बिहार: वैशाली की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन, क्या प्रोटेस्ट के बाद ही न्याय मिलेगा?

देश में किसी भी पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए आख़िर हर बार लोगों को क्यों करना पड़ता है प्रोटेस्ट, क्यों निकालना पड़ता है कैंडिल मार्च?

Neetu SinghNeetu Singh   23 Nov 2020 5:09 PM GMT

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बिहार: वैशाली की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन, क्या प्रोटेस्ट के बाद ही न्याय मिलेगा?

बिहार के पटना शहर के जिस कारगिल चौक पर 15 नवंबर को 20 वर्षीय पीड़िता का शव रखकर परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आक्रोश जाहिर किया था, उसी कारगिल चौक पर 23 नवंबर को बिहार के कई महिला संगठनों ने प्रोटेस्ट कर जल्द से जल्द पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सरकार से मांग की।

प्रोटेस्ट में शामिल पटना की रहने वाली रामपरी देवी गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं, "ये विडम्बना है कि हमारे देश की महिलाओं-बेटियों के साथ जघन्य अपराध होते हैं, उनकी मौत हो जाती है, पर न्याय पाने के लिए जबतक सड़कों पर न उतरो तबतक प्रशासन जागता ही नहीं है।"

रामपरी की तरह बिहार के कई महिला संगठनो से जुड़ी महिलाओं ने 23 नवंबर को कारगिल चौक पर प्रोटेस्ट किया। इनकी मांग थी कि वैशाली की बेटी को जल्द से जल्द न्याय मिले और बिहार में लगातार जो घटनाएं हो रही हैं उनपर रोक लगे। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आख़िर हर बार पीड़िताओं को न्याय दिलवाने के लिए लोगों को प्रोटेस्ट क्यों करना पड़ता है? क्या बिना प्रोटेस्ट के किसी भी पीड़िता को न्याय मिलना संभव नहीं है?

मृतका की माँ गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं, "जिस दिन हमारी बेटी मरी हम लोग उसकी लाश लेकर कारगिल चौक पर बैठे (प्रदर्शन करते) रहे। उसकी मौत के एक दो दिन बाद उन्हें (आरोपियों) गिरफ्तार किया गया। आप खुद ही सोचिए मेरी बेटी 15-16 दिन अस्पताल में रही तबतक पुलिस ने किसी को पकड़ा ही नहीं। अगर वो मरती नहीं, हमलोग धरने पर न बैठते तो आज भी वो (आरोपी) ऐसे ही घूम रहे होते।"

वैशाली की बेटी को न्याय दिलाने के लिए पटना के कारगिल चौक पर महिलाओं ने किया प्रोटेस्ट.

वो आगे कहती हैं, "अभी जिन दो लोगों को (चंदन राय और सतीश कुमार राय) पुलिस ने पकड़ा है उनकी उम्र 17 साल दिखा दी है। दोनों हमारे पड़ोस के हैं हमें पता है सतीश की उम्र 22 साल होगी और चंदन की 20-21 साल होगी। हमारी बच्ची दो ही लोगों को पहचान पायी उन्ही के नाम बताये पर और भी दो तीन लोग थे उन्हें पुलिस ने खोजा ही नहीं। सनी कुमार राय नाम का एक लड़का और है जिसको हम जानते हैं वो भी घटना में शामिल था पुलिस ने उसका नाम ही नहीं लिखा।"

बिहार के वैशाली जिला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर दूर एक गाँव की रहने वाली 20 वर्षीय युवती को गाँव के कुछ लड़कों ने 30 अक्टूबर की शाम पांच बजे केरोसीन तेल डालकर जला दिया। पीड़िता 17 दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती रही, 15 नवंबर को उसने दम तोड़ दिया। परिजनों ने धरना प्रदर्शन किया, कुछ महिला संगठन आगे आये तब कहीं जाकर नामजद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

इस मामले की अपडेट जानने के लिए जब गाँव कनेक्शन ने वैशाली जिले के पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार को फोन किया तो उन्होंने कहा, "जो भी मामला था हमने मीडिया को ब्रीफ दे दिया है। हमारे सीनियर डिपार्टमेंट ने भी ब्रीफ कर दिया है, अब मैं इस मामले पर कुछ भी बात नहीं कर सकता।"

पीड़िता पांच बहन चार भाई में चौथे नम्बर की थी। पीड़िता के पिता की दिसंबर 2018 में बीमारी की वजह से मौत हो गयी। माँ पटना में सिलाई करने जाती हैं और पीड़िता घर पर रहकर सिलाई करती थी जिससे पूरे परिवार का खर्चा चलता था। घटना वाले दिन भी पीड़िता की माँ पटना में सिलाई करने ही गईं थीं।

ये महिलाएं मांग कर रही हैं कि बिहार में बढ़ती घटनाओं पर जल्द से जल्द रोक लगे.

