प्रधानमंत्री ने बताए प्राकृतिक खेती के फायदे, कहा- किसान प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है।
गाँव कनेक्शन 16 Dec 2021 9:36 AM GMT
प्राकृतिक और जीरो बजट फार्मिंग पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह में प्राकृतिक खेती पर बात की, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6-7 सालों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, ये कान्क्लेव गुजरात में जरूर हो रहा है लेकिन इसका असर पूरे भारत के लिए है। भारत के हर किसान के लिए है।
पीएम ने कहा कि आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है। अब आज़ादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है।
"बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं, "प्रधानमंत्री ने कहा।
हरित क्रांति और रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर पीएम ने कहा कि ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है।
नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान।
— PMO India (@PMOIndia) December 16, 2021
वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है।
इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है।
अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी: PM
प्राकृतिक खेती की जरूरत को समझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही 'back to basic' की ओर बढ़ रही है। इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है।"
कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा।
समय के साथ अपनी उपजाऊ क्षमता को खो रही मिट्टी पर पीएम ने कहा कि जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है। हम देखते हैं कि जिस प्रकार मिट्टी को जब तपाया जाता है, तो वो ईंट का रूप ले लेती है। लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है।
प्राकृतिक खेती यानी Natural Farming के फायदे बताते हुए उन्होंने आगे कहा कि नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी।
एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी।
— PMO India (@PMOIndia) December 16, 2021
जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है।
पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है: PM @narendramodi
प्रधानमंत्री ने देश के हर एक राज्य को प्राकृतिक खेती अपनाने को कहा, उन्होंने कहा कि मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से, ये आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव ज़रूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में खेती में बढ़ते रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर पीएम ने कहा कि आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में मां भारती की धरा को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त करने का संकल्प लें।
क्लाइमेट चैंज समिट में मैंने दुनिया से Life style for environment यानि LIFE को ग्लोबल मिशन बनाने का आह्वान किया था। 21वीं सदी में इसका नेतृत्व भारत करने वाला है, भारत का किसान करने वाला है।
किसानों के बीज यह भी भ्रम है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। इस पर पीएम ने कहा कि एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है।
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