युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करने के लिए सरकार कर रही काम: राधामोहन सिंह
राधामोहन सिंह ने कहा कि ''एग्री स्टार्टअप के लिए देश में माहौल बनाने के लिए सरकार ने स्टार्टअप एवं स्टैंडअप कार्यक्रम की शुरूआत की है।''
गाँव कनेक्शन 17 Oct 2018 7:57 AM GMT
नई दिल्ली। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दो दिवसीय (16-17 अक्टूबर) कृषि-स्टार्टअप एवं उद्यमिता कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है। नई दिल्ली के एनएएससी कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्धाटन केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने किया। इस मौक पर उन्होंने कहा, ''देश के युवाओं को कृषि में आकर्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से आर्या नामक परियोजना संचालित है और फार्मर फस्ट का कार्यक्रम भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।''
राधामोहन सिंह ने आगे कहा, ''भारत में कृषि उत्पादन को बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित तकनीकों और हमारे किसान भाइयों का बहुत बड़ा योगदान है। इस वर्ष (2017-18) में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार, खाद्यान्न उत्पादन 284.83 मिलियन टन है, जो कि वर्ष 2013-14 में हासिल उत्पादन (265.04 मिलियन टन) के मुकाबले में लगभग 20 मिलियन टन ज्यादा है।''
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''वर्ष 2013-14 में बागवानी फसलों का उत्पादन 277.35 मिलियन टन था जोकि वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर 307 मिलियन टन हो गया। वर्ष 2013-14 में हासिल उत्पादन के मुकाबले में लगभग 30 मिलियन टन ज्यादा है। बागवानी उत्पादन के मामले में आज भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2015-16 में दलहन फसलों का उत्पादन 16.25 मिलियन टन था जोकि वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर 25.23 मिलियन टन हो गया जो वर्ष 2013-14 में हासिल उत्पादन के मुकाबले में लगभग 9 मिलियन टन ज्यादा है।''
उन्होंने बताया कि ''कृषि उत्पादन को बढ़ाने में उन्नत किस्मों, तकनीकों और बीजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वर्ष 2010-2014 की अवधि में जहां 448 किस्म खेती के लिए जारी की गईं थीं। वहीं वर्ष 2014-2018 की चार साल की अवधि में 795 उन्नत किस्मों को खेती के लिए जारी किया गया, जो कि लगभग दोगुनी संख्या है। प्रजनक बीजों के मामले में वर्ष 2013-14 में जहां मांग व उत्पादन क्रमश: 8479 टन एवं 8927 टन रहा, वहीं 2016-17 में यह आंकड़ा क्रमश: 10405 टन एवं 12265 टन तक पहुंच गया।''
राधामोहन सिंह ने कहा कि ''एग्री स्टार्टअप के लिए देश में माहौल बनाने के लिए सरकार ने स्टार्टअप एवं स्टैंडअप कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसमें नए युवकों को उद्यम स्थापित करने हेतु उचित सहायता एवं माहौल प्रदान करने का प्रयास किया गया। इसी परिपेक्ष में स्किल इंडिया योजना भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर शुरू की, जिसमें सभी क्षेत्रों में कौशल विकास का कार्यक्रम देशव्यापी रूप में शुरूआत की गई। आंकड़ों के अनुसार 22 लाख कुशल युवकों की आवश्यकता कृषि क्षेत्र को है, इसके लिए कृषि विभाग ICAR एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से कौशल विकास के प्रशिक्षण विभिन्न रोजगार परक क्षेत्रों में चलाये जा रहे हैं।''
आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में #WorldFoodDay के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय Agri Start up & Entrepreneurship Conclave के उद्घाटन समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया। #ZeroHunger pic.twitter.com/hbU6TMH6Za
— Radha Mohan Singh (@RadhamohanBJP) October 16, 2018
उन्होंने कहा, ''देश के युवाओं को कृषि में आकर्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से 'आर्या' नामक परियोजना संचालित है और फार्मर फस्ट का कार्यक्रम भी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। स्नातक स्तर पर युवाओं में कौशल विकास के दृष्टिगत इंटर्नशिप देने के लिए 'अभ्यास' नामक योजना प्रारंभ की गई है, ताकि जब युवक बी.एस.सी. एग्रीकल्चर की डिग्री प्राप्त कर बाहर निकलें तो अपनी कंपनी स्थापित करने में सक्षम हो सकें। बीज एवं पौध के उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण एवं पोस्ट हार्वेट मैनेजमेंट, पशु चिकित्सा, फार्म मशीनरी, पॉल्ट्री, मछली उत्पादन, जैविक उत्पाद, बायोपेस्टीसाइट के क्षेत्र में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं।''
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