"पीड़िता के साथ जिस दिन घटना हुई उसके कई दिनों तक बिहार चुनाव की वजह से पुलिस ने मामले को बिलकुल दबाकर रखा। पीड़िता की 17वें दिन मौत हो गयी, परिवार ने और कुछ महिला संगठनो ने जब धरना-प्रदर्शन किया तब पुलिस कुछ सक्रिय हुई इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आप किसी भी मामले को ले लीजिये जबतक लोग सड़कों पर नहीं उतरते तबतक मामले में कोई सुनवाई होती ही नहीं, " रामपरी ने बताया, "बिहार में नवंबर महीने में कई घटनाएं घटीं पर किसी में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।"

रामपरी देवी अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (ऐडवा) ऑल इण्डिया की वाइस प्रेसीडेंट हैं। ऐडवा संस्था देशभर में पिछले 40 वर्षों से महिलाओं के हक और अधिकारों के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए काम करती हैं। इस संगठन में देशभर से एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

देश में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है जब ये प्रोटेस्ट हुआ हो। हमें और आपको ज्यादातर घटनाओं की जानकारी तब हो पाती है जब लोग सड़कों पर उतरते हैं, अगर लोग सड़कों पर न उतरें तो उन मामलों में पीड़िता को न्याय मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। निर्भया केस, कठुवा कांड, हाथरस गैंगरेप जैसे दर्जनों मामले तब सुर्ख़ियों में आये जब लोगों का आक्रोश सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर दिखा। इसके बावजूद इन पीड़िताओं को भी न्याय मिलने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं रही। निर्भया के परिजनों को सालों लग गये तब कहीं जाकर उन्हें न्याय मिला।

बिहार में नवंबर महीने में हुई घटनाओं के बारे में रामपरी कहती हैं, "दरभंगा जिले में घनश्यामपुर थाना क्षेत्र के एक लड़के ने गाँव की एक लड़की से प्रेम विवाह किया और उसे लेकर दिल्ली चला गया। इस घटना के बदले में गाँव के लोगों ने लड़के की वृद्ध माँ के साथ मार-पिटाई की और बाद में गाँव के एक बुजुर्ग से उनकी मांग में सिंदूर भरवा दिया, इस मामले में पुलिस अबतक कुछ नहीं कर पायी। दूसरी घटना मोतिहारी जिले में एक छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की गयी जब आरोपी सफल नहीं हुए तो उसकी हत्या कर दी। तीसरी घटना भागलपुर में एक महिला को डायन बताकर देवर ने उसके गलत व्यवहार किया।"

रामपरी द्वारा बताई ये कुछ एक घटनाएं उदाहरण मात्र हैं। बिहार ही नहीं देख के दूसरे राज्यों में भी ऐसी अनगिनत घटनाएं घटी जिसमें पुलिस की लापरवाही देखने को मिली। बिहार में दलित महिलाओं के लिए काम कर रहे एक संगठन 'दलित महिला मंच' की संयोजक प्रतिमा कुमारी कहती हैं, "सरकार तो सुनती ही नहीं है, कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है कि अगर किसी के साथ घटना घटेगी तो उसके न्याय के लिए किसकी जवाबदेही तय होगी। प्रोटेस्ट का असर तो होता ही है इससे सरकार पर दवाब बनता है। आप किसी भी घटना को देख लीजिये पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए जब तक लोग सड़कों पर नहीं उतरे हैं तबतक उनके लिए न्याय मिलना आसान नहीं रहा है।"

प्रोटेस्ट में शामिल 'बिहार महिला समाज' की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता झा कहती हैं, "बिहार में लगातार महिलाओं पर हिंसक हमले हो रहे हैं। महिलाओं को जिन्दा जलाया जा रहा है। सरकार और प्रसाशन इस तरह के तमाम मामले पर कोई कठोर कार्रवाई करने में विफल रही है। भागलपुर, दरभंगा समेत राज्य में लगातार महिलाओं के साथ हिंसक हमले हो रहे हैं। पर ये दु:खद है कि इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए प्रोटेस्ट करना हमारी मजबूरी है।"

अभी हाल ही में हरियाणा के बल्लभगढ़ में 26 अक्टबूर को 21 साल की निकिता परीक्षा देकर कॉलेज से बाहर निकल रही थी, उसी दौरान उसे एक युवक ने कार में अपहरण करने की कोशिश की और नाकाम होने पर गोली मारकर हत्या कर दी। हत्यारोपी युवक तौसीफ़ उससे शादी करना चाहता था। इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा। परिजनों के मुताबिक 2 साल पहले भी युवक ने उसका अपहरण किया था, आरोपी धर्म परिवर्तन कर शादी करना चाहता था पर निकिता राजी नहीं थी। उस समय भी परिजनों ने एफआईआर दर्ज करवाई थी लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और सुलह समझौता करा दिया। अगर पुलिस उस समय कार्रवाई करती तो शायद निकिता की हत्या होने से बच जाती। इस घटना पर भी सबका ध्यान तब गया जब निकिता के परिजन न्याय की मांग के लिए सड़क पर बैठ गये।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एशोसिएशन (ऐपवा), बिहार की सह सचिव अर्चना सिन्हा कहती हैं, "वैशाली में जिस बेटी की हत्या हुई है उसकी माँ पथराई आँखों से न्याय की राह देख रही है, वो बार-बार यही कह रही हैं कि हमें कुछ नहीं चाहिए अपनी बेटी के लिए सिर्फ न्याय चाहिए फिर भी सरकार खामोश है। बच्ची बहुत ही गरीब परिवार से थी, माँ की सिलाई करने में मदद करती थी जिससे घर का खर्चा चलता था। परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि वो भागदौड़ करके केस लड़ सकें, ऐसे में पीड़िता को न्याय मिले ये कौन सुनिश्चित करेगा?"


   

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