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यूपी में धान के तीन भाव: सरकारी रेट 1940 रुपए कुंटल, व्यापारी नगद दे रहे 1000-1200 रुपए, दो महीने बाद पैसे लेने पर दे रहे 1200-1400 रुपए का रेट

मौसम से लड़कर किसी तरह धान पैदा करने वाले किसानों को अब धान बेचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। किसान को अगली फसल के पैसा चाहिए, व्यापारी किसानों से 1000 से 1200 रुपए में धान खरीद रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी केंद्रों में ठीक से खरीद नहीं होने के चलते निजी व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। पढ़िए गांव कनेक्शन की रिपोर्ट
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लखीमपुर खीरी/शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश में जिन जिलों में 1 अक्टूबर से धान खरीद शुरू हुई थी, लखीमपुर खीरी भी उनमें से एक है। लखीमपुर की पलिया मंडी में 2 सरकारी खरीद केंद्र बनाए गए थे, लेकिन 13 अक्टूबर तक यहां एक भी दाने की खरीद नहीं हुई थी।

लखीमपुर जिले में नौगवा गांव के जोगिंदर सिंह ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए 8 अक्टूबर को टोकन जनरेट करवाया और 12 अक्टूबर को उनकी तौल होनी थी, लेकिन 13 अक्टूबर को भी उनका धान नहीं तौला गया। वो मंडी में खरीद केंद्र के बाहर अपने जैसे कई दूसरे किसानों के साथ धान लेकर इंतजार करते रहे। जोगिंदर (60 वर्ष) बताते हैं, “मेरे पास 4.5 एकड़ जमीन है। 50 कुंटल धान लेकर आया था, लेकिन तौल ही नहीं हुई। मेरा क्या किसी किसान का एक दाना नहीं तौला गया। 20 दिन पहले धान काटा, सुखाया फिर लेकर आए हैं। हमें तो धान के बाद सरसों बोनी है। मजदूरों का पैसा देना है।”

जोगिंदर सिंह जिस सरकारी खरीद केंद्र के बाहर खड़े थे, वहां के केंद्र प्रभारी बलेंद कुमार ने 13 अक्टूबर को गांव कनेक्शन को बताया, “अभी तक हमने बिल्कुल भी धान नहीं खरीदा है क्योंकि धान में नमी ज्यादा है। इस बार बारिश ज्यादा देर तक हुई इसलिए मॉस्चर की मात्रा तय मानक 17 फीसदी से कहीं ज्यादा है। धान बेचने की पहली शर्त है नमी की मात्रा है।”

लखीमपुर की पलिया मंडी में ट्राली से धान उतारते मजदूर। फोटो- मो. सलमान

पलिया से करीब 50 किलोमीटर दूर शाहजहांपुर जिले में परसादपुर गांव के किसान मलकीत सिंह (55 वर्ष) के पास करीब 5 एकड़ धान है। जिसमें से वो 1 ट्राली (50 कुंटल) धान कटवा चुके हैं और बाकी कंबाइन चलवा रहे थे। अपने खेत पर पहुंची गांव कनेक्शन की टीम से मलकीत सिंह कहते हैं, “हमारे धान को कोई पूछने वाला नहीं है। व्यापारी 2-2 महीने उधार कर रहा है। व्यापारी और मिल वाले कह रह रहे है कि नगद पैसा चाहिए 1000-1100 का रेट मिलेगा। 1200 का रेट चाहिए तो दो महीने का उधार करना होगा। सरकारी खरीद केंद्र वाले कह रहे हैं कि मानक (स्टैंडर्ड) नहीं है। 12 दिन हो गए हैं हमारे गांव के पास सेंटर लगे, सेंटर ऐसी जगह बना है कि कोई पहुंच न पाए।” 

देश में खरीफ विपणन सीजन (KMS) 2021-22 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1940 रुपए सामान्य और ए ग्रेड धान का रेट 1960 प्रति कुंटल है। यूपी में लखनऊ संभाग के लखीमपुर, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ सहारनपुर, अलीगढ़ में धान की खरीद 1 अक्टूबर से शुरु हो चुकी है। लेकिन 13 अक्टूबर तक लखीमपुर की तरह शाहजहांपुर में भी खरीद न के बराबर थी। खरीद न शुरु होने के पीछे धान मिलर्स और जिला प्रशासन के बीच समझौता न होना भी बताया गया।

गांव कनेक्शन से बात करते हुए लखीमपुर के जिलाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने फोन पर 18 अक्टूबर को बताया, “जिले में धान की खरीद शुरू हो चुकी है। चावल मिल मालिकों की कुछ समस्याएं थी, उन्हें सुलझा लिया गया है। किसानों से कहा गया है कि सीधे मंडी लेकर जाएं और तौल करवाएं।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों कई बार कह चुके हैं कि किसानों का धान खरीद में समस्या न हो, पारदर्शिता के साथ धान की तौल हो। सीएम योगी (Yogi Adityanath) ने 18 अक्टूबर को लखनऊ में एक समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि धान खरीद में किसानों को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। धान में अगर नमी की समस्या आए तो केंद्र पर ही सुखाने की व्यवस्था की जाए और पंखे आदि का इंतजाम होना चाहिए।  लेकिन सरकारी एजेंसियों को एमएसपी पर धान बेचने के लिए किसानों को पसीना छूट रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा खरीद वर्ष के लिए 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। जो पिछली बार की खरीद से ज्यादा है।

