अपने प्रयोगों के कारण खास है का यह सरकारी स्कूल, लखीमपुर में मिला है प्रथम स्थान

इस स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग की मदद से जल को संरक्षित किया जाता है और विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल-फूल और औषधियां विद्यालय प्रांगण में ही उगाई जाती हैं।

Daya SagarDaya Sagar   30 March 2019 1:04 PM GMT

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दया सागर/ रणविजय सिंह

रवींद्रनगर, मियांपुर (लखीमपुर, उत्तर प्रदेश)। जब भी हम सरकारी स्कूलों की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में एक जर्जर भवन, कुर्सियों पर जम्हाई लेते हुए अध्यापक और जमीन पर मिड डे मील कर रहे बच्चों की तस्वीर उभर कर आती है। लेकिन कुछ सरकारी स्कूल हमारे जेहन में बने इन तस्वीरों को तोड़ते हुए नजर आते हैं।

लखीमपुर जिले के मोहम्मदी ब्लॉक में स्थित रवींद्रनगर, मियांपुर का सरकारी स्कूल ऐसा ही एक स्कूल है। एक विशाल प्रांगण में बसा हुआ यह सरकारी स्कूल कई मायनों में राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों से अलग है। इस स्कूल में स्वच्छता और सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। विद्यालय को सुंदर बनाने के लिए स्कूल की दीवालों पर चित्रकारी की गई हैं। विद्यालय प्रांगण में पानी ना जमा हो, इसलिए स्कूल के हर कोने में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है।


इस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के माध्यम से स्कूल ना सिर्फ साफ-सुथरा और स्वच्छ रहता है बल्कि इससे जल संरक्षण में भी मदद मिलती है। वाटर हार्वेस्टिंग की मदद से संरक्षित जल से विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल-फूल और औषधियां विद्यालय प्रांगण में उगाई जाती हैं।

स्कूल के हर कोने में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है। इसमें संरक्षित जल का प्रयोग शाक-सब्जियां उगाने में किया जाता है।

विद्यालय में उगाई गई ताजी सब्जियों का प्रयोग मिड डे मील में प्रयोग होता है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके। मिड डे मील बनाने में गैस सिलेंडर नहीं बल्कि देसी चूल्हे और कण्डे का उपयोग होता है। इसके अलावा पूरे विद्यालय में सोलर पैनल और सौलर लैम्प भी लगा हुआ है, जो इन्वर्टर का काम करता है।

कुछ साल पहले इस सरकारी स्कूल की हालत अन्य सरकारी स्कूलों की तरह हुआ करती थी। प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य तपन विश्वास बताते हैं, 'विद्यालय के प्राथमिक स्कूल का मुख्य भवन पहले जर्जर हुआ करता था। इस पर बकायदा 'जर्जर भवन, कृपया इससे दूर रहें' का बोर्ड लगा हुआ था। हाल ही में इसे समुदाय और अध्यापकों के आर्थिक सहयोग से मरम्मत कराया गया।'

प्राथमिक स्कूल का यह भवन पहले था जर्जर, समुदाय की मदद से इसे सजाया-संवारा गया।

26 जनवरी 2019 को लखीमपुर जिले के सर्वश्रेष्ठ सरकारी स्कूल का पुरस्कार पा चुके इस विद्यालय में पानी पीने के लिए आरओ वाटर का मशीन लगा हुआ है। इसके अलावा विद्यालय में दस से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। छात्र और छात्राओं के अलग-अलग शौचालय के अलावा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशेष शौचालय बनाया गया है।

स्कूल में दस से अधिक शौचालय है। दिव्यांग विधार्थियों के लिए विशेष शौचालय बनाया गया है।

इस स्कूल में बच्चे जमीन पर नहीं जाजिम पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। स्कूल सुंदर दिखे इलके लिए बच्चे खुद स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग करते हैं। उन्हें प्रशिक्षित पेंटरों के निर्देशन में इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों को हस्तशिल्प कला भी सिखाया जाता है, जिससे बच्चों को सर्वांगीण शिक्षा ग्रहण करने में मदद मिले।

तपन विश्वास ने गांव कनेक्शन की टीम को बच्चों द्वारा बनाई गई कई कलाकृतियों को दिखाया, जो बच्चों ने बेकार हो चुके सामानों के माध्यम से बनाए थे। इसमें पेन स्टैंड, कैलेंडर, फोटो फ्रेम, गुलदस्ते आदि थे।

स्कूल का पुस्तकालय। यह पुस्तकालय सिर्फ विधार्थियों के लिए नहीं बल्कि गांव के प्रत्येक आदमी के लिए खुला रहता है।

विश्वास बताते हैं कि ऐसा समुदाय, शिक्षक और जिला शिक्षा विभाग के सहयोग से ही संभव हो चुका है। विश्वास बताते हैं कि स्कूल के सभी शिक्षक गांधी के आदर्शों पर चलते हैं और रोज सुबह झाड़ू लगाते हैं। इसके अलावा वे प्रत्येक सप्ताह शौचालय की भी सफाई करते हैं।

इस स्कूल में एक पुस्तकालय भी है, जिसमें बच्चों के लिए क्रिएटिव कॉर्नर और गांव के लोगों के लिए वाचनालय बना हुआ है। लाइब्रेरी सिर्फ छात्रों के लिए नहीं बल्कि गांव के सभी लोगों के लिए खुला रहता है। विश्वास ने बताया कि गांव के लोग विधालय से दिल से जुड़ते हैं।


विद्यालय की दिवालों पर संदेश देते हुए कई पेंटिग्स की गई हैं।

विश्वास कहते हैं कि यह विद्यालय इतन स्वच्छ और सुंदर गांव और समुदाय की लोगों की मदद से ही बन पाया है। गांव के लोग स्वच्छता और सुंदरता के प्रति पहले से ही जागरूक हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की मदद से पूरा गांव नाली मुक्त है। इसके कारण इस गांव को 2009 में ही निर्मल गांव का राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है।

विद्यालय के प्रधानाचार्य तपन विश्वास

इस सरकारी स्कूल की सारी गतिविधियां गांव में होने वाली गतिविधियों की विस्तार है। इस प्राथमिक विद्यालय को प्रदेश सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम का स्कूल बनाया गया है। विद्यालय के शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी बोलना सीखाते हैं और बच्चे भी इसी तेजी से सीख रहे हैं। अपने अनूठे प्रयोगों के कारण यह स्कूल सिर्फ प्रदेश नहीं देश भर के सरकारी स्कूलों के लिए एक नजीर है।

विद्यालय प्रांगण में खेलते बच्चे और चर्चा करते समुदाय के लोग और शिक्षक


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