आरुषि की मां नुपुर तलवार की जेल में लिखी गई कविता, आरुषि - सुबह की पहली किरण
गाँव कनेक्शन 12 Oct 2017 8:48 PM GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज आरुषि मर्डर केस पर फैसला सुनाया जिसमें आरुषी के माता-पिता को निर्दोष पाया और उन्हें बरी करने के आदेश दे दिये हैं। आरुषि के माता-पिता जिस वक्त जेल में बंद थे उस दौरान आरुषि की मां नुपुर तलवार ने एक कविता लिखी थी, जिसमें बेटी खोने का दर्द साफ झलकता है। नुपुर द्वारा जेल में लिखी इस कविता को वरिष्ट पत्रकार वर्तिका नंदा ने अपनी किताब 'तिनका तिनका डासना' में प्रकाशित किया है।
नूपुर तलवार द्वारा लिखी कविता
आरुषि - सुबह की पहली किरण
पहली किरण भोर की मेरी
जब आई मेरी दुनिया में गीत बनी वो जीवन की
बनी इबादत का हिस्सा वो
और ज्योति मेरे मन की
वो उजियारा थी जीवन की
उसको छीना हत्यारों ने
अंधियारा बन गई जिंदगी
लुट गई सारी खुशियां वो मेरी
सपने रह गए अधूरे
सिर्फ बची हैं यादें
धन्य हुई तुमको पाकर पर ,रही अधूरी सब बातें
जहां भी हो तुम्हें मिले शांति
एक मां की यह है प्रार्थना
आभारी हूं तेरे प्यार की
अब तू ही है मेरी साधना
करती हूं तेरी पूजा
तू ही मूरत मेरे मन की
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