पलिया मंडी का सरकारी खरीद केंद्र जहां 13 अक्टूबर तक नहीं हुई थी एक भी दाने की खरीद

खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 18 अक्टूबर तक यूपी में 733 किसानों से 66731509.60 रुपए का 3436.404000 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। जबकि 255560 किसानों ने धान बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। धान खरीद को लेकर किसानों को आ रही समस्याओं को लेकर पिछले दिनों एक तिकुनिया में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा, “किसान का धान 1000-1100 रुपए में खरीदा जाता है। खरीद नहीं होती है लूटा होता।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसानों का धान खरीदा जाए ये आप की और सरकार की जिम्मेदारी है। टिकैत ने कहा, जो बड़े मिलर्स और व्यापारी है उनका हजारों ट्रकमाल इन क्षेत्रों से दूसरे क्षेत्रों को जाता है एमएसपी पर बिकने के लिए। सरकार को सब रोकना होगा। अगर किसान का धान एमएसपी पर नहीं बिका तो किसान डीएम, एसडीएम के बंगलों पर धान की ट्रालियां लेकर पहुंच जाएंगे।”

किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद केंद्रों पर सही तरीके से खरीद न होने के चलते व्यापारी और राइस मिल वाले मौके का फायदा उठा रहे हैं और किसानों की उपज औने पौने दाम में खरीद रहे हैं। किसानों के मुताबिक जिन मिल चावल मिलों या व्यापारियों को वो धान बेच रहे हैं पैसे तो कम दे ही रहा या फिर 1 से 2 महीने के लिए पैसे उधार कर रहे हैं।  इसके साथ उन्हें जमीन के पेपर भी देने होंगे। वहीं एक व्यापारी  ने नाम न बताने की शर्त पर गांव कनेक्शन से कहा, “हम लोग तो खुद ही धान नहीं खरीदना चाहते। धान में इतनी ज्यादा नमी है। किसान सीधे कंबाइन से सीधे काटकर ट्राली भरकर ला रहे, ये धान सूखने पर कम से 5-8 किलो कुंटल पर कम हो जाएगा। फिर उसकी भरपाई कौन करेगा। इसीलिए रेट कम है।” 

गांव कनेक्शन को लखीमपुर खीरी की गोला मंडी में मिले लखरावां के किसान मोहम्मद शमीम (60 वर्ष) के पास 60 एकड़ धान है। वो अपना 4 ट्राली करीब 200 कुंटल धान खुले बाजार में बेच चुके थे। एक ट्राली (करीब 40-50 कुंतल) धान लेकर दोबारा एक अलीगंज इलाके की एक मिल में गए थे लेकिन वहां किसानों और मिल मालिकों के बीच विवाद हो गया, जिसके मौके पर पहुंचे स्थानीय उपजिलाधिकारी अखिलेश यादव ने शमीम समेत दूसरे किसानों को 13 अक्टूबर को मिल से 10 किलोमीटर दूर गोला मंडी में सरकारी केंद्र पर भेज दिया।

मो. शमीम गांव कनेक्शन को बताते हैं, “सरकारी खरीद शुरू नहीं हो रही है। किसान को तो पैसा चाहिए। इसलिए धान मिल वाले को बेच रहे थे। वहां दो बातें बोली जाती हैं। अगर नगद पैसा चाहिए चो 900-1100 रुपए कुंटल का रेट मिलेगा अगर एक दो महीना रुक सकते हैं मिल वाले 1200 के आसपास रेट दे देंगे। लेकिन उसके लिए कागजात (खसरा खतौनी आधार कार्ड) देना होता है।” 

किसानों का आरोप है कि जो मिल मालिक या व्यापारी किसानों से जमीन के पेपर लेते हैं वो स्थानीय स्तर पर कांटा संचालकों से गठजोड़ कर उनके नाम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सरकार को एमएसपी पर धान बेच देते हैं।

लखीमपुर के पलिया कस्बे में अपने धान का नमूना लेकर पहुंचे चौगड़ा फार्म के किसान मनजीत सिंह के पास 250 कुंटल के करीब धान है। वो चाहते थे लेकिन व्यापारी उन्हें 1200 रुपए का रेट दे दे लेकिन सौदा तय नहीं हो रहा था व्यापारी के मुताबिक धान में नमी ज्यादा इसलिए रेट कम रखेंगे क्योंकि सूखने पर धान में प्रति कुंटल 7-8 किलो की कमी आ जाती है। लेकिन मनजीत सिंह को पैसे की जरूरत थी इसलिए वो सौदा करने की जुगत में लगे थे।

