विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति ने कृषि बिल पर किये हस्ताक्षर, कृषि बिल का क्यों हो रहा विरोध और इस पर सरकार का क्या कहना है?
कई राज्यों में विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में पास हुए तीनों कृषि बिल पर साइन कर दिये हैं। लोकसभा और राज्यसभा में तीनों बिल का भारी विरोध हुआ था।
गाँव कनेक्शन 27 Sep 2020 1:14 PM GMT

कृषि बिल के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और देश के कई हिस्सों में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पास हुए तीनों बिलों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। अब तीनों कृषि बिल कानून बन गये हैं।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब केंद्र सरकार कभ भी इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है। कृषि बिलों का विरोध हरियाणा और पंजाब में अभी जारी है। पंजाब सरकार भी कृषि बिलों के विरोध में है। किसानों का कहना है कि सरकार इससे मंडियों और एमएसपी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है और सब कुछ प्राइवेट हाथों में दे देना चाहती है।
विपक्ष भी कृषि विधेयकों के विरोध में है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि मोदी सरकार अडानी और अंबानी को इसके जरिये फायदा पहुंचाना चाहती है।
ये हैं तीनों बिल
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश (Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020)
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने से रोकता है और किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता देता है।
President Ram Nath Kovind gives assent to three farm bills passed by the Parliament. pic.twitter.com/hvLvMgNI8Y
— ANI (@ANI) September 27, 2020
सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी, जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे। सरकार का कहना है कि इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है।
किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। इस बारे में केंद्रीय कृषमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बताया कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे। वह जहां चाहेंगे अपनी उपज को बेच सकेंगे जिसकी मदद से किसान के अधिकारों में इजाफा होगा और बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी। किसान को उसकी फसल की गुणवत्ता के अनुसार मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता मिलेगी।
कृषि से जुडे़ तीनों बिलों पर देश के राष्ट्रपति ने किया हस्ताक्षर, भारत मेें कृषि कानून हुए लागू #AgricultureBill #AgricultureBills2020 pic.twitter.com/XdDWQ7G0cy
— GaonConnection (@GaonConnection) September 27, 2020
लोकसभा में बिल पास करते हुए सरकार ने कहा कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी। जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन (The Essential Commodities (Amendment) Bill)
पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है।
इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी। इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है। किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है।
मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill)
यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इस अध्यादेश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात है। सरकार की मानें तो इससे किसान का जोखिम कम होगा।
दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा। सरकार का तर्क है कि यह अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों पर नहीं रहेगा और किसानों की आय में सुधार होगा। सरकार का यह भी कहना है कि इस अध्यादेश से किसानों की उपज दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचेगी। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगी।
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