यूपी: गांव को छोड़ शहर में बनवा दिया प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास, शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

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यूपी: गांव को छोड़ शहर में बनवा दिया प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास, शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

अरविंद सिंह‍ परमार, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

कुआंघोषी (ललितपुर)। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना पात्रता चयन के लिए गाइड लाइन होने के बाद भी हर पंचायत से अपात्रों के चयन की शिकायतेंआती रहती हैं। लेकिन आपने ऐसा नहीं सुना होगा कि पंचायत ने स्वयं की गाइड लाइन बनाकर शहरी लोगों को ग्रामीण आवास दे दिए हो। जी हां, ऐसा ही हुआ ललितपुर जनपद से 41 किमी दूर पूर्व पश्चिम दिशा के महरौनी ब्लाक के ग्राम पंचायत कुआंघोषी में। यहां 26 प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास नगर पंचायत महरौनी के शहरी लोगों को शहरी भाग में बनवा दिये। ऐसे में गांव के कई पात्र इस लाभ से वंचित रह गये।

मकरीपुर वारी जैसे कईयों पात्र लोग पॉलीथीन और छप्पर वाले कच्चे घरों में गुजर बसर कर रहे हैं। इन लोगों ने प्रधान व कर्मचारियों से गुहार लगाई लेकिन उन्‍हें ग्रामीण आवास का लाभ नहीं मिला। मकरीपुर वारी के दोनों लड़के और बहू परदेश में मजदूरी करने चले गये। 90 डिसमिल जमीन से साल भर खाने को अनाज पैदा नहीं होता। गरीबी में पूरी जिंदगी निकल गयी, लेकिन पक्की छत का सपना कभी पूरा नहीं हुआ।

ब्लाक महरौनी ग्राम पंचायत कुआंघोषी में कच्चे पॉलीथीन के टपरे के बाहर बैठी मकरीपुर वारी (58 वर्ष) आरोप लगाते हुए बताती हैं कि बैठने तक की जगह घर में नहीं बची है। पूरे घर में हर तरफ से पानी टपक रहा है। आवास के लिए प्रधान से कई बार कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। वो बताती हैं कि हम कब तक ऐसे जिंदगी गुजारेंगे, साहब! पन्नी से बरसात में कब तक रुकेगा, हवा चलने पर कही उड़ जात त ई फट जात, टपरिया में पानी टपकत है, हमार आवास प्रधान नाही बनावत।

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तीन हजार आवादी वाले कुआंघोषी ग्राम पंचायत में ऐसा भी नहीं कि अधिकारी ग्रामीण आवास के निरीक्षण और पात्रता चयन के दौरान न आये हों। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 42 आवास स्वीकृत हुए प्रधान सिक्रेटरी ने गांव के पात्र लोगों को वंचित कर, महरौनी नगर पंचायत के 26 अपात्र लोगों को ग्रामीण आवास देकर शहरी क्षेत्र में बनवा दिये। ग्रामीण एवं शहरी आवास योजना की गाइड लाइन भिन्न-भिन्न है, ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थी को मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी देने का भी प्रावधान है। ग्राम पंचायत कुआंघोषी द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना व मनरेगा गाइड लाइन का उल्लघंन कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।

कपूरचन्द्र अहिरवार पिछले डेढ़ साल से शिकायत कर रहे हैं। उन्‍होंने आरोप लगाते हुए बताया कि पिछले साल 42 प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास में से 16 आवास गांव वालों को मिले, बाकी 26 ग्रामीण आवास महरौनी शहर के लोगों को देकर शहर के वार्डो में बनवा दिये। ऐसा करने से गांव के पात्र वंचित रह गये। कपूर चन्द्र आगे बताते हैं कि गांव वालों का हक मारकर शहर के लोगों को ग्रामीण आवास दे दिये उन लोगों की ना तो गांव में जमीन है, ना मकान... इनका राशनकार्ड, वोटरलिस्ट, आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, परिवार रजिस्ट्रर में कहीं कुछ भी नहीं है। उनका सब कुछ नगर पंचायत महरौनी का है, इन्हीं लोगों का मनरेगा जॉब कार्ड बनाकर काम भी दे दिया।


एसईसीसी 2011 की सूची के सहारे हो रही गड़बड़

एसईसीसी 2011 के आधार पर बनायी गयी ग्रामीण आवास के पात्र लाभार्थियों की प्रतिक्षा सूची में अपात्र लोगों के नाम सम्‍मलित होने की वजह से पात्र लोग छूट रहे हैं। शासन ने निर्देश दिया था कि स्थाई पात्रता सूची में से अपात्रों के नाम विधि द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन कराते हुए, उन्हें हटाकर यह निर्धारित किया जाय कि कोई अपात्र लाभान्वित ना हो। इसके बावजूद भी कुआंघोषी ग्राम पंचायत ने नगर पंचायत महरौनी के 26 अपात्रों को पात्रता सूची से नहीं हटाया।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की गाइड लाइन का उल्लघंन

