पश्चिम बंगाल की सड़कों पर सबसे ज्यादा मरते हैं पैदल यात्री

हाल के वर्षों में देश भर में हुई सड़क दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों की मौतों का ग्राफ पश्चिम बंगाल में दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ा है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पश्चिम बंगाल की सड़कों पर सबसे ज्यादा मरते हैं पैदल यात्री

उमाशंकर मिश्र

नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले पैदल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल के वर्षों में देश भर में हुई सड़क दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों की मौतों का ग्राफ पश्चिम बंगाल में दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे तेजी से बढ़ा है।

राज्यसभा में 02 दिसंबर को पूछे गए एक सवाल के जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में यह बात उभरकर आई है।

पिछले साल देश के विभिन्न राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक 2,618 पैदल यात्रियों की मौत पश्चिम बंगाल में हुई थी, जबकि वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में 72 पैदल यात्रियों की मौत हुई थी। पश्चिम बंगाल में पैदल यात्रियों की मौतों का आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर वर्ष 2017 में 1,039 और वर्ष 2018 में 2,618 तक पहुंच गया।

मौतों के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव की जानकारी नहीं

तमिलनाडु में वर्ष 2018 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों की मौतों के आंकड़े में गिरावट देखी गई है। वर्ष 2017 के 3,507 के मुकाबले तमिलनाडु में पैदल यात्रियों की मौतों का आंकड़ा वर्ष 2018 में 768 दर्ज किया गया है। वर्ष 2015 एवं 2016 में तमिलनाडु में क्रमशः 2,618 और 2,966 पैदल यात्रियों के सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने के मामले सामने आए थे। हालांकि, पैदल यात्रियों की मौत के आंकड़ों में इस तरह के उतार-चढ़ाव के कारणों की विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है।


पैदल यात्रियों की सर्वाधिक मौतों के मामले में दूसरा स्थान महाराष्ट्र का है, जहां पिछले वर्ष 2,515 पैदल यात्रियों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी। वर्ष 2016 के आंकड़ों के मुकाबले पिछले साल महाराष्ट्र में 412 अधिक पैदल यात्रियों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। वर्ष 2015 में महाराष्ट्र में 1,162, वर्ष 2016 में 2,103 और वर्ष 2017 में 1,831 पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।

यह भी पढ़ें :
गांवों में शहरों से ज्यादा हो रहीं सड़क दुर्घनाएं, तेज रफ्तार रोक पाने में शहर भी फिसड्डी

वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 1.51 लाख लोग मारे गए थे, जिनमें 22,656 पैदल यात्री शामिल थे। पैदल यात्रियों की मौत के ये आंकड़े सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पैदल यात्रियों की मौतों का सिलसिला वर्ष 2015 से लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2015 में 13,894, वर्ष 2016 में 15,746 और वर्ष 2017 में 20,457 पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं।

'तेज रफ्तार गाड़ियों की आते हैं चपेट में'

नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-सड़क अनुसंधान संस्थान में ट्रैफिक इंजीनियरिंग एंड सेफ्टी डिविजन के प्रमुख सुभाष चंद ने बताया, "पैदल यात्रियों की सुरक्षा एक संवेदनशील विषय है। शहरों में फुटपाथों के टूटे-फूटे होने या फिर अतिक्रमण के कारण पैदल यात्रियों को सड़क पर चलना पड़ता है जिससे वे तेज रफ्तार गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं। दूसरी ओर, भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें आमतौर पर घुमावदार होती हैं और उन पर प्रायः फुटपाथ भी नहीं होते हैं। ऐसे में पैदल यात्रियों पर दुर्घटनाओं का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।"

पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश में 1,569, मध्य प्रदेश में 1,504, कर्नाटक में 1,519, हरियाणा में 1,471, राजस्थान में 1,448, उत्तर प्रदेश में 1,366, केरल में 1,250, गुजरात में 1,170, तेलंगाना में 1,093, बिहार में 756, ओडिशा में 706, असम में 515, गोवा में 438, दिल्ली में 420, पंजाब में 415 और झारखंड में 345 पैदल यात्रियों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी।

राज्य सभा में एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि पिछले साल सड़कों पर गड्ढों के कारण कुल 4,869 दुर्घटनाएं हुई थी, जिनमें 2,015 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 4,108 लोग घायल हुए थे।

सड़कों में गड्ढों के कारण उत्तर प्रदेश में हुईं सबसे ज्यादा मौतें

सड़कों में गड्ढों के कारण वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक 1,043 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। इसके बाद हरियाणा में 222 और महाराष्ट्र में 166 पैदल यात्रियों की मौत का जिम्मेदार सड़क पर गड्ढों को पाया गया है। पिछले वर्ष तमिलनाडु में 102, झारखंड में 78, असम में 68, मध्य प्रदेश में 59, पंजाब में 64, पश्चिम बंगाल में 39, राजस्थान में 36, ओडिशा में 35, छत्तीसगढ़ में 20 और दिल्ली में 18 लोगों की मौत का कारण सड़कों के गड्ढे हैं।

यह भी पढ़ें : मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019: बढ़े चालान के अलावा ये बातें भी आपको पता होनी चाहिए

वर्ष 2017 में भी उत्तर प्रदेश में सड़कों पर गड्ढों के कारण 987 लोग मारे गए थे। वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में 726 और हरियाणा में 522 लोगों को सड़कों के गड्ढों के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश में सड़कों के गड्ढों के कारण 714, महाराष्ट्र में 329 और ओडिशा में 208 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

वर्ष 2016 में सड़क पर गड्ढों के कारण कुल 6,424 सड़क दुर्घटनाओं में 2,324 लोग मारे गए थे। वर्ष 2015 में सड़कों पर गड्ढों के कारण कुल 10,876 दुर्घटनाएं सामने आईं, जिनमें 3,416 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी। वर्ष 2014 में गड्ढों के कारण हुई कुल 11,106 सड़क दुर्घटनाओं में 3,039 लोग मारे गए थे।

(साभार : इंडिया साइंस वायर)


Posted By : Kushal Mishra



  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.