जल्दी सामान पहुंचाने के लिए ‘पाइथन’ और ‘एनाकॉन्डा’ की मदद ले रहा भारतीय रेलवे, जानिए कैसे 

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   26 Sep 2017 4:31 PM GMT

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जल्दी सामान पहुंचाने के लिए ‘पाइथन’ और ‘एनाकॉन्डा’ की मदद ले रहा भारतीय रेलवे, जानिए कैसे मालगाड़ी

लखनऊ। भारतीय रेल अक्सर अपनी खामियों और लेटलतीफी की वजह से खबरों में बनी रहती है। अपनी खामियों, मालगाड़ियों को समय से सामान पहुंचाने के लिए विभाग ने अब महत्वपूर्ण योजना बनाई है। इस योजना के तहत ज्यादा दूरी वाली मालगाड़ी ट्रेनों को कम समय में पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए पाइथन, एनाकॉन्डा की मदद ली है।

आप सोच रहे होंगे की पाइथन, एनाकॉन्डा ये नाम तो सांपों की प्रजाति हैं तो आप सही सोच रहे हैं, लेकिन यहां बात हो रही है सामान को इधर-उधर लेकर जाने वाली लंबी-लंबी माल वाहक ट्रेनों की। भारतीय रेलवे पाइथन और एनाकॉन्डा की मदद से सामान को एक जगह से दूसरी जगह जल्दी पहुंचा पा रही है। यहां बात हो रही है सामान को इधर-उधर लेकर जाने वाली लंबी-लंबी माल वाहक ट्रेनों की।

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काफी लंबी होने के कारण रखा गया ये नाम

ये ट्रेनें काफी लंबी होती हैं और देखने में सांप की तरह लगती हैं इसलिए इनका ऐसा नाम रखा गया है। नॉर्थन सेंट्रल रेलवे को पाइथन, वेस्ट्रन रेलवे को एनाकॉन्डा और सेंट्रल रेलवे को मारुति के नाम से जाना जाता है। रेल अधिकारियों ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे की 'पाइथन' और पश्चिमी रेलवे की 'एनाकोंडा' मध्य रेलवे की 'मारुति' और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनें न केवल सामान को जल्दी से पहुंचाने में मदद कर रही हैं ये बहुत ही प्रभावी और कम खर्च वाली हैं। केंद्र सरकार ने साल 2017-18 में इन ट्रेनों पर प्रमुख रूप से ध्यान देने के बारे में सोचा है।

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रेलवे के एक्शन प्लान 2017-18 में लंबी दूरी की ट्रेनों की बात कही गई थी। ट्रैफिक की डिमांड को कम लागत में वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिये ही पूरा किया जा सके। ये ट्रेनें बिना रुके ही अपने गंतव्य तक जाती हैं। वर्तमान समय में इस तरह की औसतन 15 से 25 ट्रेनें प्रतिदिन चलाई जा रही हैं। मार्च 2018 तक इसे बढ़ाकर 50 करने की योजना है। इस तरह की ट्रेनों को चलाने के लिए लूप लाइन की आवश्यकता होती है। ऐसी तीन लाइनों को तैयार कर लिया गया है और पूरे देश में 109 लूप लाइनों की स्वीकृति मिल गई है।
संचित त्यागी, आगरा डिविजन के डिविजनल व्यवसायिक मैनेजर

किसी स्टेशन पर नहीं रुकती

इस तरीके की हर ट्रेन में 118 बोगियां और दो से तीन इंजन होते हैं। ये ट्रेन बिना किसी स्टेशन पर रुके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, फिलहाल रोजाना 15 से 25 ऐसी ट्रेनें चल रही हैं। इनकी संख्या मार्च 2018 तक प्रतिदिन 50 करने का प्लान है। इस तरीके की ट्रेनों को लंबी पटरी चाहिए होती हैं। अभी ऐसी कुल तीन लंबी लाइन मिली हैं वहीं आने वाले दिनों में 109 और लाइनें रेलवे को मिल सकती हैं।

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रेलवे के एक्शन प्लान 2017-18 में लंबी दूरी की ट्रेनों की बात कही गई थी। ट्रैफिक की डिमांड को कम लागत में वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिये ही पूरा किया जा सके। ये ट्रेनें बिना रुके ही अपने गंतव्य तक जाती हैं। वर्तमान समय में इस तरह की औसतन 15 से 25 ट्रेनें प्रतिदिन चलाई जा रही हैं। मार्च 2018 तक इसे बढ़ाकर 50 करने की योजना है। इस तरह की ट्रेनों को चलाने के लिए लूप लाइन की आवश्यकता होती है। ऐसी तीन लाइनों को तैयार कर लिया गया है और पूरे देश में 109 लूप लाइनों की स्वीकृति मिल गई है।

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