प्रयागराज कुंभ मेला 2019: जब बस में हुई BJP को वोट देने की अपील
दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन कहे जाने वाले कुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है। देश विदेश से प्रयागरााज पहुंच रहे लोगों के अलग-अलग भाव देखने को मिल रहे हैं।
Ranvijay Singh 16 Jan 2019 12:37 AM GMT
प्रयागराज। तारीख थी 15 जनवरी 2019। रात के करीब 12 बजे होंगे। प्रयागराज में हो रहे कुंभ (kumbh mela 2019) के पहले शाही स्नान में शामिल होने के लिए दूर दराज से लोग आ रहे थे। इन लोगों को कुंभ शटल (बस) से मेला स्थल के पास तक पहुंचाने की व्यवस्था थी। ऐसी ही एक शटल में जब लोग खचा खच भर गए तो बस के पीछे की सीट से एक महिला की तेज आवाज आती है। वो कहती है, ''योगी जी ने कुंभ में बहुत अच्छा काम किया है। देखो मेला स्थल तक फ्री में बस की व्यवस्था कर दी, ऐसा पहले कभी हुआ था? इसलिए कहती हूं, बस में बैठे सभी लोग बीजेपी को वोट करना।'' और इसके बाद बस में हर-हर मोदी के नारे गूंज उठते हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन कहे जाने वाले कुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है। देश विदेश से प्रयागरााज पहुंच रहे लोगों के अलग-अलग भाव देखने को मिल रहे हैं। वहीं साधु सन्यासियों का भी अपना एक अलग अंदाज देखने को मिल रहा है। ऐसा अनुमान है कि 49 दिनों तक चलने वाले इस अर्धकुंभ में करीब 14 से 15 करोड़ लोग आएंगे।
पटना से आए योगेश (28 साल) कुंभ में पहली बार शामिल हुए हैं। उन्होंने कुंभ को लेकर पहले भी सुन रखा था, लेकिन इस बार ऐसा क्या खास था कि वो कुंभ में चले आए? इस सवाल पर योगेश कहते हैं, ''कुंभ को लेकर मेरे गांव में बहुत चर्चा हो रही थी। मैंने इसे लेकर इतना सुना कि खुद को इसे देखने से रोक न सका।'' योगेश की तरह ही कुंभ में नौजवानों बड़ी संख्या देखने को मिल रही है। इनमें से ज्यादातर तस्वीरों में इस आयोजन को कैद करते नजर आते हैं।
आस्था के इस महापर्व को लेकर सरकार ने अलग से बजट जारी किया था। जिसके बाद से ही प्रयागराज को सजाने और संवारने का काम चल पड़ा। प्रयागराज में इमारतों पर बनी पेंटिंग इस बात की गवाही भी देती हैं। साथ ही सड़कों को दुरुस्त करने से लेकर, उन्हें चौड़ा करने तक का काम किया गया है। इसकी जद में आकर कई मकान भी टूट गए, लेकिन इसका ज्यादा विरोध नजर नहीं आता। प्रयागराज में ही टैक्सी चलाने वाले एक शख्स कहते हैं, ''कुंभ की वजह से प्रयागराज संवर गया है। पहले सड़कें रोती नजर आती थीं, अब हंस रही हैं। यानी सड़कों को लेकर अच्छा काम हुआ है।''
यह तो हुई पहले से बसे शहर को संवारने की बात। इसके अलावा कुंभ की वजह से एक नया शहर भी बस गया है। तंबुओं से बने इस शहर में पुलिस थाने से लेकर उपचार के लिए अस्पताल और खाने पीने के लिए दुकानें भी मौजूद हैं। इस तरह का शहर हर कुंभ में बस जाता है, लेकिन इस बार इसका क्षेत्रफल बड़ा है। कुंभ के डीएम विजय किरण आनंद के मुताबिक, इस बार मेला क्षेत्र 45 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। इससे पहले सिर्फ 20 वर्ग किमी में ही होता था। सरकार की ओर से इस पूरे आयोजन में करीब 4 हजार करोड़ से अधिक का खर्च किया गया है।
वहीं कुंभ के अपने राजनीतिक लक्ष्य भी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस कुंभ को लेकर बीजेपी सरकार ने बड़ा दांव खेला है। मेला स्थल पर लगे होर्डिंग और सरकार के प्रचार तंत्र को देखें तो बहुत हद तक यह बात सही भी लगती हैं। मेला स्थल में लगी होर्डिंग पर केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं की उपलब्धियां देखने को मिल जाती हैं। इसमें ओडीएफ से लेकर उज्जवला योजना तक शामिल हैं। हरिद्वार से आए राजीव बताते हैं, 'वो कुंभ में शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस बार जितनी सुविधा उन्हें मिल रही है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा।' ऐसे में साफ है कि बीजेपी सरकार के प्रयास का फायदा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है। यही कारण है कि इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी सरकारी मिश्नरी एक पैर पर खड़ी नजर आती है।
बता दें, भारत में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बारी बारी से कुंभ का अयोजन किया जाता है। हर बारहवें साल कुंभ का आयोजन इन चार स्थानों में से एक में किया जाता है। प्रयागराज में 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। इस बार वाला कुंभ भी अर्धकुंभ ही है, जिसका नाम बदलकर सरकार ने कुंभ और 12 साल पर होने वाले कुंभ का नाम बदलकर महाकुंभ कर दिया है।
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