माहवारी की जानकारी के साथ पिथौरागढ़ की छात्राओं ने सीखा कैसे बन सकते अपने गांव की आवाज़

Neetu SinghNeetu Singh   25 Feb 2018 3:37 PM GMT

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माहवारी की जानकारी के साथ पिथौरागढ़ की छात्राओं ने सीखा कैसे बन सकते अपने गांव की आवाज़छात्राओं ने चित्रों के माध्यम से जाना कि आखिर हर लड़की को हर महीनें क्यों आती है माहवारी 

पिथौरागढ़। जिले के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गंगोलीहाट में गांव कनेक्शन फॉउंडेशन की तरफ से यहां पढ़ने वाली सैकड़ों छात्राओं को माहवारी एवं स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी के साथ ही ये भी बताया गया कि ये सामुदायिक पत्रकार बनकर कैसे अपने गांव की आवाज़ बन सकते हैं।

नवीं कक्षा में पढ़ने वाली शालिनी बिष्ट ने कहा, "हमने पहली बार किसी ऐसे अखबार के बारे में सुना है जो स्कूल में जाकर अपने गांव की खबर लिखने के बारे में सिखा रहा है।" शालिनी की तरह इस स्कूल की सैकड़ों छात्राओं के लिए ये एक नई बात थी जब उनके स्कूल में गांव कनेक्शन अखवार की टीम पहुंची। शालिनी ने कहा, "हमने पहली बार किसी पत्रकार को देखा है।" पहाड़ी क्षेत्र में किसी कॉलेज में पत्रकारों का पहुंचना यहां के बच्चों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

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यहाँ की कुछ छात्राओं ने पहली बार देखा, कैसा होता है सेनेटरी नैपकीन

पिथौरागढ़ प्रशासन और गांव कनेक्शन फॉउंडेशन के साझा प्रयास से जिले के 16 राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली हजारों छात्राओं को माहवारी एवं स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी के साथ- साथ गांव कनेक्शन अखवार की तरफ से खबर लिखने के तरीके भी सिखाए गये।

गंगोलीहाट ब्लॉक जिले का ज्यादा पिछड़ा हुआ ब्लॉक नहीं है, क्योंकि यहां से जिले की दूरी लगभग 78 किलोमीटर है। यहां की छात्राओं को माहवारी और सेनेटरी पैड के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी बाकी ब्लॉकों की अपेक्षा ठीक थी।

नवीं कक्षा में पढ़ने वाली निकिता रावल ने कहा, "माहवारी में हम सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल करते हैं। हमारे यहां लड़कियों को ज्यादा रोक-टोक नहीं होती पर हमारी मम्मी खाना नहीं बना सकती हैं। इस वजह से उस समय हम स्कूल नहीं आ पाते और हमें घर का खाना बनाना पड़ता है।"

निकिता की तरह कई छात्राएं कॉलेज सिर्फ इसलिए नहीं आ पाती क्योंकि जब उनकी माँ को पीरियड आता है तो घर का खाना उन्हें बनाना पड़ता है।

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छात्राओं ने ध्यान से सुना कि खबर लिखकर कैसे बन सकते हैं वो अपने गाँव की आवाज़

गांव कनेक्शन फॉउंडेशन से माहवारी एवं स्वच्छता प्रबंधन की ट्रेनर रमा तिवारी ने यहां की छात्राओं से कहा, "माहवारी होने पर कोई भी महिला या लड़की अपवित्र नहीं होती है। उन दिनों भी वो हर एक काम कर सकती है जो सामान्य दिनों में करती है। इसलिए आप अपनी मम्मी लोगों को घर जाकर समझाना कि वो खाना बनाए।"

छात्रा शिवानी ने कहा, "हम अपनी मम्मी को चाहें जितना समझा लें पर वो खाना नहीं बना सकती। मम्मी कहती हैं बाबा, दादी, पापा को अगर उन दिनों खाना बनाकर देंगे तो पाप लग जाएगा।" उसने आगे कहा, "मम्मी हमारी बात माने या न माने पर हम आपकी बात हमेशा मांगेंगे। अपनी छोटी बहन को माहवारी आने से पहले ही बता देंगे कि उसे उन दिनों किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।"

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खबर लिखने में क्या बातें जरूरी हैं इस पर छात्राओं ने किये सवाल

इस कार्यक्रम में गांव कनेक्शन टीम ने छात्राओं से कहा, "आप अपने तीज त्यौहार, अपने गांव की खासियतें, खेती-किसानी, किसी की सफलता की कहानी, अपने पहाड़ी क्षेत्र की समस्याएं लिखकर हमें बताएंगे तो वह खबर आपके नाम से छपेगी।" इसके साथ ही इन बच्चों को महिला हेल्पलाइन 1090, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, पुलिस हेल्पलाइन 100 के बारे में भी विस्तृत तरीके से बताया गया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से पहुंची डॉ कोमल बिस्ट ने यहाँ की छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्होंने छात्राओं से कहा, “माहवारी के दिनों में अगर आप गंदे कपड़े का इस्तेमाल करते हैं तो उससे कई तरह की बीमारियाँ हो जायेंगी। इसलिए अगर पैड नहीं भी उपलब्ध है तो सूती कपड़े को साबुन से धुलकर धूप में सुखाकर प्रयोग करें।"

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कॉलेज की एक शिक्षिका ने बताया कि सिर्फ एक दिन नहीं हमें हमेशा करनी चाहिए इस विषय पर बात

कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना अधिकारी हेमा कुंवर ने छात्राओं से कहा, "जो भी हेल्पलाइन बताई गयीं हैं जरूरत पड़ने पर आप इनका जरूर इस्तेमाल करें। अगर आस पास किसी के साथ हिंसा हो रही है या फिर किसी का बाल विवाह हो रहा है तो आप जरूर सूचित करेंगे। यहां आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।"

विद्यालय की प्रधानाधियापिका मंजू वर्मा ने गांव कनेक्शन की टीम से कहा, "हमारे कुछ बच्चे और टीचर बहुत अच्छा लिख लेते हैं। हमारे बच्चों को लिखने का ये बहुत अच्छा मौका मिला है जहां उनकी लिखी खबरों को बहुत सारे लोग पढ़ पाएंगे।" इस पूरे कार्यक्रम में बच्चों और यहां की अध्यापिकाओं ने अपनी रूचि दिखाई।

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