'किसान अगर आलू उगाना छोड़ देंगे, तो पेप्सिको को भी भारत छोड़ना होगा'

गुजरात के आलू किसान और पेप्सिको इंडिया कंपनी के मुकदमे को लेकर आलू किसानों के वकील आनंद याग्निक से गाँव कनेक्शन ने ख़ास बातचीत की।

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मिथिलेश धर दुबे/रणविजय सिंह, गाँव कनेक्शन

साबरकांठा/डीसा/अहमदाबाद (गुजरात)। अमेरिका की खाद्य और पेय पदार्थ कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के आलू किसानों पर किए गए मुकदमे को वापस ले लिया है। हालांकि इस मामले में बीज के स्वामित्व को लेकर मामला अभी भी गर्माया हुआ है। केस वापस होने के बाद किसानों ने कहा है कि इस केस की वजह से उनकी काफी बदनामी हुई है और वे इसलिए पेप्सिको से लिखित माफी के साथ-साथ एक रूपए के जुर्माने की मांग करते हैं। वहीं किसानों के वकील ने भी कहा कि कोई विदेशी कंपनी भारत के किसानों को किसी भी किस्म के फसल उगाने से रोक नहीं सकती। आलू किसानों के वकील आनंद याग्निक से गांव कनेक्शन ने खास बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर पेप्सिको किसानों से आलू उत्पादन छोड़ने को कहती है तो पेप्सिको को भी हिंदुस्तान छोड़ना होगा। पेश है इस बातचीत का प्रमुख हिस्सा-

'भारत के किसान चोर नहीं है'

गाँव कनेक्शन से बात करते हुए आनंद याग्निक ने दो टूक कहा, "भारत के किसान चोर नहीं है, जबकि अमेरिका से आई हुई एक कंपनी उन्हें चोर कह रही है। भारत के किसान चोर नहीं है, यह पेप्सिको को समझना होगा।"

हालांकि आनंद ने स्वीकार किया कि प्रोटेक्शन ऑफ प्लान्ट वैरायटी एंड फॉर्मर राइट एक्ट 2001 के तहत पेप्सिको को एफसी-5 किस्म के आलू पर पेटेंट मिला है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसान इसे उगाकर बेच नहीं सकते।

आनंद बताते हैं, "संविधान की धारा 39 (आजिविका के साधन) के अनुसार भारत में किसानों का अधिकार सर्वोपरि है। इस धारा के अनुसार अगर किसान बिना बीज खरीदे रजिस्टर्ड बीज का प्रयोग करे या उसे बाजार में बेचे तो भी यह अपराध नहीं है, जब तक कि किसान उस उत्पाद पर अपना खुद का नाम या दावा नहीं करे या उसे किसी कंपनी के नाम से बेचे।"

उन्होंने आगे कहा, "किसान तब अपराधी होते अगर वह आलू को पेप्सिको के नाम से बाजार में बेचते या उस आलू पर अपने नाम का एकाधिकार बताते।"

पढ़ें- पेप्सिको ने सभी किसानों पर से मुकदमा वापस लिया

'क्या अब आलू की सब्जी बनाने या खाने से पहले अमेरिकी कंपनी से पूछना होगा?'

आनंद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या हमें आलू की सब्जी बनाने या खाने से पहले भी पेप्सिको से पूछना पड़ेगा?

आनंद ने कहा, "2009 से 2016 के बीच पेप्सिको ने इस आलू के किस्म को देश भर में फैलाया और जब यह किस्म किसानों में प्रचलित हो गई तो 2016 में इसका रजिस्ट्रेशन कर इसे पेटेंट करा लिया। लेकिन तब तक यह किसानों में प्रचलित हो गया था।"

एक सोची समझी-साजिश की ओर इशारा करते हुए आनंद ने कहा, "2018 में पेप्सिको ने किसानों की जासूसी करना शुरू कर दिया। उनसे मोल-भाव किए गए और उनके वीडियो बनाए गए। यह किसानों की निजता के साथ खिलवाड़ जैसा था।"

पेप्सिको ने अप्रैल माह की शुरुआत में गुजरात के चार किसानों पर अवैध रूप से आलू की एक विशेष किस्मा उगाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। पेप्सिको का कहना था कि ये किसान अवैध रूप से आलू की एक ऐसी किस्मत को उगा और बेच रहे थे जिसे पेप्सिको को ने रजिस्टर करा रखा है।

पेप्सिको का दावा था कि आलू के इस किस्म से वे लेज ब्रैंड के चिप्स बनाते हैं और इसे उगाने का उनके पास एकल अधिकार है।

इस मामले में भारत के किसान संगठनों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की थी कि किसानों पर किए गए मुकदमें को पेप्सिसको तुरंत वापस ले। इस दबाव के चलते गुजरात सरकार से बातचीत के बाद पेप्सिको ने मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया था।

'किसानों को विश्वास में लिए बिना गुजरात सरकार की बातचीत समझ से परे है'

गुजरात सरकार से भी नाराजगी जताते हुए आनंद ने कहा, "गुजरात सरकार ने बिना किसानों से कोई बात किए पेप्सिको के साथ समझौता कर लिया। यह समझ से परे है।" आगे कहा, "पेप्सिको के साथ किसी भी तरह का समझौता करने से पहले किसानों को विश्वास में लेना चाहिए था। इसलिए ही यह समझौता किसानों में विश्वास नहीं पैदा कर पा रहा और किसान पेप्सिको के केस वापस लेने के फैसले को संदेह के नजर से देख रहे हैं।"

पढ़ें- Pepsico ने गुजरात के आलू किसानों से केस वापस लिया, जानिए क्या था मामला

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