राजस्थानः 14 साल से बंद हैं पांचना बांध की नहरें, 47 गांवों में सिंचाई प्रभावित

पांचना बांध से निकली नहरों को बंद कर दिया गया। इससे लगभग 47 गांवों के खेतों में न तो सिंचाई के लिए पानी मिल रहा और न ही ग्रामीणों को पीने का पानी मिल रहा।

Madhav SharmaMadhav Sharma   20 Oct 2020 1:45 PM GMT

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राजस्थानः 14 साल से बंद हैं पांचना बांध की नहरें, 47 गांवों में सिंचाई प्रभावितबांध में तो पानी है लेकिन नहरें बंद हैं जिस कारण पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही। (सभी तस्वीरें- माधव शर्मा।)

करौली (राजस्थान)। पूर्वी राजस्थान के करौली जिले में बने पांचना बांध से सटे गांवों के खेत पिछले 14 साल से प्यासे हैं। बांध से निकली नहरों को बंद कर देने के कारण करौली और सवाई माधोपुर जिले के करीब 47 गांवों के खेतों को ना तो सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है और ना ही ग्रामीणों को पीने के लिए पानी की सप्लाई हो रही है। इन 47 गांवों में 35 गांव कमांड एरिया के हैं और बाकी बांध के नज़दीक बसे गांव हैं। स्थानीय जानकारों की मानें तो नहरें बंद होने से दोनों जिलों में करीब 40 हजार बीघा खेती की भूमि असिंचित हो गई है। इससे करीब 1400 करोड़ रुपए की खेती का सीधा नुकसान हुआ है। पानी बंद होने से 1.25 लाख लोगों की आबादी प्रभावित हो रही है।

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2006 के बाद बिना कोई कारण बताए बांध से निकल रही नहरें बंद कर दी। ग्रामीणों की लगातार मांग के बाद भी नहरें शुरू नहीं हुईं। नहरें शुरू कराने की अपनी मांग को लेकर ग्रामीणों ने पांचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद नाम से संस्था तक बना ली है। इस संस्था ने मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और तमाम संबंधित अधिकारियों तक नहरें शुरू कराने की मांग पहुंचाई है, लेकिन 14 साल से कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

परिषद के अध्यक्ष रघुवीर प्रसाद मीणा का कहना है कि कोरोना के बाद जो प्रवासी आए हैं वे यहां अब खेती करना चाह रहे हैं, लेकिन सिंचाई के पानी की कमी के कारण उन्हें रिवर्स माइग्रेट करना पड़ रहा। इनमें मज़दूर, युवा, कारीगर सभी वर्ग शामिल हैं। इसके अलावा प्रभावित 47 गांवों में इन 14 सालों में भू-जल स्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई है। किसानों पर कर्ज़ बढ़े हैं और किसानों ने अपने यहां पशुओं की संख्या भी कम कर दी है।

बांध में भरपूर पानी, सरकारी लापरवाही से रबी सीजन पर भी संकट

करौली में बना पांचना बांध करौली और सवाई माधोपुर जिले के कई गांवों के जमीन की प्यास बुझाता है। करौली जिले के टोडाभीम, हिंडौन और नादौती तहसील के 23 गांव बांध से निकली नहरों का पानी इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही सवाईमाधोपुर की वजीरपुर तहसील के 24 गांवों में भी पांचना की नहरों का पानी पहुंचता था। इन गांवों के किसान सिंचाई के लिए इसी बांध पर निर्भर हैं। पांचना बांध की जल भराव क्षमता 59.45 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इस साल अच्छा मानसून होने से बांध में 47.25 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। यानी बांध 80 फीसदी भरा हुआ है। वर्ष 2019 में पांचना सिर्फ 27.23% ही भरा था।

पांचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद के सदस्य प्रदर्शन करते हुए।

