तड़ीपार करने का आदेश किसी व्यक्ति के अपनी पसंद की जगह पर रहने के अधिकार का हनन करता है: दिल्ली हाई कोर्ट
गाँव कनेक्शन 10 May 2017 7:54 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को तड़ीपार करने के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया है कि ये कार्यवाही इस तरह के लोगों के लिए अलगाव की स्थिति पैदा करती है। तड़ीपार करने की कार्यवाही के जरिए अपराधियों को किसी खास क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है।
अदालत ने कहा, ‘तड़ीपार करने का आदेश किसी व्यक्ति के अपनी पसंद की जगह पर रहने के अधिकार में अतिक्रमण करता है और तड़ीपार किए गए व्यक्ति की फाइनेंशियल स्थिति को बुरी तरह प्रभावित करता है।' न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार ने यह टिप्पणी जुगल किशोर नाम के व्यक्ति पर दो साल के लिए दिल्ली में घुसने पर रोक लगाने के दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल के तड़ीपार करने के आदेश को निरस्त करते हुए की।
न्यायाधीश ने कहा, ‘इसपर कोई विवाद नहीं है कि तड़ीपार करने का आदेश सामाजिक और निजी वंचन लाता है और तड़ीपार किए गए व्यक्ति की वित्तीय हालत को गहरा धक्का पहुंचाता है।' आरोपी को हालांकि उसके खिलाफ लंबित अदालती कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी। किशोर घर में अनाधिकार प्रवेश, दंगा करने, जुआ और विभिन्न तरह के दूसरे गंभीर अपराधों के लिए आठ से अधिक एफआईआर में नामजद था।
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