औरैया सड़क हादसा : पांच दिन के बच्चे ने अपना पिता तो एक माँ ने अपना सहारा खोया, एक बदहवास पिता उधारी लेकर बेटे को ढूढने निकल पड़ा

औरैया हादसे में अपनी जान गंवा चुके झारखंड के बोकारो जिले के राहुल सहीस पांच दिन पहले ही पिता बने थे। राहुल को जब यह पता चला कि 11 मई को उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया है जिसकी छठी 17 मई को है तो वो तीन दिन पहले पैदल ही राजस्थान से अपने घर के लिए चल दिए थे।

Neetu SinghNeetu Singh   16 May 2020 6:17 PM GMT

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औरैया सड़क हादसा : पांच दिन के बच्चे ने अपना पिता तो एक माँ ने अपना सहारा खोया, एक बदहवास पिता उधारी लेकर बेटे को ढूढने निकल पड़ाराहुल की पत्नी पांच दिन के बच्चे को गोद में लिए हुए. फोटो- साभार

एक दिन के सड़क हादसे में हुई मजदूरों की मौतों की चीखें थमती नहीं हैं तबतक दूसरी दुर्घटना की चीखें तेज हो जाती हैं।

औरैया सड़क हादसे में मरने वाले 25 मजदूरों में से एक वो मजदूर भी शामिल था जो पांच दिन पहले ही पिता बना था। एक वो मजदूर भी था जो अपनी माँ का इकलौता सहारा था, एक वो भी था जिसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं।

औरैया हादसे में अपनी जान गंवा चुके झारखंड के बोकारो जिले के राहुल सहीस पांच दिन पहले ही पिता बने थे। राहुल को जब यह पता चला कि 11 मई को उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया है जिसकी छठी 17 मई को है। राहुल तीन दिन पहले पैदल ही राजस्थान से अपने घर के लिए चल दिए थे।

रास्ते में कुछ पुलिसवालों ने पैदल चल रहे मजदूरों को एक ट्रक में बिठा दिया जिसमें राहुल भी थे। एक साल पहले राहुल की शादी हुई थी ये छह महीने पहले राजस्थान कमाने गये थे।

बोकारो जिला के गोपालपुर गाँव के रहने वाले राहुल के पिता विभूती सहीस ने बताया कि बेटे को फोन करके पोता होने की खबर दी थी, बहुत खुश था वो। हमने राहुल को बताया कि 17 मई को पोते की छठी है उसने कहा कि वो आ जाएगा।

जिस बेटे से मिलने के लिए राहुल जयपुर से 1300 किलोमीटर से ज्यादा दूरी नापने के लिए पैदल ही चल दिए थे उन्हें नहीं पता था कि वो अपने बेटे से मिल ही नहीं पाएंगे। राहुल का परिवार इस समय बात करने की स्थिति में नहीं है। राहुल समेत इस गाँव के पांच लोगों की इस हादसे में मौत हुई है।

गोपालपुर गाँव के रहने वाले राजकुमार गोस्वामी (25 वर्ष) ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "मेरे ही पड़ोस के राजा जेलर (25 वर्ष), उत्तम (22 वर्ष) और सोमनाथ (18 वर्ष) मरे हैं। आज गाँव में किसी के घर चूल्हा नहीं जला। जो मरे हैं उनके घर के हालत मत पूछिए ... सोमनाथ के तो पिता नहीं हैं माँ का इकलौता बेटा था। बहन की शादी के लिए कमाने गया था। बहन की शादी तय थी इस बार कमाकर आता तो शादी हो जाती।"

"जो लोग मरे हैं इनके रहने के लिए गाँव में बस टूटाफूटा घर है और कुछ नहीं। कई सालों से बाहर रहकर कमा रहे थे। अब इन परिवारों में कमाने वाला कोई नहीं बचा। परिवार वाले रो-रोकर पागल हैं। रात में ही राजा जेलर ने फोन करके बताया था कि हम लोग गाड़ी में बैठ लिए हैं, सुबह तक गया पहुंच जायेंगे," राजकुमार गोस्वामी मृतकों के परिवारों की व्यथा बता रहे थे।

औरैया अस्पताल में अपने बच्चों के साथ घायल वन्दना को मध्यप्रदेश के सागर जिले में जाना है.

शनिवार 16 मई को तड़के सुबह साढ़े तीन बजे उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में ट्रक और ट्राले की टक्कर में 26 मजदूरों की मौत हो गई जबकि 40 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। ये सभी मजदूर राजस्थान से निकले थे जो बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जा रहे थे। इस हादसे में बोकारो जिले के 12 मजदूर जो 30 साल से कम उम्र के थे इनकी दर्दनाक मौत हो गयी।

औरैया सड़क हादसे की खबर जब झारखंड के पलामू जिला के चीरू गाँव में रहने वाले नीतीश (21 वर्ष) के पिता सुदामा यादव को लगी तो सुबह से ही फोन करके औरैया जनपद के अधिकारियों से अपने बेटे की सलामती के बारे में पता करने में जुटे थे। जब दोपहर तक इन्हें अपने बेटे के बारे में कुछ नहीं पता चला तो ये बेटे को ढूढने के लिए पलामू से 700 किलोमीटर दूर औरैया के लिए निकल पड़े हैं।