रघुवीर मीणा कहते हैं, "अगर सरकार हमारी मांग मान लेती है तो इस बार रबी सीजन की बुआई और बाद में सिंचाई इन नहरों से हो जाएगी। इसके लिए हमने मुख्यमंत्री को 6 ईमेल और सैंकड़ों ट्वीट्स किए हैं। शिकायत निवारण संपर्क पोर्टल पर भी अपनी समस्या दर्ज कराई है। राजस्थान के मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग के विशेष सचिव, भरतपुर संभाग के आयुक्त के साथ-साथ करौली जिले के कलक्टर को पत्र तक लिखे हैं।"

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मीणा जोड़ते हैं कि ये सबसे दुखद है कि सरकार की तरफ से हमें कोई आश्वासन तक नहीं मिल रहा। 14 साल से बंद होने के कारण इन नहरें जगह-जगह से टूट गई हैं। इनमें मिट्टी, पेड़-पौधे और झाड़ियां उग आई हैं। हमारी यही मांग है कि नहरों की मरम्मत करा कर इनमें पानी छोड़ा जाए ताकि डांग एरिया के इन गांवों में पानी की किल्लत खत्म हो।

गुर्जर-मीणा जातीय मनमुटाव भी बना कारण

वर्ष 2006 में राजस्थान में हुए गुर्जर आंदोलन के समय जब पूर्वी राजस्थान में सब कुछ बंद हो गया तब विरोध के बाद इन नहरों को भी बंद कर दिया गया था। पांचना बांध के ऊपर बसे करीब 35 गांव गुर्जर बाहुल्य हैं। वहीं, जहां नहरों से पानी जाता है, उनमें से ज्यादातर गांव मीणा बाहुल्य हैं। गुर्जरों की मांग है कि बांध के पानी पर पहले उनका हक है इसीलिए पहले उनके गांवों को पानी दिया जाये। मांग के बाद राज्य सरकार ने 2011 में 13.21 करोड़ रुपए की लागत से गुड़ला-पांचना लिफ्ट योजना बनाई ताकि ऊंचाई पर बसे गुर्जर बाहुल्य गांवों में बांध का पानी पहुंच सके।

पांचना बांध का पानी।

गुड़ला-पांचना लिफ्ट इरिगेशन संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक धावाई गांव कनेक्शन को बताते हैं, "वर्ष 2011 के बाद से अब तक लिफ्ट परियोजना पूरी नहीं हुई है। काफी विरोध और मांग के बाद अब तक 90 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है। परियोजना पूरी होती है तो करीब 50 हजार की आबादी को फायदा होगा। डैम के पानी पर पहले हमारा हक है। इसीलिए पहले लिफ्ट परियोजना का काम पूरा हो और हमें पानी मिले। उसके बाद सरकार किसी को भी पानी भेजे, हमें आपत्ति नहीं है।"

इसके उलट रघुवीर मीणा कहते हैं, "कमांड एरिया के 35 और 12 अन्य गांवों में नहरों से काफी पहले से पानी दिया जा रहा है। हमारी मांग सिर्फ नहरों को फिर से शुरू करने की है। गुड़ला-पांचना लिफ्ट बन रही है, इससे हमारा कोई विरोध नहीं है।"

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धावाई आगे कहते हैं, "गुर्जर आंदोलन से पहले मीणा समुदाय के लोगों ने तोप तक चलाई थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई। किरोड़ी लाल मीणा जैसे नेताओं ने इसे जातीय रंग दिया। इसीलिए अब हमारी भी मांग है कि जब तक हमें हमारा हक नहीं मिलेगा तब तक हम नहरें शुरू नहीं होने देंगे। हालांकि नहरें फिर से शुरू होने से कई जातियों के किसानों को फायदा होगा।"

इन नहरों में पांचना बांध का पानी जाना था।

इस संबंध में गांव कनेक्शन ने भरतपुर के संभागीय आयुक्त प्रेम चंद बेरवाल से भी फोन पर संपर्क किया। उन्होंने करौली जिला कलक्टर से बात करने के लिए कहा। गांव कनेक्शन ने जब करौली जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग से बात की तो उन्होंने कहा कि इस पर काम चल रहा है और पूरी जानकारी अगले महीने देने की बात कही।



  

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