देहरादून में महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती सीखा रहा पेट्रोलियम विश्वविद्यालय  

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देहरादून में महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती सीखा रहा पेट्रोलियम विश्वविद्यालय    एलोवेरा 

नई दिल्ली (भाषा)। देहरादून के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विश्वविद्यालय (यूपीईएस) अपने आसपास के गांव की महिलाओं को औषधीय पेड़ों की खेती और उनके उत्पादों का विपणन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है और अब तक करीब 70 महिलाओं को इसके लिए जरुरी प्रशिक्षण दिया है।

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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विश्वविद्यालय (यूपीईएस) के शासनिक, मीडिया संबंध एवं निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) निदेशक अरण ढांड ने भाषा को बताया, यूपीईएस इन महिलाओं को औषधीय पौधों की पहचान और खेती करने में प्रशिक्षण के साथ साथ अन्य मदद करती है। इसके तहत खास कर ऐसे औषधीय पौधों को चुना गया है जिनका प्रसंस्करण करने वाली फैक्टरियां देहरादून में हैं। इनमें तुलसी, एलोवेरा, लेमन ग्रास और अन्य जड़ी बुटियां प्रमुख हैं।

महिला किसानों को विभिन्न प्रकार से मदद पहुंचायी जाती है जैसे कि उन्हें बीज, जैविक उर्वरक, उपयुक्त खेती के लिए मार्गदर्शन के साथ साथ तमाम जरुरी उपकरण मुहैया कराया जाता है और साथ ही उन्हें बाजार से जोड़ने में भी मदद की जाती है ताकि उनका कारोबार बेहतर हो सके।

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ढांड ने कहा, तीन वर्षो के दौरान अभी तक करीब 70 महिलाओं को इसके लिए जरुरी प्रशिक्षण दिया है जिसमें से 15 से 16 के लगभग महिला खेती करने वाली किसानों ने उत्पादन बढाने के साथ साथ अपने उत्पादों को बाजार में उतारना शुर कर दिया है। भविष्य में इस दायरे को और बढाने की योजना है। विश्वविद्यालय सीएसआर गतिविधियों के तहत ग्रीन पेन्सिल बनाने का भी प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है जिसमें लकडी की जगह रद्दी अखबारों को प्रयोग किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत 40 से 50 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है और अभी हाल में साइंस एक्सप्रेस ट्रेन से इन पेंसिलों के लिए आर्डर मिला है जिसे भेजा जा चुका है। इस काम में एक उद्यमी महिला को औसतन तीन से चार हजार रपये प्रतिमाह की आमदनी हो रही है।

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