मनजीत कहते हैं, “मुझे तो सरकार को बेचना ही नहीं है। मुझे शाम तक पैसे की जरूरत है। वहां बेचने और पैसे आने में इतना वक्त निकल जाता है। हमें डीजल चाहिए। खेत जोतना है। लाही (सरसों) बोनी है। लेबर घर पर बैठे हैं उसे चाहिए, जिसने खेत काटा (कंबाइन वाला) है उसे पैसे देने हैं। आगे फसल बोनी है उसके लिए पैसे चाहिए।” वो आगे कहते हैं, “छोटा किसान इतना इंतजार नहीं कर सकता। उसके पास इतना बैलेंस ही नहीं होता है। वो एक फसल बेचेगा तो दूसरी बोएगा। घर चलाएगा।”

पलिया मंडी में धान सुखाते मजदूर।

शाहजहांपुर के किसान मलकीत सिंह कहते हैं, “धान की हालत बड़ी डाउन है। जब व्यापारी को 2-2 महीने उधार पर धान मिल रहा है तो वो नगद क्यों देगा, किसान भी क्या करे, धान स्टोर की जगह भी होनी चाहिए। इसलिए वो बेच देता है।” वो आगे कहते हैं, “मैं कई जिलों में देख रहा है कहीं पर भी मंडी 1300 के ऊपर नहीं गई है। अभी कल (12 अक्टूबर) को पीलीभीत में 1300 रुपए का भाव गया लेकिन वो हमारे घर से 85 किलोमीटर दूर है और डीजल का रेट 95 रुपए लीटर है बाकी आप समझ लो।”

धान किसानों की समस्या के बारे में बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक गांव कनेक्शन को बताते हैं, “एक तो किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा है। दूसरा पेमेंट उधार, तीसरा किसानों से खसरा-खतौनी, आधार कार्ड जैसे पेपर लिए जा रहे हैं। निजी व्यापारी को इन पेपर की क्या जरुरत है, यानि ये धान यहां से उठकर फिर किसी सेंटर में जाएगा और किसान के नाम पर एमएसपी में चढ़ जाएगा। ये व्यापारी,सेंटर इंचार्ज और खरीद एजेंसी मिलकर किसानों को लूट रहे हैं। मुख्यमंत्री जी से मेरी विनती है कि वो इस लूट को बंद कराएं।”

किसान नेताओं ने व्यापारियों और धान मिलों द्वारा मंडी से बाहर कम कीमत में किसानों से धान खरीद और जमीन के पेपर लिए जाने के मामले में 13 अक्टूबर को लखीमपुर के अलीगंज में धरना भी दिया था, जिसके बाद बिना लाइसेंस नवीनीकरण के मंडी के बाहर खरीद करने वाले एक व्यापारी की फर्म पर मंडी समिति ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी और जिलाधिकारी ने सभी मिलों में सीधी खरीद पर रोक लगा दी थी।

मलकीत सिंह आखिर में कहते हैं, “पिछले साल हमने अपना धान 1400-1500 में बेचा था इस बार 1100-1200 का मांगा जा रहा है। डीजल-खाद और पेस्टिसाइड की महंगाई इतनी बढ़ गई है। एक साल यहीं रफ्तार रही फसलों की तो कहीं किसानों की जमीन न बिक जाएं।”

एमएसपी पर यूपी सरकार का खरीद टारगेट 70 लाख मीट्रिक टन

उत्तर प्रदेश में इस बार सरकार ने 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। साल 2020-21 में करीब 68 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी। हमेशा की तरफ इस वर्ष भी दो चरणों में खरीद शुरू की गई है। लखनऊ सम्भाग के जनपद हरदोई, लखीमपुर तथा सम्भाग बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी में धान खरीद 1 अक्टूबर से शुरु हो चुकी है, जो 31 जनवरी 2022 तक चलेगी जबकि लखनऊ सम्भाग के जनपद लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव व चित्रकूट, कानपुर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर एवं प्रयागराज मण्डलों में 01 नवम्बर से खरीद शुरु होगी जो 28 फरवरी 2022 तक चलेगी।

इस साल धान खरीद के लिए प्रदेश में 4000 केंद्र प्रस्तावित हैं, जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश सहकारी संघ(पी.सी.एफ) के 1500 हैं, जबकि खाद्य विभाग की विपणन शाखा (1100), उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव यूनियन लिमिटेड (पी.सी.यू.) के 600, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के 200, उ.प्र. उपभोक्ता सहकारी संघ (UPSS) के 300 तथा भारतीय खाद्य निगम के 300 क्रय प्रस्तावित हैं। इस वर्ष 13 अक्टूबर तक खरीद शुरु होने वाले जिलों में 2040 धान क्रय केंद्र संचालित हो चुके हैं।

रिपोर्ट- अरविंद शुक्ला, वीडियो- मो सलमान, सहयोग मोहित शुक्ला

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