PM मोदी ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का किया अनावरण, बोले- 'भारत ने रचा नया इतिहास'

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया।

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PM  मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का किया अनावरण, बोले- भारत ने रचा नया इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण कर दिया। इसके साथ ही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन गई है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि 'आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के एक स्वर्णिम पृष्ठ को उजागर करने का काम किया है।'

पीएम मोदी ने कहा, ''आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुम्बी आधार भी रखा है। दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार साहब के साहस, सामर्थ और संकल्प की याद दिलाती रहेगी।''

पीएम मोदी ने आगे कहा, ''सरदार पटेल ने 5 जुलाई, 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव, हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।'' पीएम मोदी ने कहा, ''सरदार साहब के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया। देखते ही देखते, भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।



पीएम मोदी ने कहा, ''कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है। सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीजा लेना पड़ता। सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। देश के लोकतंत्र से सामान्य जन को जोड़ने के लिए सरदार साहब प्रतिपल समर्पित रहे। ये प्रतिमा, सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और परमार्थ की भावना का प्रकटीकरण है। ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।''

पीएम ने इस प्रतिमा को बनाने वाले इंजीनियर्स की तारीफ करते हुए कहा, ''हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकि सामर्थ्य का भी प्रतीक है। बीते करीब साढ़े तीन वर्षों में हर रोज़ कामगारों ने, शिल्पकारों ने मिशन मोड पर काम किया है। राम सुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भुत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है।''

'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्‍ट है। साल 2010 में गुजरात के मुख्‍यमंत्री रहते हुए उन्‍होंने इसी घोषणा की थी। इसके बाद साल 2013 में इसकी नींव रखी गई। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में करीब 2990 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इस प्रतिमा को बनाने में करीब तीन हज़ार मजदूरों ने 33 महीनों तक काम किया। 182 मीटर ऊंची इस मूर्ति में 1,40,000 क्यूबिक मीटर्स कॉनक्रिट का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा 2000 टन ब्रॉन्ज़ शीट्स और 18,500 टन रॉड्स का भी इस्तेमाल किया गया है।

    

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