प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा- ऐतिहासिक कृषि सुधारों को लेकर देश में भ्रम का खेल खेला जा रहा

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के लिए पीएम मोदी ने किसी का नाम न लेते हुए कहा कि इसके बारे में भ्रम फैलाया जा रहा। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी सरकार ने यूपीए की तुलना गेहूं, धान और दालों की ज्यादा खरीद कर किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है।

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pm modi, pm modi in varanasi, pm modi said on farmers protest, agriculture protestदेव दीपावली के मौके पर अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन का जिक्र तो नहीं किया लेकिन विपक्ष खूब निशाना साधा। (फोटो-सोशल मीडिया से साभार)

वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। दिल्ली के सिंधू बॉर्डर समेत कई सीमाओं पर घेरा डाले जब पंजाब और हरियाणा के किसान जब नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मोर्चा खोले हुए थे दिल्ली से 700 किलोमीटर दूर यूपी के वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को नए कृषि कानूनों की खूबियां और और कृषि सुधारों में किसानों का भविष्य दिखा रहे थे।

सोमवार को उत्तर प्रदेश में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वाराणसी-इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग -2 के लोकार्पण (6 लेन होने के बाद) पर आयोजित सभा में कृषि कानूनों पर बोलते हुए सवाल पूछे,

  • भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए?
  • किसानों को कोई ऐसा खरीददार मिल ताए जो खेत से माल उठाए और बेहतर कीमत दे तो किसान को ऐसे खरीदादार मिलना चाहिए कि नहीं?
  • अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में किसान आंदोलन का जिक्र तो नहीं किया लेकिन जो कुछ हो रहा है उसके लिए बिना नाम लिए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐतिहासिक कृषि सुधारों पर देश में ही खेल खेला जा रहा है। भ्रम फैलाया जा रहा है। नए कृषि कानून किसानों को नए विकल्प और संरक्षण देते हैं। पहले मंडी के बाहर लेनदेन गैरकानूनू थे, किसानों के साथ अक्सर धोखे और विवाद होते थे, लेकिन अब छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए सौदे पर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। नए कृषि कानून किसान को नए विकल्प और धोखे से कानूनी संरक्षण देते हैं। लेकिन कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं।

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पीएम मोदी ने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है। पहले ये होता था कि जो फैसला लोगों को पसंद नहीं आता था उस पर विरोध होता थे लेकिन अब पिछले कुछ समय से एक ट्रेंड देख रहे हैं। विरोध का आधार भ्रम हैं, अंधेरा दिखाकर भ्रम फैला जा रहा है। ऐसा प्रचार किया जाता है कि भविष्य में इससे चलकर जाने क्या हो जाएगा? ये वही लो हैं जो दशकों से किसानों को छलते आए हैं। किसानों के नाम पर बड़ी बड़ी योजनाएं होती थी लेकिन वो खुद मानते थे कि 01 रुपए में सिर्फ 15 पैसे किसान और आम जनता तक पहुंचते थे।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले भी एमएसपी घोषित की जाती थी लेकिन उस पर खरीद बहुत कम होती थी, कर्ज़माफी के पैकेज घोषित किए जाते थे लेकिन छोटे किसानो को उसका लाभ नहीं मिलता था। खाद और फर्टीलाइजर पर ब़ड़ी बड़ी सब्सिडी दी जाती थी लेकिन वो खेतों तक ना पहुंचकर कारोबारियों तक पहुंच जाती थी।"

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने अगर आप हमारी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड देंखेंगे तो समझ आएगा कि हमने जो कहा वो किया है। हमने कहा था कि यूरिया देंगे तो पिछले 6 सालों में यूरिया की कमी नहीं होने दी वर्ना किसानों को पहले सर्दियों में लाइन में लगना होता था और लाठीडंडे तक खाने होते थे। कोरोना में जब सब कुछ बंद का हमने किसानों को यूरिया की पहुंच बंद नहीं होने दी।

पीएम मोदी ने इस दौर किसानों की आमदनी और स्वामीनाथन आयोग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि स्वामीनाथन आयोग कि सिफारिश के मुताबिक लागत का डेढ़ गुना देंगे ये वादा कागज पर नहीं रहा, हमनें उसे पूरा किया और किसानों के बैंक खातों में पैसे पहुंचे इसका प्रबंध किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के 5 साल और यूपीए के आखिरी पांच सालों की तुलना कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई खरीद का हवाला देकर किसानों को य समझाने की कोशिश की कि उनकी सरकार किसानों के साथ और मंडी और एमएसपी दोनों बंद नहीं होंगे।

उन्होंने दाल, गेहूं और धान के खरीद के आंकड़े भी दिए। पीएम मोदी ने कहा कि यूपीए की आखिरी सरकार (2014 से पहले) पांच साल में 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था, लेकिन हमने हमारे पांच साल में धान के लिए 5 लाख करोड़ रुपए एमएसपी के रुप में पहुंचा दिए हैं, ये पैसा लगभग ढ़ाई गुना था।

इसी तरह अगर दालों की बात करें तो यूपीए सरकार ने पांच साल में 650 करोड़ रुपए की दालों की खरीद की थी लेकिन हमने पांच साल में किसानों से 49 हजार करडो करीब 50 हजार की दालें एमएसपी पर खरीदी हैं, अब आप ही जोड़िए कहां कहां 650 करोड़ और कहां 50 हजार करोड़ रुपए।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि 2014 से पहले पांच साल में यूपीए सरकार ने लगभग डेढ़ लाख करोड़ गेहूं खरीदा था हमने गेहूं पर पांच साल में 3 लाख करोड़ रुपए गेंहू पर दिए।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा अगर मंडियों और एमएसपी को हटाना ही होता तो हम इतना निवेश क्यों करते हैं। हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।"

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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 6000 रुपए की पीएम किसान सम्मान योजना का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि पीएम किसान निधि को हर गली मोहल्ले से में सवाल उठाते थे ये मोदी है, मोदी है... चुनाव है तो पीएम किसान सम्मान निधि लेकर आया है, एक बार 2000 रुपए दे दे रहा है बाद में नहीं देगा, किसी ने कहा कि बाद में ब्याज समेत ले लेगा। पीएम किसान योजना पर इतना झूठ बोला गया कि एक राज्य ने इस योजना को लेने से मना कर दिया। लेकिन मैं वादा करता हू जब हमारी वहां सरकार बनेगी ये पैसा भी उन किसानों को मिलेगा। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के खातों में एक लाख करोड़ रुपए पहुंच चुका है।

पीएम ने लोगों से कहा कि हमारी सरकार के वादों को जमीन पर उतारने के ट्रैक को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि हम किसानों के हित में ये कानून लेकर आएंगे, किसानों को न्यान दिलाने के लिए ये बिल लाए हैं। आने वाले दिनों में इसकी चर्चा जरुर होगी।

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पीएम ने किसान आंदोलन और चल रहे विरोध का जिक्र तो नहीं किया लेकिन इतना जरुर कहा कि जो लोग छल करते आ रहे थे, जो भ्रम फैला रहे थे उनकी सच्चाई किसान जान चुका है। कृषि कानूनों को लेकर जिन किसान परिवारों को कुछ चिंताएं हैं कुछ सवाल है उनका जवाब सरकार दे दे रही है, जो समस्याएं हैं उनका समाधान किया जा रहा है। मुझे भरोसा है देश का अन्नदाता, आत्मनिर्भर भारत की अगुवाई करेगा और एक दिन वो किसान भी इऩ कृषि सुधारों से फायदा उठाएंगे जिनके मन में कुछ आशंकाएं हैं।

   

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