आलू के बीज विवाद में पेप्सिको को करारा झटका, आलू किस्म FL-2027 पर आईपीआर होगा रद्द

Arvind ShuklaArvind Shukla   3 Dec 2021 10:53 AM GMT

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आलू के बीज विवाद में पेप्सिको को करारा झटका, आलू किस्म FL-2027 पर आईपीआर होगा रद्दआलू के बीज विवाद में पेप्सिको को झटका। फोटो प्रतीकात्मक

नई दिल्ली। खाने पीने की चीजें बनाने वाली कंपनी पेप्सिको को करारा झटका लगा है। पौध की किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने आलू की किस्म (एफएल-2027) को लेकर किसानों के हक में फैसला सुनाते हए पीवीवी प्रमाण पत्र रद्द करने वाली याचिका स्वीकार कर ली है। इस प्रमाण पत्र के जरिए ही पेप्सिको ने आलू की इस खास किस्म पर पौध किस्म संरक्षण (प्लांट वेराइटी प्रोटेक्शन-पीवीपी) अधिकार का दावा करते हुए साल 2018-19 में गुजरात के किसानों पर मुकदमा करते हुए 1 एकड़ तक के मुआवजे का दावा किया गया था।

पौध किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने 3 दिसंबर को वर्अचुल सुनवाई के दौरान भारत में आलू की किस्म (एफएल-2027) पर पेप्सिको इंडिया होल्डिंग को दिए गए पीवीपी प्रमाणपत्र को रद्द करने की याचिका स्वीकार कर ली।

"ये बहुत बड़ा फैसला है। पेप्सिको ने जो गुजरात में किया था वो दोबारा ऐसा नहीं कर पाएगा क्योकि उसका सर्टिफिकेट ही नहीं रहेगा। पेप्सी अब किसानों को नहीं सता पाएगा।" याचिकाकर्ता कविता कुरुगंती ने गांव कनेक्शन से फोन पर कहा।

याचिकाकर्ता और अलाएंस फॉर सस्टेनबल होलीस्टिक एग्रीकल्चर (ASHA) से जुड़ी कविता ने आगे कहा, "इस मामले में पेप्सी की हार के अलावा एक बड़ी बात है ये है कि सभी कंपनियों को एक मैसेज चला गया है कि आईपीआर के नाम पर कोई किसानों को सता नहीं पाएगा। कंपनियों को ये समझ में आएगा कि उनका हक किसानों के हक के ऊपर नहीं है।"

इस संबंध में ईमेल से भेजी गई अपनी पतिक्रिया में पेप्सिको इंडिया (PEPSICO INDIA) के प्रवक्ता ने कहा, "हम पीपीवीएफआर प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश से अवगत हैं और इसकी समीक्षा करने की प्रक्रिया में हैं। इसलिए, इस समय कोई विस्तृत टिप्पणी देना जल्दबाजी होगी।"

कविता के मुताबिक देश में बीज से संबंधित कानून बनाने वक्त (1999 से 2001 तक) शामिल कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात का खास ध्यान कि जहां का भी बीज हो, वो किसान के मामले में ओपन सोर्स है। कोई कहीं उगा सकता है। कोई ये नहीं कह सकता कि वो ये नहीं कर सकता है कि ये मेरा है तुम नहीं कर सकते है। पेप्सिको ने उक्त प्रमाणपत्र का गलत तरीके से उपयोग कर किसानों को परेशान किया। कविता ने कहा, "पेप्सिको के पास पहले ही अधिकार ही नहीं था लेकिन जिस सर्टिफिकेट पर किसानों को परेशान कर रही थी वो भी नहीं रहेगा।"

पौध किस्म संरक्षण तथा कृषक अधिकार कानून, 2001 के तहत कोई किसान कहीं का भी कोई बीज बो सकता है और बेच भी सकता है लेकिन विशेषाधिकार प्राप्त किस्मों की कमर्शियल ब्रांडिग नहीं कर सकता है।

किसान बीज मंच कपिल शाह ने अहमदाबाद से फोन पर गांव कनेक्शन से कहा, "ये फैसला किसानों की जीत तो है साथ ही ये भी तय करता है किसानों को अपने बीज बनाने और अपने बीज बोने का अधिकार हमेशा रहेगा। इस संबंध में जो गलतफहमियां थीं वो भी दूर हो गईं।"

गुजरात में पेप्सिको ने किया था किसानों पर मुदकमा

शीतल पेय और चिप्स समेत कई चीजों को बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको ने ने गुजरात के बनासाकंठा समेत कई दिलों में 2018-19 में 11 किसानों के खिलाफ उनकी विशेषाधिकार आलू की किस्म को उगाने और बेचने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। साल 2019 में ही कंपनी ने किसानों पर पौध किस्म संरक्षण तथा कृषक अधिकार कानून, 2001 के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए किसानों पर 20 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक के हर्जाने की मांग की थी। हालांकि किसान और सामाजिक संगठनों के भारी विरोध के बाद कंपनी ने मई 2019 में मुकदमा वापस लेने का ऐलन कर दिया था।

पेप्सिको को इस विशेष किस्म के लिए फरवरी 2016 में पौधे किस्म के प्रमाण पत्र में दिए गए पेप्सिको के वैराइटी आईपीआर को प्राधिकरण द्वारा वापस ले लिया जाएगा।

निरसन आवेदन में भारत के पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों के संरक्षण (पीपीवी और एफआर) अधिनियम 2001 में विशिष्ट खंड (धारा 34 (जी)) का इस्तेमाल किया गया और तर्क दिया गया कि आलू की किस्म पर पेप्सिको इंडिया को दिया गया आईपीआर निर्धारित प्रावधानों के अनुसार नहीं था। पंजीकरण और जनहित के खिलाफ भी था।

इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता कविता कुरुगंती ने 11 जून, 2019 को ये याचिका दायक की थी। और करीब 30 मीने बाद याचिका स्वीकार कर लगी गई है। कविता के मुताबिक पेप्सिको के पास मूल पंजीकरण समय अवधि के लगभग दो महीने शेष हैं जो 31 जनवरी 2022 तक थी (कंपनी को दिया गया पंजीकरण प्रमाण पत्र 31 जनवरी 2031 तक नवीकरणीय था, लेकिन अब निरस्त हो गया है)।

कानूनी शोधकर्ता और कृषि और जैव विविधता में आईपीआर विशेषज्ञ शालिनी भूटानी ने बयान के मुताबिक "प्राधिकरण का यह निर्णय महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। और ये किसानों की बीज स्वतंत्रता को कायम रखता है।"

किसानों के संगठन आशा के बयान के मुताबिक पेप्सिको का मुकदमा झेलने वाले वाले किसानों में शामिल गुजरात के बिपिन बाई पटेल ने कहा, "हम प्राधिकरण के साथ दायर इस मामले के परिणाम से खुश हैं और किसानों के अधिकारों का दावा करने वाली मिसाल कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए गर्व महसूस करते हैं।", बिपिन भाई पटेल साल 2019 मुकदमा किया गया था।


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