राकेश टिकैत की 'सोशल क्लास': कोल्ड ड्रिंक की जगह दूध पीने और मृत्यु पर पौधे लगाने का ऐलान

दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन स्थल को क्रांति स्थल का नाम देते हुए यहां पर किसान क्रांति स्मारक बनाने जाए का ऐलान किया गया है। ये ऐलान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किया है।

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राकेश टिकैत की सोशल क्लास: कोल्ड ड्रिंक की जगह दूध पीने और मृत्यु पर पौधे लगाने का ऐलानबीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लोगों से कहा कि वो मौसम के हिसाब से और खेत में उगी चीजें खाएं।

गाजीपुर बॉर्डर पर सोमवार का नज़ारा कुछ अलग था, यहां कृषि क़ानूनों के विरोध में नारेबाज़ी की जगह राकेश टिकैत ने गांव, पर्यावरण बचाने के लिए 'सोशल क्लास' चलाई। राकेश टिकैत ने लोगों से अपना पर्यावरण बचाने, पेड़-पौधे लगाने, तालाब की ज़मीन पर अतिक्रमण न करने की बात की। उन्होंने कोल्ड ड्रिंक की जगह दूध पीने से होने वाले फायदे गिनाए। उन्होंने लोगों को बताया कि आगे का आंदोलन कैसे चलेगा और आपको क्या करना होगा।

राकेश टिकैत ने मंच से कहा, "धरनास्थल पर अब एक शानदार चबूतरा बनेगा। इसके लिए मिट्टी गांव से आएगी। इसके साथ ही आज से 10-20 साल बाद जब लोग यहां आया करेंगे थोड़ी मिट्टी अपने गांव से लाया करेंगे और जाते वक्त यहां से वापस ले जाया करेंगे और खेतों में डालेंगे तो वो आंदोलन से जुड़े रहेंगे।"

राकेश टिकैत ने मंच से पेड़, किसान और खेती का संबंध भी समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "पानी का किसान से क्या संबंध सब जानते हैं, पानी कैसे आएगा? पानी आएगा पेड़ से। पेड़ न कटे इसके लिए काम करना होगा। जो इस पृथ्वी पर आया है वो वापस जाएगा। तो पर्यावरण और जल कैसे सुरक्षित रहेगा उसका फार्मूला समझ लीजिए। जब किसी के परिवार में किसी पुरुष की मृत्यु हो तो वो उसकी राख और पुष्प नदी में डालता है, लेकिन अब वो राख पेड़ लगाते समय उसकी जड़ों में डाल दो। वो पेड़ हमेशा छाया देता रहेगा और उसे कभी काट नहीं पाओगे।"

उन्होंने आगे कि ऐसी जब घर मे किसी मां, दादी बहन की मृत्यु हो तो फलदार पौधा लगाओ। माता का रुप देने का होता है। वो हमेशा आशीर्वाद देती हैं। ऐसा करने से 15 साल में हिंदुस्तान में जंगल खड़े हो जाएंगे। जंगल ज्यादा होंगे तो पानी ज्यादा बरसेगा, अन्न ज्यादा पैदा होगा। पूरी दुनिया में जो पर्यावरण खराब हुआ है। उसको सही करने के लिए हिंदुस्तान पूरी दुनिया में एक मिसाल होगा।"

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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने इस दौरान लोगों को बीमारियों से बचने के लिए अपने खानपान को बुजुर्गों के हिसाब से, पुराने जमाने के हिसाब से बदलने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "हम 40-35 डिग्री में गोभी-गाजर का इस्तेमाल करते हैं ये तो सर्दी की चीजें थे, गर्मी में आएंगी तो बीमारियाँ होंगी ही। कोल्ड ड्रिंक कैसे बनती हैं, नहीं जानते?, उसके मालिक को नहीं जानते हैं, तो क्यों पी रहे। किसान की आमदनी तब दोगुनी होगी जब खेत में उगी चीजें खाओंगे। जब आप दूध-दही खाओगे तो दूध का उत्पादन करने वाले किसान को फायदा होगा, जब कोल्ड डिंक पिओगे तो कंपनी का फायदा होगा। नारियल पीयोगे तो दक्षिण भारत के किसानों को फायदा होगा।"


केश टिकैत ने एक कहानी भी बताई कैसे उनके पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने उसने कहा था कि या तो कोल्ड्र डिंक पीनी बंद कर दो या किसान की बात करनी। उन्होंने कहा, मैंने 21 साल से कभी कोल्ड ड्रिंक नहीं पी।

बीकेयू नेता ने कहा कि ये आंदोलन चलता रहेगा हमने 2 अक्टूबर तक का प्लान बनाया है। उन्होंने लोगों से कहा कि, सब लोग बारी बारी से आएं। अब एक दिन की कॉल नहीं होगी। लोग अपने चार्ट के हिसाब से आते जाते रहेंगे। ये आंदोलन मिठाई से नहीं चलने वाला ये आंदोलन दाल रोटी से चलेगा। अपने गांव का धन गांव में रखो। आंदोलन में चंदा देने वाले चंदा मास्टर बहुत आएंगे, चंदा मत लेना। अगर ले भी रहे हो तो उसकी रसीद ज़रुर दे देना। ये आंदोलन हमें दाल रोटी खाकर अपने दम पर चलाना है।

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