जीएसटी को लागू किया जाना भारतीय संसद की परिपक्वता का श्रेष्ठ प्रमाण : प्रणब मुखर्जी 

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जीएसटी को लागू किया जाना भारतीय संसद की परिपक्वता का श्रेष्ठ प्रमाण : प्रणब मुखर्जी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी के साथ।

नई दिल्ली (भाषा)। संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आज आयोजित समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों ने विदाई दी। मुखर्जी ने इस मौके पर कहा कि उनके व्यक्तित्व का विकास संसद में ही हुआ।

मुखर्जी ने इस बात का स्मरण किया कि उन्होंने 48 वर्ष पहले 34 वर्ष की आयु में इस पवित्र संस्था के प्रांगण में पहली बार प्रवेश किया। लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य के रूप में 37 वर्षों तक कार्य किया। उनका संसदीय कार्यकाल ज्ञानगर्भित और शिक्षाप्रद रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन दिनों संसद के दोनों सदनों में सामाजिक और वित्तीय विधानों पर जीवंत चर्चाएं और विद्वत्तापूर्ण एवं विस्तृत वाद-विवाद होते थे।

उन्होंने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि उनके संसदीय कार्यकाल के आरंभिक दिनों में ही गरीब-हितैषी और किसान-हितैषी विधानों को अधिनियमित होते हुए देखना उनके लिए प्रसन्नता का विषय था, मुखर्जी ने इस बात का उल्लेख किया कि हाल ही में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) विधान को पारित किया जाना और एक जुलाई 2017 को इसे लागू किया जाना सहकारी संघवाद का जीवंत उदाहरण है। यह बात भारतीय संसद की परिपक्वता का श्रेष्ठ प्रमाण है।

विधानों को संसद में रखे जाने से पूर्व भी समीक्षा की जाए

मुखर्जी ने कहा कि एक महान भारत के उद्भव के क्रमिक रुप से बदलते परिदृश्य को देखने और इसमें भाग लेने का उन्हें विशेष अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्य भूमि और द्वीपों के 33 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैले इस विशाल भूभाग के प्रत्येक हिस्से को संसद में प्रतिनिधित्व प्राप्त है और प्रत्येक सदस्य के विचार महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने यह चिंता व्यक्त की कि विधान निर्माण हेतु समपर्ति संसद का समय में कम होता जा रहा है।

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रशासन की लगातार बढ़ती जटिलता को देखते हुए विधानों को संसद में रखे जाने से पूर्व ही इनकी संवीक्षा की जानी चाहिए और उन पर पर्याप्त चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब संसद कानून बनाने की अपनी भूमिका में असफल रहती है या चर्चा किये बिना कानून बनाती है, तो यह संसद के प्रति लोगों के विश्वास को खंडित करती है। इस समारोह में उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति, एम. हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपस्थित थे।

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