क्या कूड़े में ही बीत जाएगी कूड़ा बीनने वालों की ज़िंदगी
कचरा उठाने वालों का दिन या यूं कहिए जिंदगी का बड़ा हिस्सा कूड़े के बीच ही बीत जाता है। ये वो समूह है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में एक अहम भूमिका निभा रहा है। कभी उसके चेहरे के भाव पढ़ें हैं...शायद नहीं।
Eshwari Shukla 24 May 2018 6:12 AM GMT
लखनऊ। सुबह जब आप आखों को मीचते हुए एक गहरी नींद से उठकर अपने गेट तक अखबार उठाने जाते हैं, या जब फिर जब आप नहा धोकर अपने काम के लिए अपने ऑफिस निकलते हैं, कुछ लोग आपके कॉलोनी, अपार्टमेंट या मोहल्ले को साफ करने में जुटे होंते हैं। ये वो कूड़ा भी उठाते हैं जिसे आप छूना तक पसंद नहीं करते। लोगों के घरों और कॉलोनियों का ये समूह है कूड़ा बीनने वाले, कचरा उठाने वाले रैगपिकर्स (कूड़ा उठाने वाला) का। ये वो लोग हैं जिनके दिन का, या यूं कहिए जिंदगी का बड़ा हिस्सा कूड़े के बीच ही बीत जाता है। ये वो समूह है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में एक अहम भूमिका निभा रहा है। जिस कचरे वाले को आप दूर से अपने घर की डस्टबिन या कचरे से भरी पॉलीथीन पकड़ाते हैं, कभी उसके चेहरे के भाव पढ़ें हैं...शायद नहीं।
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