मैंने मोदी जी से किसानों की कर्जमाफी पर बात की, PM एक शब्द नहीं बोले: राहुल गांधी
राहुल ने किसानों के कर्जमाफी के मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला किया।
गाँव कनेक्शन 15 Oct 2018 8:12 AM GMT
लखनऊ। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। इसी कड़ी में राहुल गांधी ने दतिया में एक जनसभा को संबोधित किया। इस जनसभा में राहुल ने किसानों के कर्जमाफी के मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला किया।
राहुल गांधी ने कहा, ''मैं आज तक नरेन्द्र मोदी जी के ऑफिस में सिर्फ एक बार गया हूं। मैं मोदी जी से किसानों के बारे में बात करना चाहता था। मैंने प्रधानमंत्री से कहा, किसान अपने कर्जे को माफ करने की मांग कर रहे हैं। मैं जानता हूं आप अमीरों का कर्जा माफ करना चाहते हैं, लेकिन आपको किसानों का कर्ज भी माफ करना चाहिए।'' राहुल ने बताया कि उनकी इस बात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
Rahul Gandhi went to PMO only once.Because he wants to talk about farmers.I told PM, farmers are requesting him to waive off their farm loan.I told him I know he wants to waive off loans of the rich but he should do it for farmers too.He didn't utter a word: R Gandhi in Datia,MP pic.twitter.com/dGRTaiQQQz
— ANI (@ANI) October 15, 2018
राहुल गांधी ने इसी बात पर आगे कहा, ''दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जी नीरव मोदी को, मेहुल चोकसी को 'मेहुल भाई' कहते हैं। भाई 35,000 करोड़ रुपये लेकर भाग गया।'' राहुल ने यहां कहा कि ''मध्य प्रदेश में जैसे ही कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी वैसे ही 10 दिन के अंदर मध्य प्रदेश के किसान का कर्जा माफ हो जाएगा।''
मध्य प्रदेश में 50 लाख किसान 60 हजार करोड़ कर्जे में दबे
बता दें, मध्यप्रदेश के चुनावी मुद्दों में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी अहम है। किसानों की कर्जदारी पर नेशनल ब्यूनरो ऑफ इंडिया का सर्वे बताता है कि मध्यप्रदेश में इस समय सीमांत व छोटे किसान मिलाकर कुल 85 लाख काश्तकार हैं। इसमें से करीब 50 लाख किसान 60 हजार करोड़ कर्जे के बोझ तले दबे हुए हैं। पिछले 14 सालों में किसानों के कर्ज में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। जिन किसानों पर 13 साल पहले सिर्फ एक लाख रुपए तक का कर्ज था वह बढ़कर 12 लाख रुपए हो गया है। और जिन पर कर्ज नहीं था वे सात लाख रुपए के कर्ज में डूब गए।
भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भी समर्थन मूल्य इतना नहीं है कि वह किसानों को फसल का उचित दाम दिला सके। मध्यप्रदेश आलू, लहसून, प्याज उत्पादन में देश में करीब-करीब दूसरे नंबर पर आता है, लेकिन पिछले साल इंदौर के आसपास के तमाम किसानों ने अपना प्याज खेतों में भैसों से चरवा दिया। उपज का मूल्य नहीं मिलने से किसान कर्ज में दबता जा रहा है।
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