"डेढ़ साल पहले बेटा कमाने गया था। जयपुर में एक मार्बल फैक्ट्री में काम करता था। दो महीने से काम बंद था तो वो वहां परेशान था। घर आने के लिए बोला तो मैंने 3,000 रूपये उसके खाते में भेज दिए। शुक्रवार रात आठ बजे फोन से बताया था कि वो गाड़ी पर बैठ गया है। सुबह जब उसका फोन लगाया तो स्विच ऑफ़ था तबसे अभी तक खुला नहीं। बेटा कहां है? किस हालत में है, कुछ नहीं पता हमें। पैसा उधार लिए गाड़ी बुक की, सुबह तक औरैया पहुंच जाएंगे, " सुदामा यादव के कहे एक-एक शब्दों में तकलीफ थी। सुदामा यादव के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए बेटे को कमाने के लिए बाहर भेज दिया था खुद गाँव में रहकर मजदूरी करते थे।

सड़क दुर्घटना में पिछले तीन दिनों में (14 से 16 मई के बीच) देश के अलग-अलग हिस्सों में 50 से ज्यादा मजदूरों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। घर पहुंचने से पहले ही देशव्यापी लॉकडाउन के 51 दिनों में 516 मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं जिसमें पैदल जा रहे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है।

एक पिता अपने घायल बच्चों के साथ.

"हम दोनों एक ही फैक्ट्री में काम करते थे। होली में हम गाँव आ गये फिर वापस जा नहीं पाए वो वहीं पर थे। दो महीने से काम बंद था नंदकिशोर को वहां खाने की दिक्कत हो रही थी इसलिए परिवार लेकर गाँव आ रहे थे। हमारे यहाँ के 10-12 लोगों ने मिलकर फरीदाबाद से गाड़ी बुक की थी। एक आदमी पर 2,000 रूपये में गाड़ी बुक हुई थी, बाकी सब ठीक हैं केवल नंदकिशोर ही नहीं बचे, " हादसे में मृतक नंदकिशोर के पड़ोसी आशिक ने बताया।

घटना के एक दिन पहले ही नंदकिशोर ने अपने दोस्त आशिक से फोन करके बताया था कि वो गाड़ी बुक करके गाँव आ रहे हैं। इनकी पत्नी पांच और सात साल के दो बच्चे साथ में आ रहे थे जो सुरक्षित हैं। नंदकिशोर झांसी जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर रूरा गाँव के रहने वाले हैं। तीन भाईयों में सबसे बड़े नंदकिशोर मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते थे।

जिस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगा है उस संक्रमण से अबतक भारत में 86,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 2752 लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में 46 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हैं। अबतक तीन लाख से ज्यादा लोग मर चुके हैं।

सैफई अस्पताल में अपने तीन घायल बच्चों के साथ बैठी वन्दना को मध्यप्रदेश के सागर जिले में जाना है। वन्दना घटना के वक़्त जग रहीं थीं। वन्दना बताती हैं, "ड्राइवर चाय पीने के लिए ढाबे पर रुका था, कुछ और लोग भी चाय पीने गये थे। हम लोगों की गाड़ी रोड के किनारे खड़ी थी तबतक एक ट्रक ने टक्कर मार दी और हमारी गाड़ी खाई में गिर गयी। मजबूरी में हम लोग गाड़ी बुक करके गाँव जा रहे थे पर अभी तो सबको बहुत चोट लगी है।"

इस हादसे में देवरिया जिले के घायल अरविन्द सिंह ने बताया, "हम भरतपुर राजस्थान से आ रहे थे। ट्रक में चूना भरा था जिसके ऊपर 100-150 मजदूर अलग-अलग जगहों के बैठे थे। मेरे साथ का एक दोस्त इसमें मर गया। कोरोना का इतना डर था कि जान बचाने के लिए घर को भागे पर घर भी नहीं पहुंच पाए।"

अरविन्द के सर और कमर में काफी चोट है इन्हें बात करने में काफी दिक्कत हो रही है। अभी हादसे में घायल लोगों को सैफई और औरैया जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।

इस हादसे में कई लोगों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। घायल लोग अपने साथियों को ढूढ़ रहे हैं जिनका कुछ पता नहीं चल रहा है। झांसी जिले की कांति ने गाजियाबाद से 1500 रूपये झांसी तक किराया दिया था। इनके तीनों बच्चों को चोट लगी है। वन्दना बताती हैं, "मैं अपने देवर को घटना के बाद से खोज रही हूँ कोई बता नहीं रहा है कि वो कहां हैं। हमें नहीं पता था ऐसा हो जायेगा नहीं तो गाजियाबाद से ही नहीं आते। भूखे मर जाते कमसेकम इतनी तकलीफ में तो न मरते।"

झारखंड के जिस बोकारो जिला के गोपालपुर गाँव के पांच लोग इस हादसे में मरे हैं उसी गाँव के धनजय कालिंदी के सर में काफी चोट है। धनजय कालिंदी बताते हैं, "हमारी आँख लग गयी थी जब गाड़ी पलटी तब आँख खुली हमारी। मदद के लिए दुकान वाले के पास गये। हमारे यहाँ के बहुत लोग मर गये हैं, घर जाने के लिए सब कबसे परेशान थे। पैदल ही चल दिए थे रास्ते में पुलिस वालों ने गाड़ी पर बिठा दिया हमें। सब चले गये हमें छोड़कर।"

नोट- अपडेट--- औरैया हादसे में 16 मई को जो पिता अपने बेटे को खोजने झारखंड के पलामू से औरैया के लिए निकला था, आज 17 मई को औरैया पहुंचकर उन्हें पता चला की कि उनके बेटे नीतीश की मौत हो गयी है।

   

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