किसान सम्मान निधि के 2,000 रुपए अप्रैल में तो मिलते ही, फिर आर्थिक पैकेज में किसानों को क्या मिला ?

Mithilesh DharMithilesh Dhar   26 March 2020 2:45 PM GMT

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किसान सम्मान निधि के 2,000 रुपए अप्रैल में तो मिलते ही, फिर आर्थिक पैकेज में किसानों को क्या मिला ?

देश में 21 दिनों के लॉकडाउन से होने वाले नुकसान से देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी ऐलान किया कि किसानों को किसान सम्मान निधि की पहली किस्त अप्रैल में ही भेज दी जायेगी। कुछ लोगों का मानना है कि किसानों को संकट से बचाने के लिए यह बड़ा कदम है, जबकि अप्रैल में किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि के 2,000 रुपए आने ही थे। फिर आर्थिक पैकेज में किसानों को क्या मिला ?

देश के जाने-माने कृषि, खाद्य और व्यापार नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं, "अगर सरकार किसानों का हित चाहती तो किसान निधि के तहत किसानों को कम से 6,000 रुपए मिलने चाहिए थे। देश के किसान संकट में हैं। अप्रैल में उन्हें 2,000 रुपए तो वैसे ही मिलने वाले थे। सरकार इसमें कुछ पैसे और जोड़ सकती थी।"

"किसान बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा। उसे ऊपज की सही कीमत नहीं मिल रही है। ऐसे में जरूरी था कि सरकार कर्ज से लदे किसानों को भी कुछ राहत देती।" वे आगे कहते हैं।

https://www.pmkisan.gov.in/ से साभार

किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग 8.69 करोड़ किसानों को सरकार 6,000 रुपए सालाना देती है। दिसंबर 2018 में इस योजना की घोषणा हुई थी। 6,000 रुपयों को सरकार तीन बार में हर चौथे महीने किसानों के खाते में भेजती है। किसान सम्मान निधि की वेबसाइट की गाइडलाइंस में भी इसका जिक्र है। वर्ष 2019 की आखिरी किस्त जनवरी में जारी हुई थी। ऐसे किसान परिवार को इस योजना का लाभ मिलता है जिनकी कुल जमीन 2 हेक्टेयर तक होती है।

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया है। लॉकडाउन में आपातकालीन/आवश्‍यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं पर रोक लगा दी जाती है। कोरोनो वायरस से भारत में जहां अब तक 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 600 से ज्यादा लोग संक्रमित है। दुनियाभर में इस महामारी से अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों का जान जा चुकी है।

कोरोना वायरस की वजह से किसानों को भी बहुत नुकसान हो रहा है। मौसम की मार के बाद रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है। मंडियों में इस समय सरसों, चना, गेहूं, मसूर, कपास आदि फसलों की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रही हैं।

ऐसे में दूसरे सेक्टर्स की तरह देश के किसान भी उम्मीद कर रहे थे कि सरकार से उनको राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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मध्य प्रदेश के जिला शिवपुरी, तहसील खनियादाना के गांव राजापुर के किसान मोहन सिंह को 21 मार्च को लगभग 18,000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। 30 कुंतल मसूर उन्होंने 4,200 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बेचा जबकि मसूर की सरकारी दर यानी एमएसपी 4,800 रुपए प्रति कुंतल है। मतलब हर कुंतल के पीछे 600 रुपए का नुकसान। इससे पहले गुरुवार (17 मार्च) को उन्होंने 25 कुंतल मसूर 4,400 प्रति कुंतल की दर पर बेचा था। तब उन्हें प्रति कुंतल 400 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था।

वे कहते हैं, "अभी तो हमारे यहां मंडी भी बंद है। हमारे एक दो-दिन से बात चल रही थी कि सरकार किसानों के लिए कुछ न कुछ करेगी। आज जैसे ही पता चला कि अप्रैल में किसानों के खाते में 2,000 रुपए मिलेंगे, सुनकर खुशी हुई, लेकिन थोड़ी बाद पता चला कि यह सम्मान निधि वाला पैसा है। जमीन मेरे पापा के नाम है तो पैसे भी उनके ही खाते में आते हैं। अप्रैल में पैसे आने वाले थे, यह तो हमें भी पता है।"

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत देश में करीब 9 करोड़ किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं, हालांकि सरकार का लक्ष्य देश के 14.5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ देना है।

आर्थिक पैकेज का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश के आठ करोड़ 70 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि योजना के तहत अप्रैल के पहले सप्ताह में 2000 रुपए सीधे खाते में भेजे जाएंगे। इससे किसानों को 18 हजार करोड़ रुपए मिलने का अनुमान भी लगाया गया है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने अपने ट्वीट में लिखा है, "देश के किसानों को परेशानी न हो इसके लिए, पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खातों में 2000 रुपए की किस्त अप्रैल के पहले हफ्ते में डाल दी जाएगी। इसके करीब 8.70 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।"

इस बारे में स्वराज के संस्थापक और कृषि मामलों के जानकार योगेंद्र यादव कहते हैं, "किसानों को आर्थिक पैकेज से कुछ नहीं मिला। पीएम किसान योजना का पैसा अप्रैल में तो आना ही था। जिन किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन लिया है, उनको कोई राहत नहीं मिली। वे समय पर पैसे नहीं दे पायेंगे, ऐसे में उन्हें ब्याज दरों पर छूट मिलनी चाहिए थी। एमएसपी से गिरती कीमतों पर कोई घोषणा नहीं हुई। यह भी नहीं बताया गया कि मंडियां कब खुलेंगी, अनाज की खरीदारी कब शुरू होगी।"

सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों की आवाज उठाने वाले रमनदीप मान कहते हैं, "अगर सरकार को किसानों की मदद करनी ही थी तो किसान सम्मान निधि योजना की दो किस्त की किसानों को दे दी जाती। ऐसे मुश्किल समय में किसानों को इससे थोड़ी मदद जरूर मिलती। सरकार जो पैसे दे रही है वह किसानों को इस योजना के तहत मिलने ही वाला था।"

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वहीं जय किसान आंदोलन के संयोजक अविक शाह कहते हैं कि वित्त मंत्री ने किसानों को राहत के नाम पर देश को गुमराह किया है।

वे कहते हैं, "किसानों की फसल खेतों में पककर तैयार है, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि किसान अपनी उपज मंडी में कैसे बचेंगे। दूध और पोल्ट्री किसान संकट में हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मार्च-अप्रैल के बीच किसान जो कमाते हैं उससे वे अगले छह महीने तक अपना खर्च चलाते हैं, लेकिन सरकार ने आर्थिक पैकेज में इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।"

आर्थिक पैकेज के तहत सरकार ने मनरेगा में मजदूरी की दर को बढ़ाकर 202 रुपए प्रतिदिन कर दिया है। इससे पांच करोड़ परिवारों को लाभ होगा। अब तक मनरेगा के तहत मजदूरों की दैनिक दिहाड़ी 182 रुपए ही थी। यही नहीं गरीब परिवारों की महिलाओं को उज्ज्वला स्कीम के तहत तीन महीने तक मुफ्त एलपीडी सिलेंडर मुहैया कराए जाएंगे।

जनधन खाते वाली 20 करोड़ महिलाओं के अकाउंट के हर महीने 500 रुपए की राशि भेजी जाएगी। यह रकम जून महीने तक लगातार तीन महीने भेजी जायेगी की जाएगी। यही नहीं वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, पेंशनों को 1,000 रुपए की अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी।

  

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