अयोध्‍या केस: सुप्रीम कोर्ट ने 'मस्‍जिद में नमाज' मामले को बड़ी बेंच को भेजने से किया इनकार

Ranvijay SinghRanvijay Singh   27 Sep 2018 10:25 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
अयोध्‍या केस: सुप्रीम कोर्ट ने मस्‍जिद में नमाज मामले को बड़ी बेंच को भेजने से किया इनकार

अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला दिया। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा। बता दें, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई थी कि 1994 में इस्माइल फारूकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। ऐसे में इस फैसले को दोबारा परीक्षण की जरूरत है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले को संवैधानिक बेंच को भेजने से इनकार दिया।

यह भी देखें: वीडियो : जानिए अयोध्या विवाद में अभी तक कब क्या हुआ ?

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 के फैसले के हिसाब से अपना निर्णय सुनाया. इस पीठ में चीफ जस्‍ट‍िस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे। जस्‍ट‍िस दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने इस्माइल फारूकी मामले को बड़ी बेंच के पास न भेजने का फैसला दिया। वहीं, जस्टिस नजीर का पक्ष दूसरा था। जस्टिस नजीर ने कहा, मैं अपने साथी जजों की राय से सहमत नहीं हूं। बड़ी पीठ को यह तय करने की जरूरत है कि आवश्यक धार्मिक प्रैक्टिस क्या है।

यह भी देखें: अयोध्या मामले को लेकर आज से सुप्रीम कोर्ट में रोज होगी सुनवाई

क्‍या है इस्‍माइल फारूकी केस?

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 1994 में इस्माइल फारूकी केस में राम जन्मभूमि मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। इसके पीछे वजह ये थी कि हिंदू पूजा कर सकें. उस वक्‍त बेंच ने कहा था, मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है. अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अयोध्या की जमीन किसकी है, इस पर अभी सुनवाई की जानी है, जो कि 29 अक्टूबर से शुरू होगी।

यह भी देखें: प्रमोशन में आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, राज्‍यों को दिया अधि‍कार

इससे पहले इलाहाबाद हाई हाई कोर्ट 30 सितंबर 2010 को इस मामले में फैसला सुना चुका है। हाई कोर्ट ने कहा था, तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़ा को दूसरा हिस्सा दिया गया था। इसमें सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल हैं। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था। इस फैसले को सभी पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बहाल कर दी।

यह भी देखें: LIVE: आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गरीबों की पहचान है आधार कार्ड

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.