पीएम ने कहा बलात्कारियों को 3 से 30 दिन में होती है फांसी, 14 वर्षीय पीड़िता ने कहा- "डेढ़ साल से नहीं मिला न्याय"
Diti Bajpai 31 Jan 2019 10:40 AM GMT
लखनऊ। गुजरात दौरे पर सूरत पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू इंडिया यूथ कॉन्लेव 2019 में देश में बलात्कार पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि इस देश में बलात्कार पहले भी होते थे और आज भी ऐसी दुखद घटनाएं सुनने को मिलती हैं, लेकिन आज अपराधियों को 3 दिन, 7 दिन, 11 दिन और 30 दिन में फांसी होती है। उन बेटियों को न्याय दिलाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं।
PM Narendra Modi in Surat: There used to be rapes in this country earlier too, it is a shame that we still hear about such cases. Now, culprits are hanged within 3 days, 7days, 11 days & a month. Steps are being taken continuously to get daughters justice & results are evident. pic.twitter.com/eA1SBipQUH
— ANI (@ANI) January 30, 2019
प्रधानमंत्री का यह बयान जमीनी हकीकत से एकदम परे है। इस बात की तसदीक खुद रेप पीड़िताएं कर रहीं है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के लोहियापुर गाँव में रहने वाली 14 वर्षीय उमा (बदला हुआ नाम) आज भी न्याय के लिए लड़ रही है। कोर्ट में लगी हर तारीख पर वो यहीं उम्मीद लेकर जाती हैं कि इस बार उसके अपराधी को सजा मिलेगी। उमा के साथ उसके ही पड़ोस के एक भाई ने उसके साथ लंबे समय तक डरा धमकाकर बलात्कार किया। उसकी इस दंरिदगी से आज उमा पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने की उम्र में पांच महीने के बच्चे की मां है।
4 अगस्त 2017 में उमा के हुई दंरिदगी का मामला दर्ज किया गया लेकिन अभी तक कोई न्याय नहीं मिला। उमा ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "डेढ़ साल हो गए अभी तक अपराधी को सजा नहीं हुई है। 5 फरवरी को फिर से तारीख लगी हुई है। समाज कल्याण से पौने चार लाख रूपए मिले थे लेकिन मुझे उसको सजा दिलानी है।''
उमा ही नहीं उसकी कई पीड़िताओं को थानों और अदालतों की लंबी प्रक्रिया, डॉक्टरी जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के लापरवाही से न्याय के लिए वर्षों तक भटकना पड़ता है जिसके बाद भी उनको न्याय नहीं मिलता। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 14 मिनट में 1 रेप होता है, वहीं, हर तीन मिनट में महिला के खिलाफ कोई न कोई अपराध होता है। आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की तुलना में 2017 में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
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महिलाओं को कानूनी अधिकार दिलाने वाली संस्था एसोसिएशन फार एडवोकेसी एंड लीगल (आली) की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा बताती हैं, ''तीन दिन में बलात्कारी को फांसी देना यह तो एक सपने जैसी बात है। पीड़िता की एफआईआर लिखने और मामले को कोर्ट तक पहुंचने में ही महीनों लग जाते है। देश में कड़े कानून के बावजूद भी दोषसिद्वि रेट काफी कम है।''
कठुआ और उन्नाव रेप मामले के बाद कानून को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाल यौन आपराधिक कानून (पोक्सो एक्ट) में संशोधन भी किया गया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को सजा-ए-मौत, 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप की सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया। लेकिन न्याय पाने के लिए पीड़िता को छह साल से भी ज्यादा समय लग जाता है।देश में बलात्कार पर पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर बयानबाज़ी भी शुरू हुई। कई नेताओं ने इसे लेकर ट्वीट किया।
I hope someone from the @PMOIndia can furnish the nation with details of the rape cases that were tried in our courts & completed within 3/7/11 & 30 days. I'll eat my hat if even one case fits PM sahib's imaginary timeline. https://t.co/peBioUJCla
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 30, 2019
महिलाओं के हक के लिए काम कर रही समाज सेविका तहिरा हसन बताती हैं, ''मैंने तो अभी तक कोई ऐसा मामला नहीं देखा जिसमें एक महीनें अंदर में पीड़िता को न्याय मिल गया हो यहां तो एफआईआर दर्ज कराने के लिए पीड़िता को भाग-दौड़ करनी पड़ती है। निर्भया कांड के बाद देश में कड़े कानून बने बावजूद इसके दोषसिद्वि रेट सिर्फ 24 फीसदी है जो वर्ष 1975 में 41 फीसदी था। सरकार द्वारा जो वन स्टॉप सेंटर खुलने में वो भी नहीं खुले।''
बाल यौन अपराध कानून में संशोधन के पहले अदालत को दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि देशभर की निचली अदालतों में बाल यौन अपराध से जुड़े 1,12,628 मामले लंबित हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 30,883 मामले हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में 10,117, पश्चिम बंगाल में 9,894, ओडिशा में 6, 849, दिल्ली में 6,100, केरल व लक्ष्यद्वीप में 5,409, गुजरात में 5,177, बिहार में 4,910, और कर्नाटक में 4,045 मामले लंबित है।
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पिछले वर्ष मई में गाँव कनेक्शन ने सात भाग की एक विशेष सीरीज 'रक्तरंजित' की थी, जिसमें उन रेप पीड़िताओं की आपबीती लिखी थी जो देश बने कड़े कानून के बावजूद कई वर्षों से न्याय पाने के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रही है और मीडिया की सुर्खियों से कोसो दूर है। इस सीरीज उन मुद्दों को भी उठाया गया जिसकी वजह से रेप पीड़िताओं को न्याय में मिली देरी होती है।
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