डिजिटल राशन प्रणाली: पहले लिस्ट से गायब हुआ नाम, अब नहीं मिल रहा राशन
यूपी समेत पूरे देश में राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता के लिए डिजिटल सिस्टल लागू किया गया, लेकिन इस चक्कर में बहुत से लोगों के नाम लिस्ट से गायब हो गए जो वास्तविक हकदार थे... प
Sachin Dhar Dubey 22 Oct 2019 5:26 AM GMT
सचिन धर दुबे/रणविजय सिंह
अमेठी (ओदारी)। ''पहले हमें राशन मिल रहा था, बाद में राशन मिलना बंद हो गया। अब प्रधान और कोटेदार के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं। हमें राशन नहीं मिल पा रहा।'' यह बात अमेठी के पूरे मदे गांव के रहने वाले रफीक (32 साल) कहते हैं।
पूरे मदे गांव अमेठी के ओदारी ग्राम पंचायत में पड़ता है। यह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 110 किमी की दूरी पर है। यह गांव हाल में डिजिटल हुई राशन प्रणाली की खामियों को उजागर करता है।
45 घरों के इस गांव में करीब 40 परिवार को राशन नहीं मिल रहा है। इसके पीछे की वजह है इन लोगों का नाम राशन कार्ड पात्रता की लिस्ट में न होना। इन लोगों का नाम पात्रता की लिस्ट में क्यों नहीं है? इसके जवाब में गांव के प्रधान से लेकर खाद्य एवं रसद विभाग से जुड़े अधिकारी बस इतना कह पाते हैं कि सत्यापन के वक्त नाम छूट गया था, अब दर्ज कर लिया जाएगा।
खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, अमेठी जिले में अंत्योदय और पात्र गृहस्थी कार्ड मिलाकर 3,49,567 राशन कार्ड धारक हैं। इन राशन कार्ड पर 13,31,786 लोग लाभ ले रहे हैं। वहीं, बात करें उत्तर प्रदेश की तो पूरे प्रदेश में 3,56,86,808 राशन कार्ड बने हैं। जिसका फायदा 14,16,12,546 लोगों को मिल रहा है। हालांकि ऑनलाइन नाम दर्ज न हो पाने और सत्यापन के वक्त हुई खामियों की वजह से उत्तर प्रदेश में बहुत से परिवारों का नाम पात्रता लिस्ट में दर्ज नहीं हो पाया है।
पूरे मदे गांव की ही रहने वाली 40 साल की बिपाता का नाम भी राशन पात्रता की लिस्ट में नहीं है। बिपाता के पति नहीं हैं, वो खंडहर से मिट्टी के घर में रहती हैं।
बिपाता बताती हैं, "मेरे पति नहीं है। खेत में काम करने वाला भी कोई नहीं है। पहले कोटे से राशन मिल जाता था, बाद में न जाने कैसे बंद हो गया। राशन की वजह से मेरा गुजारा हो जाता था, लेकिन जब से बंद हुआ है गुजारे के लिए गांव के दूसरे लोगों से मदद लेनी पड़ रही है।''
बिपाता चेहरे पर परेशानी का भाव लिए पूछती हैं, ''मैंने कई बार प्रधान से यह बात बताई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्या मुझे राशन नहीं मिल सकता?''
बिपाता की तरह ही गांव के कई लोग फिलहाल राशन न मिलने से परेशान हैं। इस बारे में जब ग्राम प्रधान मोहम्मद युसूफ से बात की गई तो उन्होंने कहा, ''जिनके कार्ड नहीं थे, उनके नाम भेजे गए थे, कुछ लोगों के कार्ड आ भी गए लेकिन ऑनलाइन सिस्टम में पूरी लिस्ट अपडेट नहीं हुई है।''
वहीं, सप्लाई इंस्पेक्टर संजय सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, "हम किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। गांव में सत्यापन के लिए कर्मचारी गया होगा तो किसी कारणवश उनकी मुलाकात नहीं हो पाई होगी। हमारे पास कोई आएगा तो उनका राशन कार्ड तुरंत बन जाएगा।''
ऐसा नहीं कि यह मामला सिर्फ अमेठी के एक गांव तक सीमित है। ऐसे कई मामले पूरे प्रदेश में सामने आ रहे हैं।
बाराबंकी के मोहारी गांव के रहने वाले शिवकुमार प्रजापति (45 साल) का मामला ही देख लीजिए। शिवकुमार बताते हैं, ''तीन महीने पहले मैं कोटे की दुकान पर गया तो पता चला कि मेरा राशन कार्ड रद्द हो गया है। इसके बाद से ही मैं भटक रहा हूं।''
शिवए कुमार ने राशन कार्ड फिर से बनाने के लिए शिकायत भी की और आवेदन भी किया लेकिन मामला सिफर ही रहा है। वो बताते हैं, 'अपना नाम दो बार ऑनलाइन दर्ज करा चुका हूं, लेकिन पता नहीं क्यों राशन कार्ड नहीं मिला रहा।''
शिव कुमार की तरह ही बाराबंकी के फेतहपुर ब्लॉक के बेलाहरा गांव की रहने वाली ललिता सिंह (30 साल) भी राशन कार्ड कैंसिल होने से परेशान हैं। वो कहती हैं, ''जब से पुराना कार्ड जमा करवाया गया है, नया कार्ड नहीं मिला है। कोटेदार कहता है कि हमारा नाम कट गया था। हम कबसे कार्ड बनाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई कार्ड बनाता ही नहीं। सब एक दूसरे पर टाल देते हैं।''
ऐसी ही शिकायत को लेकर पिछले दिनों बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील के त्रिवेदीगंज ब्लॉक के रहने वाले लोगों ने भी प्रदर्शन किया था। लोगों ने बीडीओ से शिकायत की थी कि जबसे राशन कार्ड नवीनीकरण हुआ है, बहुत से लोगों का नाम लिस्ट में नहीं आया। इसकी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा।
इस संबंध में जब खाद्य एवं रसद विभाग के अपर आयुक्त सुनील कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा, ''लोग खुद से कॉमन सर्विस सेंटर में आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद सप्लाई इंस्पेक्टर उनके घर जाएगा और वेरिफाई करके उनका राशन कार्ड बना देगा। एक ही दिक्कत होती है कि राशन कार्ड बनने के दो महीने बाद राशन मिल पाता है, क्योंकि यहां से तो अपटेड कर देते हैं, लेकिन एफसीआई से पूरी प्रोसेस होने में 2 महीने का वक्त लगता है।'' साथ ही अपर आयुक्त ने पूरे मदे गांव के मामले को दिखवाने की बात भी कही है।
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