‘बलात्कार के बाद होने वाली मेडिकल जांच ने भी मुझे शर्मशार किया’ 

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   16 Dec 2017 12:34 PM GMT

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‘बलात्कार के बाद होने वाली मेडिकल जांच ने भी मुझे शर्मशार किया’ रेप के बाद की मेडिकल जांच से भी पीड़िता को शर्मशार किया जाता है।

मध्य प्रदेश में 18 वर्षीय दलित महिला का अपहरण और बलात्कार किया गया। इस मामले में स्वास्थ्य पेशेवर ने पीड़िता पर दोष मढ़ा जिससे उसे और भी नुकसान पहुंचा। बेटी की मेडिकल जांच के दौरान उसके साथ कमरे में मौजूद उसकी मां ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि डॉक्टर ने कहा कि उसकी बेटी झूठ बोल रही है और सेक्स सहमति से हुआ है।

डॉक्टर ने मेरी बेटी से कहा "यदि वे आप के साथ जबरदस्ती करते, तो आपके शरीर पर निशान होना चाहिए था, लेकिन आपके शरीर पर ऐसा कुछ नहीं है। आपने जरूर अपनी इच्छा से ऐसा किया होगा।" जांच के बाद मेरी बेटी और ज्यादा डर गई।

बलात्कार के बाद पीड़िताओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी पाई गई। ये एक चिंता का विषय है कि जहां बलात्कार के बाद पीड़िता को कानून व स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए हमारे यहां उन्हें इसके लिए दर दर भटकना पड़ता है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में, ह्यूमन राइट्स वॉच ने पाया कि यौन हमले की पीड़िताओं की जांच करने वाले डॉक्टर उन्हें जाँच के बारे में पर्याप्त जानकारी देने में नाकाम रहे और उनके साथ डॉक्टरों के व्यवहार में संवेदनशीलता की कमी थी।

2014 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पीड़िताओं के लिए चिकित्सीय-कानूनी सेवा हेतु दिशानिर्देश जारी किए जिससे कि स्वास्थ्य सेवा, जांच और इलाज को मानकीकृत किया जा सके।

टू फिंगर टेस्ट पर लगी रोक

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बलात्कार पीड़ितों के संग व्यवहार करने के नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने टू फिंगर टेस्ट पर भी रोक लगाई है। नए दिशा-निर्देशों के तहत सभी अस्पतालों में बलात्कार पीड़ितों के लिए एक विशेष कक्ष बनाने के लिए कहा गया है जिसमें उनका फॉरेसिंक और चिकित्सकीय परीक्षण होगा।

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अर्चना सिंह बताती हैं, “बलात्कार के बाद होने वाले मेडिकल जांच में संवेदनशीलता बरती जाए इसके लिए अस्पतालों में नोडल ऑफिसर बनाए जाते हैं जिन्हें पूरी ट्रेनिंग दी जाती है कि वो इस दौरान संवदेनशीलता रखें। लेकिन कई बार ऐसी शिकायतें आती हैं कि अस्पताल में पीड़िता व उसके परिवार के साथ गलत व्यवहार होता है।” ये एक अच्छी बात है कि टू फिंगर टेस्ट पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है ये बहुत ही शर्मनाक व गंदा तरीका था जांच का जो पीड़िता को शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से कमजोर करता है।

एक पीड़िता ने बताया, बलात्कार के बाद जब मेडिकल जांच के लिए ले गए तो वहां मुझे बहुत डर लग रहा था। उन्होंने इस तरह से बात की जैसे मैं झूठ बोल रही हूं। मुझे लगा था कि महिला डॉक्टर टेस्ट करेगीं लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। टेस्ट के दौरान जो पीड़ा होती है वो भी बलात्कार के दर्द को ताजा करने वाली थी। शर्म, तकलीफ और डर ये कोई नहीं समझ सकता जो मैंने झेला है।

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के क्वीन मेरी की स्त्रीरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ अंजू अग्रवाल बताती हैं, “जब तक पुलिस केस नहीं होता डॉक्टर जांच नहीं कर सकता। उसके लिए अलग से दिशा निर्देश होते हैं जिसका पालन डॉक्टर करता है। इसके दौरान महिला पुलिस भी उपस्थित होती हैं।”

मेडिकल जांच के नियमों में भी हुए बदलाव।

अलग अलग राज्यों में अलग नियम

कई राज्यों के अपने दिशानिर्देश हैं, लेकिन वे अक्सर पुराने होते हैं और 2014 के केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों जैसे विस्तृत और संवेदनशील नहीं होते हैं, इनमें ऐसी प्रक्रियाएं और चिकित्सा जांचें भी हैं जिनकी जरूरत नहीं होती। उदाहरण के लिए, राजस्थान के अस्पतालों में इस्तेमाल किए जाने वाले मानक फॉर्म में एक ऐसा कॉलम अभी भी है जो योनिच्छद (हैमेन) की स्थिति के बारे में जानकारी मांगता है और डॉक्टर इसे भरने के लिए फिंगर टेस्ट करते हैं। जयपुर के एक अस्पताल में फॉरेंसिक साक्ष्य विभाग के एक मेडिकल कानूनविद ने कहा, "ये फॉर्म्स मेरे जन्म से पहले के हैं जो अभी तक वैसे के वैसे हैं।” हरियाणा राज्य सरकार ने 2014 के बेहतर दिशानिर्देशों से पहले 2012 में अपनी चिकित्सीय-कानूनी नियमावली जारी की थी, मगर अस्पताल हमेशा उन प्रोटोकॉल्स का पालन नहीं करते हैं।

कोई भी डॉक्टर कर सकता है टेस्ट

1997 में कानून बनाया गया था कि सिर्फ महिला डॉक्टर ही बलात्कार के मामलों में मेडिकल जांच कर सकती है। लेकिन महिला डॉक्टरों की कमी को देखते हुए 2005 में फिर से कानून में संशोधन हुआ। अब किसी भी लिंग और किसी भी विषय का रजिस्टर्ड मेडिकल डॉक्टर इस तरह की जांच कर सकता है। हालांकि इसके लिए पीड़ित की अनुमति जरूरी है। इस तरह के बदलावों ने इतनी संवेदनशील जांच के लिए ज्यादा डॉक्टर उपलब्ध करा दिए हैं। लेकिन उनमें से बहुतों के पास योग्यता ही नहीं है।

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