एथेनॉल कार्यक्रम को पीएम ने बताया किसानों की आमदनी बढ़ाने का जरिया, समझाया गणित
गन्ने से चीनी और बैगास (खोई) के अलावा एक और उत्पादन निकलता है, जिसे एथेनॉल कहते हैं। एथेनॉल को विदेशों में बड़े पैमाने में पेट्रोल में मिलाया जाता है।
गाँव कनेक्शन 10 Aug 2018 10:13 AM GMT
नयी दिल्ली। भारत में गन्ने से चीनी के साथ एथेनॉल बनाने की योजना को पंख लगाने की कवायद जोर पकड़ रही है। पिछले दिनों चीनी उद्योग को 8000 करोड़ का राहत पैकेज देने वाली केंद्र सरकार ने कहा कि एथेनॉल निर्माण में तेजी लाने के लिए 10,000 करोड़ का निवेश कर जैवईंधन की 12 रिफायनरी स्थापित की जाएंगी। जैव ईंधन दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि जैव ईंधन से किसानों की आमदनी और ग्रामीणों के रोजगार बढ़ेंगे।
Biofuels can add strength to India's growth story with benefits in cities and villages. We recall the vision of Atal Ji, during whose tenure the plan to produce ethanol from biofuel was initiated. Building on this, we prepared a roadmap for Ethanol Blending Programme after 2014.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 10, 2018
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गन्ने और फसल अवशेष से ईंधन का उत्पादन न केवल किसानों को अतिरिक्त आमदनी उपल्बध कराएगा बल्कि पराली के सुरक्षित निपटान से पर्यावरण को बेहतर करने में मदद मिलेगी। गन्ने से चीनी और बैगास (खोई) के अलावा एक और उत्पादन निकलता है, जिसे एथेनॉल कहते हैं। एथेनॉल को विदेशों में बड़े पैमाने में पेट्रोल में मिलाया जाता है। राजग यानि अटल विहारी बाजपेई की सरकार में 2002 में भारत में ये योजना शुरु की गई थी। विश्व जैवईंधन के अवसर पर दिल्ली में एक समरोह को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इस कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया जबकि इससे पेट्रोलियम आयात में बड़ी बचत हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इस जैवईंधन का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है और यह चार साल में तीन गुना बढ़ कर 450 करोड़ लीटर के स्तर पर पहुंच जाएगा। इससे आयात में 12,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। मोदी यहां विश्व जैवईंधन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
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अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए भारत को 80 प्रतिशत खनिज तेल आयात करना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर परियोजनाओं को पर्यावरण विभाग की मंजूरी के काम में तेजी लाने के लिए तैयार किए गए वेब पोर्टल 'परिवेश' का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति का अनावरण भी किया। भारत नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के साथ-साथ जैवईंधन के उत्पादन पर भी बल दे रहा है ताकि कच्चे तेल के आयात पर होने वाले मोटे खर्च को कम किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर जैवईंधन की 12 रिफायनरी स्थापित करने की योजना बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मश्रिण का लक्ष्य हासिल करेगी और इसे बढाकर 2030 तक 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। मोदी ने कहा कि इसमें से प्रत्येक रिफायनरी 1000-1500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी। मोदी ने कहा कि इसमें से प्रत्येक रिफाइनरी 1,000-1,500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैवईंधन का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आय बढ़ेगी और देश में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश में 175 गैस-सीएनजी संयंत्र लगाए जा चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोग सड़कों पर जल्दी ही इस ईंधन से चलने वाले वाहन दौड़ते देखेंगे।
इस अवसर पर उन्होंने देश में किसानों की आय बढ़ाने की अपनी सरकार की पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का 1.5 गुना तय किया है। एथेनॉल को पेट्रोलियम में उपयोग को लेकर पीएम लगातार बयान दे रहे हैं। उन्होंने शाहजहांपुर की रैली में भी एथेनॉल निर्माण को बढ़ावा देने की बात कही थी।
पर्यावरणनुकूल ईंधन के लिए सरकार के कदमों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि री साइकिल प्लास्टिक का इस्तेमाल सड़क निर्माण में हो रहा है। जबकि सौर पैनलों से ऊर्जा उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे और बंदरगाहों पर एलईडी बल्ब परपंरागत लाइटिंग का स्थान ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले ढाई साल में गरीब महिलाओं को पांच करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। इससे उनकी रसोई से धुआं गायब हुआ है, जिससे उनका स्वास्थ्य सुधरा और पर्यावरण भी बेहतर हुआ है। (भाषा इनपुट के साथ)
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