राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के जीवन का यह सच चौंकाने वाला है
Vineet Bajpai 20 Jun 2017 12:11 PM GMT
लखनऊ। राष्ट्रपति पद के लिए BJP द्वारा जब कानपुर देहात के रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की गई तो, पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई और ऐसा भी क्यों न, कोविंद का कानपुर देहात के साथ-साथ कानपुर नगर से भी गहरा नाता रहा है। जहां कोविंद का जन्म कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के झींझक कस्बे के एक छोटे से गाँव परौख में हुआ तो वही दूसरी तरफ उनका पूरा समय कानपुर नगर में गुजरा।
कोविंद ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भी कानपुर से ही की थी, लेकिन एक ऐसा सच है, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। एक ऐसा सच जिसे जान कर आप भी चौंक जाएंगे। और वो सच यह है कि राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को कभी भी चुनाव जीतकर जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला है।
रामनाथ कोविंद के गाँव के ही रहने वाले BJP के क्षेत्रीय प्रभारी सूरज किशोर मिश्रा बताते हैं कि वो चुनाव कई बार लड़े लेकिन दुख की बात है कि उन्हें जीत हांसिल नहीं हुई। हालांकि वो दो बार बीजेपी द्वारा राज्य सभा के सांसद चुने गए।
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रामनाथ कोविंद को सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने साल 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। कोविंद ने चुनाव जीतने के लिए रात दिन मेहनत की और आम जनता के करीब जाने का प्रयास किया लेकिन जब चुनाव नतीजा आया तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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इस हार के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उन पर फिर विश्वास किया और साल 2007 में उन्हें प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया गया और कोविंद पार्टी के सम्मान को बचाने के लिए डटकर चुनाव लड़े। जनता के बीच गए सुख-दु:ख को जाना और समझा लेकिन जब चुनाव का नतीजा आया तो बेहद चौंकाने वाला था क्योंकि एक बार फिर उनकी किस्मत ने उन्हें धोखा दे दिया था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने 1994 में कोविंद को उत्तर प्रदेश से पहली बार राज्यसभा के लिए सांसद चुना। वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया वह कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं। बाद में कोविंद को 8 अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
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