प्रधानमंत्री ग्रामीण एवं शहरी आवास योजना की अलग-अलग गाइड लाइन एवं नियम हैं, दोनों के नियमों में तमाम भिन्नता भी है। शहरी लोगों के लिए प्रधानमंत्री शहरी आवास एवं ग्रामीण लोगों को ग्रामीण आवास योजना का लाभ दिया जाता है। वहीं महरौनी ब्लाक की ग्राम पंचायत कुआंघोषी ने ग्रामीण आवास योजना की गाइड लाइन का उल्लघंन कर ग्रामीण आवास योजना के बजट का 31 लाख 20 हजार रूपया महरौनी शहर के 26 लोगों में बांटकर वित्तीय अनियमितता की।

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मनरेगा गाइड लाइन का हुआ उल्लघंन

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में 90 -90 दिन लाभार्थी परिवार को मनरेगा से रोजगार देने का प्रावधान है। मननेगा गाइड लाइन के अनुसार,"ग्राम पंचायत की परिधि में निवासरत परिवार जो पंचायत में पंजीकृत है, पंजीकृत परिवार की मांग पर जॉब कार्ड बनाती है। इस गाइड लाइन का उल्लघंन कर महरौनी शहरी लोगों के नाम जॉबकार्ड पंचायत ने जारी कर दिए। उन 26 जॉब कार्डो पर फर्जी एमबी के सहारे 90-90 दिन का भुगतान कर चार लाख, नौ हजार, पांच सौ रुपया की हेराफेरी की।

तहसीलदार द्वारा प्रकरण सही ठहराये जाने के बाद नहीं हुई कार्रवाई

महरौनी तहसीलदार गुलाब सिंह ने 2 जुलाई 2018 के पत्र में कपूरचन्द्र की शिकायत को सही ठहराते हुए पत्र में लिखा था कि ग्राम पंचायत कुआंघोषी से बाहर के 26 आवास निर्मित किये गये, जो नगर पंचायत महरौनी के निवासी है। महरौनी से राशनकार्ड का लाभ ले रहे हैं, तथा मतदान सूची में दर्ज हैं। वे ग्राम पंचायत कुआंघोषी के निवासी नही हैं। ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा अपात्रों को योजना का लाभ दिया गया हैं। यह शिकायत सही पाई गई है।

प्रधान के शपथ पत्र पर बनी संयुक्त टीम एक साल में नहीं कर पायी जांच

प्रधान के शपथ पत्र के आधार पर उपजिलाधिकारी ने 10 जुलाई 2018 को तीन सदस्यीय संयुक्त जांच टीम में खण्ड विकास अधिकारी महरौनी, तहसीलदार महरौनी एवं अधिशासी अभियंता नगर पंचायत महरौनी को नामित किया। एक साल से कमेटी जांच नहीं कर पाई। इस बारे में कपूरचंद्र बताते हैं कि ब्लाक, जिले और शासन स्तर पर कई शिकायतें की लेकिन कार्यवाही नहीं हुई।

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जॉब कार्ड निरस्त होने के बाद नहीं हुई वसूली की कार्रवाई

कपूर चन्द्र की शिकायत पर एडीओ (पंचा) महरौनी ने 31 मई 2018 को जॉब कार्ड निरस्त कर पत्र में लिखा था कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों को जारी किये गये 26 जॉब कार्ड को नियमानुसार निरस्त किये जाने की कार्रवाई अमल में लाई गई है।"

भ्रष्टाचार की शिकायते आने पर शासन ने दिया था आदेश

जनपद सीतापुर व उन्नाव में ग्रामीण आवास में भ्रष्टाचार के विरुद्ध की गई कार्रवाई का उदाहरण देते हुए प्रदेश के सभी जनपदों को शासन स्तर से निर्देश दिया गया था कि ऐसे प्रकरण संज्ञान में आने पर उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। लेकिन इस आदेश का पालन भी नहीं हुआ।

प्रकरण के संबंध में मनरेगा उपायुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी एवं परियोजना निर्देशक बलिराम वर्मा से प्रकरण के संबंध में बात कि तो वो जबाब देने से बचते नजर आये। वहीं मनरेगा उपायुक्त इन्द्रमणी त्रिपाठी ने बीडीओ से बात करने की बात कही।

  

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