जानिए इन 10 बेहद खास किसानों को क्यों मिल रहा पद्म श्री सम्मान

पद्म श्री पाने वाले ये सभी किसान बेहद खास हैं। किसी ने प्राकृतिक खेती के लिए जंग छेड़ दी तो किसी ने केले के खेती से ऐसा मुनाफा कमाया कि लोग उनकी मिसाल देने लगे

Mithilesh DharMithilesh Dhar   11 March 2019 8:45 AM GMT

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जानिए इन 10 बेहद खास किसानों को क्यों मिल रहा पद्म श्री सम्मान

लखनऊ। मुजफ्फरपुर की किसान चाची राजकुमार देवी, जैविक खेती के लिए धरती पुत्र कहे जाने वाले भरत भूषण त्यागी और प्रगतिशील किसान रामसरन वर्मा सहित देश के 10 किसानों को खेती किसानी में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म सम्मान के लिए चुना गया है। विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए देशभर के 112 लोगों को इस सम्मान के लिए चुना गया है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में किसानों को यह सम्मान मिल रहा है।

पद्म श्री पाने वाले ये सभी किसान बेहद खास हैं। किसी ने प्राकृतिक खेती के लिए जंग छेड़ दी तो किसी ने केले के खेती से ऐसा मुनाफा कमाया कि लोग उनकी मिसाल देने लगे। घर के डेहरी लांघकर महिला किसान बनीं बिहार की राजकुमार देवी को लोग अब किसान चाची के नाम से जानते हैं। आइये देखते हैं इन 10 किसानों को ही आखिर पद्म पुरस्कारों के लिए क्यों चुना गया।

कंवल सिंह चौहान, हरियाणा


सोनीपत के गाँव अटरेना के रहने वाले किसान कंवल सिंह चौहान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। एलएलबी करने के बाद उन्होंने वकालत की जगह खेती को प्राथमिकता दी। बेबी कॉर्न और मशरूम की खेती के लिए प्रसिद्ध कंवल सिंह के यहाँ हर हजारों की संख्या में विदेशी किसान भी प्रशिक्षण लेने आते हैं।

बाबूलाल दाहिया, मध्य प्रदेश


सतना के पिथौराबाद गाँव के किसान बाबूलाल दाहिया 75 साल के हैं लेकिन खेती में अपने प्रयोग के लिए जाने जाते हैं तो बघेली के जानेमाने कवि भी हैं। पोस्ट मास्टर के पद रिटायर होने के बाद बाबूलाल 8 एकड़ खेत में जैविक खेती करते हैं। उनके पास देशी धान की 110 किस्मों का खजाना है। कम पानी में भी ये किस्में अच्छी उपज देती हैं।

हुकुमचंद पाटीदार, राजस्थान


स्वामी विवेकानंद एग्रिकट्रियल रिसर्च फार्म के संस्थापक हुकुमचंद पाटीदार झालवाड़ में 40 एकड़ में जैविक खेती करते हैं। उनके उत्पाद दुनिया के 7 देशों में जाते हैं। आमिर खान अपने शो सत्यमेव जयते भी हुकुमचंद की चर्चा कर चुके हैं। गेहूं, जौ, चना, मेथी, धनिया की खेती करने वाले हुकुमचंद राजस्थान में मिसाल के तौर पर देखे जाते हैं।

राजकुमारी देवी, बिहार


मुजफ्फरपुर, सरैया प्रखंड के गाँव आनंदपुर की रहने वाली राजकुमार देवी को लोग आज किसान चाची के नाम से जानते हैं। किसान श्री पुरस्कार सम्मानित राजकुमारी जब अपने घर से निकलीं तो उन्हें हिकारत भरी नजरों से देखा गया, लेकिन आज वो उसी समाज को गौरान्वित कर रही हैं। गाँव-गाँव साइकिल से जाकर महिलाओं को जागरूक करने के साथ-साथ जैविक तरीके से खेती करती हैं साथ ही खुद के बनाये मुरब्बा, आंवले के अचार की मार्केटिंग भी करती हैं।

