संविदा कर्मचारियों से मिलीं प्रियंका गांधी, दिक्कतें दूर करने का वादा

ashwani kumar dwivediashwani kumar dwivedi   2 April 2019 9:19 AM GMT

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संविदा कर्मचारियों से मिलीं प्रियंका गांधी, दिक्कतें दूर करने का वादा

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। देश के सभी राजनीतिक दल 'साम दाम दंड भेद' का उपयोग कर सत्ता तक पहुंचने की जुगत में लगे हैं। हर चुनाव की तरह, इस चुनाव में भी उत्तर प्रदेश के लाखों संविदाकर्मी जिनमें अनुदेशक, शिक्षामित्र, आंगनबाड़ी, सहायिका, रसोइया, ग्राम रोजगार सेवक, आशाकर्मी और विभिन्न विभागों के संविदाकर्मियों की भूमिका काफी मायने रखती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने संविदाकर्मियों और सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाली का चुनावी मलहम लगाकर कांग्रेस के पक्ष में करने का प्रयास किया है।

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उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के किशुनपुर गाँव निवासी अनुदेशक संदीप शर्मा ने बताया-

"अनुदेशकों की समस्या सुनने के लिए एक विधायक के माध्यम से हमें कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय लखनऊ बुलाया गया था। वहां प्रियंका गाँधी वाड्रा से मुलाक़ात हुई और उन्होंने चालीस मिनट तक अनुदेशकों की समस्याओं पर बात की, उनके हल और नियमतिकरण के मुद्दे को कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन भी दिया।"

प्रियंका के आश्वासन पर अनुदेशक संदीप शर्मा कहते हैं कि "अनुदेशक शिक्षकों के समान ही काम करते हैं, लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा वादा करने के बावजूद उनकी कोई मदद नहीं की गयी। अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह 34 बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और हर बार आश्वासन के बाद भी सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। अब प्रियंका इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगी या नहीं इस बारे में पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता।"

उत्तर प्रदेश अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया, "चुनाव के दौरान 6 अप्रैल 2017 को योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई थी और उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले अनुदेशकों को नियमित करने का वादा भी किया था। अनुदेशकों का मानदेय 2 साल पहले 17 हजार रूपए देने की घोषणा की थी, जो आज तक पूरी नहीं हुई लेकिन अखबारों में इसका प्रचार चल रहा है।"

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"योगी सरकार ने भी अनुदेशकों को 9800 रूपये मानदेय करने की घोषणा की, लेकिन वो भी आज तक पूरी नहीं हुई। इधर पिछले तीन महीने से प्रदेश के अनुदेशकों को मिलने वाला न्यूनतम मानदेय 8470 रुपए भी नहीं दिया गया है। इसके बावजूद अनुदेशक बराबर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और आजकल निर्वाचन की ड्यूटी कर रहे हैं। अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए जब 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रदेश के अनुदेशकों ने सामूहिक रूप से सर मुंडवाया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान था कि 'अनुदेशक अपने पूर्व जन्म का पाप भोग रहें हैं,'" - वो कहते हैं।

विक्रम सिंह आगे बताते है, "संविदा का दंश सिर्फ अनुदेशक ही नहीं देश के करोड़ों युवा झेल रहे हैं। रोजगार न होने की स्थिति में प्रदेश और देश के पढ़े लिखे युवा मजबूरी में मजदूरी करते हैं। इससे परिवार को पालना बहुत मुश्किल है। संविदा का कॉन्सेप्ट शिक्षा में साल 2009 में कांग्रेस द्वारा लाया गया, जिसकी चपेट में आज देश के करोड़ों युवा फंस गए हैं।"

चुनावी वादों पर विक्रम सिंह कहते हैं कि चुनाव के समय राजनेताओं को हमारी समस्या स्पष्ट नजर आती है और चुनाव के बाद इन्हें संविदाकर्मी ही समस्या लगने लगते हैं।

उत्तर प्रदेश ग्राम रोज़गार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश सिंह कहते हैं, "साल 2016 में चुनाव के समय भाजपा सांसद कौशल किशोर ने सभी संविदाकर्मियों की एक बैठक बुलाई और ये नारा दिया था कि 'जो अधिकार दिलायेगा, वो सरकार चलाएगा', और लिखित में भी इस बात का आश्वासन दिया था। उसके बाद मलिहाबाद विधान सभा में चुनावी सभा के दौरान वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने सरकार बनते ही रोज़गार सेवकों की समस्या के निराकरण की बात कही थी। विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह से अभी भी वार्ता चल रही है।"

भूपेश सिंह आगे बताते हैं कि, "रोज़गार सेवकों के 17 सदस्यीय दल से कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और उत्तर प्रदेश का घोषणा पत्र अलग से बनवाने की बात कही है।"

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1200 शिक्षा मित्रों की मौत हो चुकी है पर पूछने वाला कोई नहीं है

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा संघ के प्रदेश संरक्षक/संयोजक शिव कुमार शुक्ल का कहना है, "शिक्षा मित्रों को पढ़ाते हुए 20 साल हो गये हैं, जब शिक्षा मित्र नियमित हुए तो उनका वेतन बढ़ गया लेकिन जब उन्हें फिर से हटाया गया तो समस्याएं बढ़ गयीं। उत्तर प्रदेश में अब तक 1200 शिक्षामित्र इस कारण मर चुके हैं। भाजपा सरकार ने बड़े-बड़े वादे किये थे लेकिन कोई वादा पूरा नही किया। प्रियंका गाँधी ने शिक्षा मित्रों की समस्या को घोषणा पत्र में शामिल करने की बात कही है अगर सत्ता परिवर्तन हुआ तो मुझे उम्मीद है कि शिक्षा मित्रों की दशा में बदलाव होगा।"


   

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