'पेप्‍स‍िको आलू किसानों पर से वापस ले मुकदमा, कानूनी तौर पर वो गलत'

पेप्सिको का दावा है कि आलू के इस किस्‍म (FL-2027) से वो Lays ब्रैंड के चिप्‍स बनाती है और इसे उगाने का उसके पास एकल अधिकार है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   25 April 2019 9:04 AM GMT

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पेप्‍स‍िको आलू किसानों पर से वापस ले मुकदमा, कानूनी तौर पर वो गलत

लखनऊ। अमेरिका की खाद्य और पेय पदार्थ कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के चार किसानों पर मुकदमा दायर किया है। पेप्सिको का आरोप है कि यह किसान अवैध रूप से आलू की एक ऐसी किस्‍म (FL-2027) को उगा और बेच रहे थे जिसे पेप्‍स‍िको ने रजिस्‍टर करा रखा है। इस मामले में किसान संगठनों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि किसानों पर किए गए मुकदमें को पेप्‍सिको तुरंत वापस ले। साथ ही इस मामले में सरकार भी दखल दे, जिससे किसानों के अधिकार की रक्षा हो सके।

पेप्सिको का दावा है कि आलू के इस किस्‍म (FL-2027) से वो Lays ब्रैंड के चिप्‍स बनाती है और इसे उगाने का उसके पास एकल अधिकार है। कंपनी ने प्रोटेक्‍शन ऑफ प्‍लांट वैराइटी एंड फार्मर्स राइट एक्‍ट, 2001 के तहत FL 2027 किस्‍म को 2012 में पंजीकृत कराया था। ऐसे में किसानों द्वारा इसे उगाकर बेचना गैर कानूनी है।

कंपनी के इस दावे पर किसान स्वराज की सदस्या कविथा कुरुगंति कहती हैं, ''प्रोटेक्‍शन ऑफ प्‍लांट वैराइटी एंड फार्मर्स राइट एक्‍ट, 2001 के सेक्‍शन 39(1) (iv) में साफ तौर से बताया गया है कि प्रोटेक्‍शन ऑफ प्‍लांट वैराइटी एक्‍ट लागू होने से पहले किसान बीज को लेकर जो करते आए थे वो इसके लोगू होने के बाद भी कर सकते हैं। जैसे अगर किसी किसान ने बीच खरीदा, उसने बोया, फिर फसल से बीज बचाया और इसे एक्‍सचेंज किया तो यह वो कर सकता है। अगर कोई किसी खास किस्‍म को रजिस्‍टर करा भी लेता है तो इस देश के किसान उस खास किस्‍म के बीज को भी बेच सकते हैं, बशर्ते वो इन बीज को पैकेज या लेबल करके न बेचे।''


कविथा कुरुगंति बताती हैं, ''सेक्‍शन 39(1) (iv) से साफ है कि किसान के तौर पर अगर मैंने कोई बीज बोया है तो मैं उसे पैकेज करके उसपर कविथा सीड्स लिखकर बेच सकती हूं। हां, अगर यह बीज किसी ने रजिस्‍टर करा रखा है, जैसा इस मामले में हुआ है तो मैं उस बीज को उगाकर आलू के तौर पर बेच सकती हूं, बस पैकेज करके या ब्रांड करके बीज के तौर पर नहीं बेच सकती।''

कविथा बताती हैं, ''पेप्‍सिको ने जिन किसानों पर मुकदमा किया है वो छोटे किसान हैं। इनके पास तीन-तीन एकड़ की जमीन है। और पेप्‍सिको कह रही है कि उन्‍हें करोड़ों का नुकसान हुआ है, यह अजीब बात है।'' पेप्‍सिको ने वाणिज्यिक अदालत में इन चार किसानों से मुआवजे के तौर पर 4 करोड़ 20 लाख देने की बात कही है। यानि हर किसान से 1 करोड़ पांच लाख मुआवजा देने को कहा है।

कंपनी ने जिन चार किसानों पर आरोप लगाया है वो सभी गुजरात के साबरकांठा जिले से हैं। इनका नाम बिपिन पटेल, विनोद पटेल, छबिलभाई पटेल और हरिभाई पटेल है। कंपनी ने आरोप लगाया है कि जनवरी 2019 में उन्‍हें इस बात की जानकारी हुई कि यह किसान उसके द्वारा रजिस्‍टर कराए गए बीज को उगा रहे हैं। इसके बाद कंपनी ने इस बात की जांच कराई और इसे सही पाया। ऐसे में यह मुकदमा किया गया है।


गुजरात के वडोदरा से चलने वाले संगठन 'जतन' से जुड़े कपिल शाह कहते हैं, ''कंपनी ने सिर्फ इन चार किसानों पर मुकदमा नहीं किया है। इसके अलावा पांच किसान और हैं जिनपर पिछले साल मुकदमा किया गया था। यह तो जब हमने जांच की तब पता चला। पिछले साल जिन किसानों पर मुकदमा किया गया था वो सभी अरावली जिले के हैं। इनके नाम प्रभुदास पटेल, भारत पटेल, जीतू पटेल, विनोद पटेल और जिगरकुमार पटेल है। इनसे कंपनी ने 20 लाख का मुआवजा मांगा था। ऐसे में हमारी जानकारी में अबतक 9 किसान हैं, जिनपर पेप्‍स‍िको ने मुकदमा किया है।''

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कपिल शाह कहते हैं, ''चिप्‍स के मार्केट में पेप्‍सिको की और भी कई प्रतिद्वंद्वी कंपनियां हैं। ऐसे में कंपनी इस कॉम्‍पटिशन से निपटने के लिए इस तरह के कदम उठाकर किसानों में भय का माहौल बनाना चाहती है ताकि कोई भी किसान FL-2027 किस्‍म के आलू न उगाएं, लेकिन यह जो तरीका है वो गलत है। किसान को क्‍या उगाना है और क्‍या नहीं यह वो खुद तय करेगा। कोई फूड कंपनी या बीज कंपनी इसे तय नहीं कर सकती। जो पेप्‍सी कर रही है वो भारत में नहीं चलेगा, यह अमेरिका में चल सकता है।''

कपिल शाह की बात से मिलती जुलती बात कविथा कुरुगंति कहती हैं। वो बताती हैं, ''यह सिर्फ गुजरात के किसानों या पेप्‍स‍िको का मामला नहीं है। यह बीज संप्रभुता का मामला है, ताकि किसान अपने मन की खेती कर सके। ऐसा न हो कि कल कोई भी कंपनी किसी भी किसान पर मुकदमा कर दे। इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार इस मामले में दखल दे और पेप्‍स‍िको से कहे कि अगर वो किसानों को ऐसे ही परेशान करती रही तो उसके खिलाफ कार्यवाही हो सकती है। साथ ही इस मुकदमें पर जो भी खर्च हो रहा है उसे सरकार वहन करे।'' फिलहाल इस मामले पर 26 अप्रैल को सुनवाई होनी है।



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