जानिए एक साल में कितना हुआ फसल बीमा योजना का विस्तार, राज्यों पर बढ़ा दबाव

Anusha MishraAnusha Mishra   25 May 2017 8:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जानिए एक साल में कितना हुआ फसल बीमा योजना का विस्तार, राज्यों पर  बढ़ा दबावफसल बीमा कवरेज के मामले में आठवें से तीसरे नंबर पर पहुंचा भारत

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिसे एक साल में ही काफी अच्छा विस्तार मिला। एक साल की अवधि में यह योजना बीमा कवरेज का 50 फीसदी तक विस्तार करने में सफल हुई। यही वजह है कि राज्यों पर भी इसने दबाव डाला है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ राज्यों की शिकायत है कि उनके कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन की आधी धनराशि बीमा कंपनियों को प्रीमियम अदा करने में ही खत्म हो गई, जिसके कारण खजाने तथा मौजूदा बुनियादी ढांचों पर दबाव पड़ रहा है। फसल बीमा कवरेज के मामले में पिछले साल तक भारत दुनिया में आठवें पायदान पर था, जबकि पीएमएफवाई के बाद देश तीसरे स्थान पर पहुंच गया।

ये भी पढ़ें : गन्ना किसानों को नरेंद्र मोदी सरकार ने दिया तोहफा

2016 में शुरू हुई थी पीएमएफबीआई

पीएफएफबीआई यानि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 के जनवरी महीने में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत किसानों को खरीफ फसलों के कुल बीमे का दो फीसदी, रबी फसलों का 1.5 फीसदी तथा बागवानी व वाणिज्यिक फसलों के लिए 5 फीसदी रकम का भुगतान करना होता है, जबकि बाकी रकम का भुगतान केंद्र व राज्य सरकार मिलकर आधा-आधा करती हैं। आईएएनएस की ख़बर के मुताबिक, अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, पिछले साल, देश के लगभग 20 फीसदी किसानों ने फसल बीमा लिया।

हालांकि पीएमएफबीआई ने कवरेज बढ़ाकर 30 फीसदी तक कर दिया। इस साल केंद्र सरकार ने 13,500 करोड़ रुपये की रकम का भुगतान किया। चूंकि राज्यों को भी बराबर रकम यानी 50 फीसदी भुगतान करना होता है, इसलिए उन्हें कृषि कोष का अधिकांश धन पीएमएफबीवाई के तहत प्रीमियम के लिए देना पड़ा।

कर्मचारियों व मशीनरी की संख्या में नहीं हुई वृद्धि

कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, "क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट आजादी के बाद से ही होता आ रहा है, लेकिन किसी ने इसमें सिर नहीं खपाया कि यह किया कैसे जाता है। यह वास्तव में होता है या केवल कागज पर किया जाता है, स्पष्ट नहीं था। नई फसल बीमा योजना के शुरू होने के बाद कई लोग क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के लिए सामने आए। फसल बीमा के दायरे का विस्तार हुआ, लेकिन राज्यों में कर्मचारियों व मशीनरी की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जिसके कारण राजस्व विभाग दबाव में आ गया।

योजना को अपनाने वाले किसानों की संख्या में हुई काफी बढ़ोतरी

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, योजना को अपनाने वाले किसानों की संख्या पिछले साल पांच फीसदी थी, जो इस साल बढ़कर 25 फीसदी हो गई। ये वैसे किसान हैं, जिन्होंने ऋण नहीं ले रखा है। निजी कंपनियों को शामिल करने के कारण योजना की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने हालांकि अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि सरकार के पास उतनी धनराशि, बुनियादी ढांचा तथा बीमा समर्थन नहीं है, जितने की जरूरत है, जबकि निजी कंपनियां योजना को दक्षता लाती है और पारदर्शिता के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करती हैं।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।


       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.