कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति से मिले राहुल गांधी

केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग रहे विपक्ष के नेता राहुल गांधी, शरद पवार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

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कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति से मिले राहुल गांधी

तीनों नए कृषि कानूनों को वापस करने के मांग में किसानों का आंदोलन आज भी जारी है, किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राहुल गांधी, शरद पवार सहित पांच विपक्ष के नेता राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे।

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, "किसान ने इस देश की नींव रखी है और वो दिनभर इस देश के लिए काम करते हैं। ये बिल किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ये बिल किसानों के हित में हैं। अगर किसानों के हित में है, तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं? इन बिलों का उद्देश्य हिंदुस्तान की कृषि व्यवस्था को प्रधानमंत्री के मित्रों के हवाले करने का है। किसान इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ गए हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सकता। भाजपा सरकार को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान डर जाएंगे, पीछे हट जाएंगे। बिलों के रद्द होने तक किसान न डरेगा और न ही पीछे हटेगा।"

पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीआर बालू, भाकपा के महासचिव डी राजा और येचुरी शामिल रहे।

सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। हमने कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को वापस लेने के लिए कहा है।

कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 26 नवंबर से देश भर के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान नेताओं से अब तक सरकार के साथ छह बार बैठक भी हो चुकी है। आठ दिसम्बर को किसान नेताओं ने गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक की, जिसके बाद किसानों ने सरकार से लिखित प्रस्ताव की मांग की थी। आज सरकार ने किसान नेताओं को कानून संसोधन के लेकर लिखित प्रस्ताव भी दिया, जिसे किसान नेताओं ने खारिज कर दिया।

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रही किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए दस सूत्रीय प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और आंदोलन को देश भर में तेज करने की चेतावनी दी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि सरकार अपनी पुरानी बातों को ही गोल-गोल घुमा रही है। जो बातें सरकार की तरफ से पहले से की जा रही थी, उसे फिर से दोहराया जा रहा है। हम लगातार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और उस पर ही काबिज हैं। बिना कृषि कानूनों के रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने के बगैर आंदोलन को समाप्त नहीं किया जाएगा।

किसान मोर्चा ने इन प्रस्तावों को सरकार द्वारा किसानों का किया गया अपमान बताया और कहा कि 14 दिसंबर से पूरे देश भर में इस आंदोलन का विस्तार किया जाएगा और दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान जिला मुख्यालयों पर एक दिन का धरना देंगे और अन्य राज्यों के किसान 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।

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