भारत भूषण त्यागी, उत्तर प्रदेश



मिश्रित और सहफसली खेती करके साल में एक एकड़ से 3 से 4 लाख रुपए कमाते हैं भारत भूषण त्यागी। यानि एक औसत किसान से 4 से गुणा ज्यादा कमाई। देश का एक आम किसान सालभर में एक एकड़ जमीन से मुश्किल से 50 हजार से एक लाख रुपए ही कमा पाता है। भारत भूषण त्यागी को जैविक कृषि कुंभ में धरती पुत्र सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं। खुद तो खेती करते ही हैं साथ ही मिश्रित और सहफसली खेती के लिए किसानों को जागरूक करते हैं।

रामसरन वर्मा, उत्तर प्रदेश


बाराबंकी के हरख ब्लॉक, गाँव दौलतपुर के प्रगितिशील किसान रामसरन वर्मा केला, टमाटर, आलू और मेंथा की खेती करते हैं। रामसरन को फसल चक्र के लिए जाना जाता है। इनके पास 10 एकड़ जमीन ही है लेकिन लीज पर लेकर 110 एकड़ में खेती करते हैं। 50 हजार से ज्यादा किसानों को फसल चक्र का प्रशिक्षण दे चुके हैं। विदेश से भी किसान सीखने आते हैं। बाराबंकी के आसपास के जिलों में रामसरन अपनी केले की खेती के जाने जाते हैं।

जगदीश प्रसाद पारीक, राजस्थान


जैविक खेती में नायाब प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध जगदीश प्रसाद ने 15 किलो का गोभी का फूल उगाकर सबको चौका दिया था। जैविक तरीके से उगाये गये इसे गोभी को आईआईएम ने भी प्रमाणित किया। गिनीज बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में इनका नाम दर्ज है। सीकर जिला के अजीतगढ़ के रहने वाले जगदीश राष्ट्रपति और राज्यपाल के हाथों भी सम्मानित हो चुके हैं।

वल्लभभाई वासराभाई, गुजरात


96 साल के वल्लभभाई वासराभाई मारवाणिया जब 13 साल के तभी खेती से जुड़ गये। उन्हें इससे पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं। वल्लभभाई वासराभाई गाजर की खेती के लिए जाने जाते हैं। जूनागढ़ के रहने वाले वल्लभभाई वासराभाईबस पांचवीं पास हैं। गाजर से कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है, इन्होने बताया। इनके यहाँ गाजर पहले बस चारे के लिए उगाया जाता था, लेकिन इन्होंने ये सोच बदली।

कमला पुजारी, ओडिशा


कोराटपुर जिले की आदिवासी महिला किसान कमला पुजारी उर्फ़ कमला माँ को राज्य सरकार ने पिछले दिनों योजना बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया था। कमला विलुप्त प्रजाति के धान की किस्म की सुरक्षा के लिए वर्षों से काम कर रही हैं।

वेंकटेश्वर राव यादलापल्ली, आंध्र प्रदेश


कुन्नूर के वेंकटेश्वर राव यादलापल्ली बहुत कम उम्र से ही खेती कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के लिए पहले पत्रिका फिर मोबाइल ऐप लॉन्च किया। किसानों की मदद के लिए पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। किसानों को उर्वरक और कीटनाशकों के सही प्रयोग के प्रति जागरूक करने के लिए 2016 रैथु नेस्थम फाउंडेशन की स्थापना की जिसके तहत किसानों को फोन पर भी जानकारी दी जाती है।

क्या है पद्म पुरस्कार

पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। यह पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, जनहित के मामलों, विज्ञान, इंजीनियरिंग, व्यापर, उद्योग, मेडिसिन, साहित्य, शिक्षा, खेलकूद, नागरिक और कृषि कार्यों के लिए दिए जाते हैं। ये पुरस्कार हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर घोषित किये जाते हैं। पुरस्कारों के वितरण अप्रैल में राष्ट्रपति के हाथों किया जाता है। वर्ष 1954 में पहली बार पद्म अवार्ड की घोषणा की गयी थी। 1978, 1979, और 1997 के बाद से यह पुरस्कार हर साल दिया जा रहा है।

वो खेती से जुड़े लोग जिन्हें मिल रहा है पद्म पुरस्कार।



  

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