राजस्थान: सांभर झील में आये हजारों पक्षियों की इस बीमारी ने ली जान, राज्य सरकार ने रेस्क्यू सेंटर खोलने के दिए आदेश
Diti Bajpai 15 Nov 2019 12:45 PM GMT
लखनऊ। देश में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर में पिछले 15 दिनों में लगभग 5 हजार पक्षियों से ज्यादा की मौत हो चुकी है। इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मौत का कारण 'एवियन बोट्यूलिज्म' नाम बीमारी हो सकती है।
Rajasthan:Around 1000 birds incl of migratory species were found dead around Sambhar Lake in Jaipur on Nov 12 (pic 1-file pic).AK Katariya,Professor,Apex Centre for Animal Disease,Bikaner says,"Symptom of paralyses in wings suggest death of birds could be due to Avian Botulism." pic.twitter.com/FwCeN8oFwk
— ANI (@ANI) November 15, 2019
'एवियन बोट्यूलिज्म' बीमारी के बारे में जब गाँव कनेक्शन ने बीकानेर के अपेक्स सेंटर फॉर एनिमल डिजीज के प्रोफेसर ए.के कटारिया से बात की तो उन्होंने बताया, "जब कोई पक्षी या जानवर मरता है तो उससे जमीन में बैक्टीरिया फैलता है जो मरे हुए शरीर में जहर बनाता है। ऐसे में अगर कोई स्वस्थ पक्षी उस पक्षी के मांस को खा लेता है तो ये बैक्टीरिया उसके अंदर फैल जाता है। इससे पक्षी गर्दन, पैर और पंखों से लकवाग्रस्त हो जाते हैं। वह न उड़ पाते और न ही तैर पाते हैं, और उनकी मौत हो जाती है। यही सांभर झील में आए पक्षियों के साथ हुआ है।"
प्रो. कटारिया आगे बताते हैं, "पक्षियों में फैलने वाली यह बीमारी आम है। जहां भी जानवर या पक्षी मरते हैं, वहां बैक्टीरिया पनपने लगता है। इसीलिए मृत पक्षियों को जलाना और दफना ही उपाय है। झील में मृत पक्षियों को दफनाने का काम चल भी रहा है। आज किसी पक्षी के मरने की खबर सामने नहीं आई है।"
राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 90 किमी दूर सांभर कस्बे में स्थित इस झील में हर वर्ष लाखों की संख्या में अनेक प्रजातियों के देसी-विदेशी पक्षी आते हैं। यह झील मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटी हुई है। इसके कुछ भाग में प्राकृतिक झील है और कुछ भाग में नमक का उत्पादन होता है। इसके साथ ही सांभर झील में पांच नदियों का पानी आकर मिलता है, जिसमें मेड़ता, सामोद, मांथा, रूपनगढ़, खारी तथा खंडेला नदी शामिल है।
लगभग 15 दिन पहले यहां पक्षियों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ और देसी-विदेशों पक्षियों को मिलाकर अब तक 5000 हजार से ज्यादा पक्षी दम तोड़ चुके हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। शुरू में पक्षियों के मौत का कारण एवियन फ्लू बताया जा रहा था, जिसके लिए राज्य पशुपालन विभाग की टीम ने भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग केन्द्र में मृत पक्षियों के सैम्पल भेजे गए। वहां की रिपोर्ट के मुताबिक एवियन फ्लू से संबंधित रिपोर्ट नेगेटिव है। पक्षियों की मौत के वास्तविक कारणों का पता भोपाल से विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा।
इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था। इस पर सरकार ने अपने जवाब में बताया है कि पक्षियों की मौत बैक्टीरियल इंफेक्शन समेत कई अन्य कारणों से हुई है। लंबी यात्रा के दौरान पर्याप्त भोजन नहीं मिलना, प्रदूषण और कमजोरी को भी पक्षियों की मौत की वजह बताई गई है।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मौत के कारणों की जांच कर प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए हैं और साथ ही कहा कि पक्षियों को बचाने के लिए एक और रेस्क्यू सेंटर खोलें। मृत पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करें, ताकि संक्रमण न फैले।
Directed officials to take effective measures to ascertain the cause of death.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 15, 2019
State govt is opening another rescue centre for the birds at the lake area. Have also given instructions for scientific disposal of carcasses to save other birds from spreading of any infection.
बीकानेर जिले के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ अनिल छंगाणी ने बताया, " ऐसा भी कहा जा रहा है कि पक्षियों की मौत झील के पानी कारण हुई है लेकिन ऐसा नहीं है। अगर ऐसा होता झील का पानी पीने वाले दूसरे मवेशियों की भी जान जाती। इससे पहले नागौर जिले के कुमाचन सिटी में ऐसे ही पक्षियों की मौत हुई थी। इनके मरने का एक कारण पेस्टीसाइड सीड भी हो सकता है क्योंकि ज्यादा खराब सीड वहां पर डाले जाते हैं जिसे खाने से उनकी मौत हुई, हालांकि इसकी पुष्टि रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगी।"
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मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सांभर झील में नॉदर्न शावलर, पिनटेल, कॉनम टील, रूडी शेल डक, कॉमन कूट गेडवाल, रफ, ब्लैक हेडड गल, ग्रीन बी ईटर, ब्लैक शेल्डर काइट कैसपियन गल, ब्लैक विंग्ड स्टील्ट, सेंड पाइपर, मार्श सेंड पाइपर, कॉमस सेंड पाइपर, वुड सेंड पाइपर पाइड ऐबोसिट, केंटिस प्लोवर, लिटिल रिंग्स प्लोवर, लेसर सेंड प्लोवर आदि प्रजातियों के पक्षियों की जान गई है।
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