कोल्ड ड्रिंक बनाने वाली कंपनी के बॉटलिंग प्लांट ने 63 कर्मचारियों को एक झटके में निकाला

कानपुर की एक कंपनी ने 63 कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज भेजकर नौकरी से हटाए जाने की नोटिस दे दी। ये कर्मचारी ट्विटर पर प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री और श्रममंत्री को टैग करते हुए इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   3 Aug 2020 6:57 AM GMT

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कोल्ड ड्रिंक बनाने वाली कंपनी के लिए बाटलिंग करने वाली एक कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना के 63 स्थाई कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। ये कर्मचारी ट्विटर पर प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री और श्रममंत्री को टैग करते हुए इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के अकबरपुर क्षेत्र के जैनपुर में स्थित वरुण बेवरेज लिमिटेड कंपनी है। जिसने पेप्सिको की फ्रेंचाइजी ले रखी है। इसमें शीतल पेय कंपनी पेप्सिको के लिए बाटलिंग होती है। कर्मचारियों का आरोप है कि वरुण बेवरेज लिमिटेड कंपनी ने 30 जून को बिना किसी पूर्व सूचना के 63 कर्मचारियों को व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज भेजकर नौकरी से हटाए जाने की नोटिस दे दी। एक महीने से ज्यादा धरने पर बैठे ये कर्मचारी अपनी नौकरी वापसी की मांग कर रहे हैं। ये कर्मचारी 20-25 साल से यहाँ नौकरी कर रहे थे।

इन कर्मचारियों के टीम लीडर देवेन्द्र सिंह गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "हम 30 जून को सुबह नौ से पांच बजे तक ड्यूटी पर थे, शाम साढ़े चार बजे हमें ये कहकर गेट से बाहर किया गया कि आज जल्दी छुट्टी हो रही है। गेट से बाहर निकलते ही सबको व्हाट्सएप पर एक मैसेज आ गया कि आप सबको नौकरी से निकाला जा रहा है। ऐसी महामारी में हम लोगों के बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा? हमें कहां नौकरी मिलेगी।"

नौकरी से निकाले जाने के बाद परेशान कर्मचारी.

देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा के बाद एक गाइड लाइन जारी करते हुए सभी राज्यों को निर्देशित किया था कि किसी भी मजदूर को नौकरी से न हटाया जाए और न ही उनके मानदेय में कटौती की जाए। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार इस समय असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ मजदूरों के सामने मुश्किलें पैदा हो गयी हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) अगर हम इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जिनेवा में जारी रिपोर्ट को देखें तो इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की नौकरी छूट सकती है।

खबर लिखने तक वरुण वेबरेज लिमिटेड कंपनी के किसी वरिष्ठ अधिकारी से बात नहीं हो पायी, इनसे बात होते ही खबर में अपडेट कर दिया जाएगा। यहां वरुण ब्रेवरेज में शीतल पेय बनाने वाली कंपनी पेप्सी के लिए बॉटलिंग होती थी

कानपुर देहात के श्रम प्रवर्तन अधिकारी विनीत त्रिपाठी ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "कम्पनी ने कहा है इस समय हमारे पास ज्यादा काम नहीं है, इसलिए हमें कुछ कर्मचारियों की छटनी करनी पड़ रही है। अभी ये मामला श्रमायुक्त के यहाँ पहुंच गया है, इसपर छह अगस्त को वार्ता होगी। इस वार्ता के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि इन्हें नौकरी पर वापस बुलाया जाएगा या नहीं।"


जिस तरह से कंपनी ने इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है क्या यह कानूनी तौर पर सही है, इस पर विनीत त्रिपाठी बोले, "कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना के इन्हें निकाला है ये गलत है। कम से कम सात दिन पहले एक नोटिस लगाई जानी चाहिए थी। इन कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद हमें भी सूचना दी गयी। कंपनी ने कहा है कि वो कर्मचारियों का जुलाई माह का पूरा वेतन देगी।"

कोरोनाकाल में देश की कई कम्पनियां अपने कर्मचारियों की 30-50 फीसदी सैलरी में हर महीने कटौती कर रही हैं। कम्पनियों का कहना है इस समय बाजार में उनके उत्पाद की मांग नहीं है, लॉकडाउन में कई महीने उनका काम बंद रहा है ऐसे में कर्मचारियों को पूरी तनख्वाह देना उनके लिए संभव नहीं है।

इन कर्मचारियों को कुछ दिन पहले ही इस बात का थोड़ा बहुत अंदेशा हो गया था कि कंपनी में कुछ लोगों की छंटनी होने वाली है पर इस तरह से होगी इसका अंदाजा नहीं था। कर्मचारियों के संघ ने 25 जून को औद्योगिक मंत्री सतीश महाना, मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से इस बात की सूचना दे दी थी पर कोई सुनवाई नहीं हुई।


कम्पनी में 20 साल से काम कर रहे भूपेन्द्र गुप्ता एक महीने से ज्यादा कम्पनी के सामने एक तख्ती लेकर बैठे हैं जिस पर लिखा है, 'हमारी नौकरी वापस दो'।

"कम्पनी ने 30 जून को व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज भेजा और हम लोगों की सेवाएं समाप्त कर दीं। हम 20 साल से यहाँ नौकरी कर रहे हैं, हमें नौकरी से हटाये जाने से पहले कोई सूचना नहीं दी गयी। इस महामारी में कहां जाएंगे? पेट की भूख से हमलोग मर जाएंगे," सड़क किनारे बैठे भूपेन्द्र बोले।

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