रामनाथ कोविंद के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं  

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रामनाथ कोविंद के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं  रामनाथ कोविंद।

नई दिल्ली। रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे। गुरुवार सुबह 11 बजे से संसद भवन में चल रही मतगणना में उन्‍हें 63.65 फीसदी वोट मिले हैं। रामनाथ कोविंद के देश के राष्‍ट्रपति बनने का औपचारिक ऐलान भी हो चुका है। लोकसभा के जनरल सेक्रेटरी ने इसका ऐलान किया। कोविंद 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेंगे। कोविंद ने 7,02,044 वोट हासिल किए हैं। वहीं मीरा को 3,67,314 ही वोट हासिल हुए। कोविंद को जीत के लिए 5,52,243 वोट चाहिए थे लेकिन उन्होंने इससे ज्यादा का आकड़ा पार किया।

एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। रामनाथ कोविंद पिछले तीस साल से राजनीति में हैं। दलितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कोविंद का जन्म कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख में हुआ। भूमिहीन रामनाथ कोविंद के पिता ने एक छोटी सी किराना की दुकान से इन्हें पढ़ाया लिखाया। जब ये पांच वर्ष के थे तब इनके घर में आग लग गयी थी, इनकी माँ का देहांत आग में जलने से हो गया था, इनके सभी भाई-बहनों का पालन-पोषण इनके पिता ने किया।

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इनके पिता स्वर्गीय मैकूलाल शुरू से रामभक्त थे। दुकान और बैद्य से जो भी वक्त मिलता उसमे रामभजन करते थे। उनके एक संघी मित्र उद्धव सिंह (77 वर्ष) का कहना है, "हमने बचपन में उनके साथ इन्ही दिनों कच्ची अमिया खूब खायी हैं, गन्ने के रस की रास्यावर (खीर) हमने बहुत बार साथ खायी है, आज हमारे प्रदेश और हम सब के लिए ये बहुत गर्व की बात है, वो गांव के विकास के बारे में बचपन से ही सोंचते थे, पीपल के पेड़ के नीचे पांचवीं तक पढ़ाई हम दोनों ने की, आज वो इतने आगे पहुंच गये क्योंकि उन्होंने मेहनत बहुत की।"

अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद इस वक्त बिहार के राज्यपाल हैं। उन्हें आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था।

यूपी से आने वाले पहले राष्ट्रपति कोविंद

बीजेपी दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे। कोविंद उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। कानपुर शहर से 80 किलोमीटर दूर कानपुर देहात के रनौख-परौख जुड़वां गांव हैं। यहीं परौख में जन्मे रामनाथ अब देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं।

रामनाथ का राजनीतिक सफर

रामनाथ ने 1990 में बीजेपी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ा। चुनाव तो हार गए लेकिन 1993 और 1999 में पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। इस दौरान रामनाथ बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। साल 2007 में रामनाथ बोगनीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन फिर जीत नहीं सके। इसके बाद उन्हें यूपी बीजेपी संगठन में सक्रिय करके प्रदेश का महामंत्री बनाया गया और पिछले साल अगस्त में बिहार का राज्यपाल बनाया गया। कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। खासकर अनुसचित जातिजनजाति कल्याण सम्बन्धी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कानून एवं न्याय सम्बन्धी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे।

दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की वकालत

एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद रामनाथ ने आईएएस की तैयारी की थी। सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास भी की लेकिन आईएएस कैडर न मिलने की वजह से उन्होंने वकालत करने का फैसला किया। रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। एक वकील के रूप में कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की। खासकर अनुसूचित जातिाअनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरूरतमंदों और गरीबों की वह फ्री लीगल एड सोसाइटी के बैनर तले मदद करते थे।

अक्टूबर 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था

कोविंद लखनऊ स्थित भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रबन्धन बोर्ड के सदस्य और भारतीय प्रबन्धन संस्थान कोलकाता के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य भी रह चुके हैं। कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और अक्टूबर 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था। सरल और सौम्य स्वभाव के कोविंद का कानपुर से है गहरा रिश्ता है। भले ही वह इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है। यही कारण है कि वह समय समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं।

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रामनाथ कोविंद का अब तक का सफर (संक्षेेप में )

राम नाथ कोविन्द का जन्म एक अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला), तहसील डेरापुर के एक छोटे से गाँव परौंख में हुआ था।

  • कोविन्द का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।
  • वकालत की उपाधि लेने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की।
  • वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे।
  • 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुए।
  • वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
  • वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के निर्वाचित हुए।
  • वर्ष 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए।
  • कोविन्द लगातार 12 वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे।
  • वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।
  • वह भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे।
  • वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रहे।

रामनाथ कोविंद के गाँव में जश्न का माहौल, देखें वीडियो

      

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