला) टिश्यू कल्चर पर अपना स्टार्टअप शुरू किया है। मानसी बताती हैं, "बॉयोटेक में एमटेक करने के बाद मैंने चार साल जॉब भी की, लेकिन लगा कि अपना कुछ शुरू करना चाहिए। तब सीआईएसएच के एग्री-बिज़नेस इनक्यूबेशन प्रोग्राम के बारे में पता चला। वहां से ट्रेनिंग लेने के बाद अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया है। अभी हम टिश्यू कल्चर से केले की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। जल्द ही बांस की नर्सरी भी टिश्यू कल्चर से तैयार करेंगे।"

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा चल रहे स्टार्टअप एग्री-बिजनेस इनक्यूबेशन कार्यक्रम के तहत लोगों को अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

शैलेंद्र राजन आगे कहते हैं, "कुछ साल पहले तक लोगों को विदेशी सब्जियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन अब यहां भी ऐसी सब्जियों की मांग बढ़ी है। संस्थान में ऐसी सब्जियों को उगाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। क्योंकि ऐसी सब्जियों की खेती में खास देखभाल की जरूरत होती है। नहीं तो महंगे बीज लगाने के बाद किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए किसान अब इसकी ट्रेनिंग लेने आ रहे हैं, क्योंकि बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है।"

संस्थान द्वारा 'रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग' का भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया था। इसमें ट्रेनिंग के बाद रेडी टू फ्रूट बैग भी दिये गये थे। इसमें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती हैं सिर्फ नमी बनाये रखना होता है और उसमें से मशरूम की फसल घर पर ही उगाई जा सकती हैं।

महाराष्ट्र के सांगली की रहने वाली संगीता पी चौगुले (40) ने भी अपना स्टार्टअप शुरू किया है। संगीता ने इंट्रीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट पर अपना स्टार्टअप शुरू किया है। संगीता बताती हैं, "आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए हमने इंट्रीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट पर अपना स्टार्टअप शुरू किया है, इसमें बिना किसी केमिकल के किसानों को कीटों से छुटकारा दिलाने के प्रोडक्ट बना रहे हैं।"


पिछले कुछ वर्षों में हाइड्रोपोनिक्स का चलन भी तेजी से बढ़ा है, इसमें बिना मिट्टी के किसी पौधे को उगाया जाता है। इस बारे में शैलेंद्र राजन कहते हैं, "युवा हाइड्रोपोनिक्स विधि से खेती करना भी सीख सकते हैं, विदेशों में तो इसका चलन काफी बढ़ा है। इसे कोई अपने छत पर भी सब्जियां उगा सकता है, क्योंकि इसमें मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है।"

संस्थान में प्रशिक्षण के लिए आवेदन के बारे में वो कहते हैं, "अगर कोई भी प्रशिक्षण लेना चाहता है तो संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध फार्म को भर सकता है, जब भी उस क्षेत्र में कई और आवेदन आ जाएंगे, प्रशिक्षण के लिए बुला लिया जाएगा।"

संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनीष मिश्रा बताते हैं, "ट्रेनिंग में आवेदन करने के लिए सबसे पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसकी फ़ीस एक हजार रुपए है। उसके बाद हर एक ट्रेनिंग प्रोग्राम की अलग-अलग फ़ीस है, क्योंकि ये आईसीएआर का कार्यक्रम है, इसलिए बहुत ज्यादा फ़ीस नहीं लगती है। इसमें हम उनको स्टार्टअप शुरू करने से लेकर बैंक से लोन दिलाने तक में मदद करते हैं।

    

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