किसानों को सोलर प्लांट और बायोगैस के लिए आसानी से कर्ज मिले, इसके लिए आरबीआई ने बदले नियम

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के दिशानिर्देशों में बदलाव किये हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इससे किसान और नये स्टार्टअप्स के लिए लोगों को आसानी से लोन मिल सकेगा।

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज के नियमों में कई बदलाव किये हैं। इन बदलावों से छोटे और सीमांत किसानों को आसानी से फायदा मिल सकता है। नए स्टार्टअप्स को भी अब 50 करोड़ रुपए तक के लोन आसानी से मिल सकेगा।

देश के किसानों को सोलर और कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने के लिए बैंकों की ओर से कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। नई गाइडलाइंस जारी करते हुए आरबीआई ने कहा कि प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग, पीएसएल) दिशानिर्देशों की वृहद समीक्षा के बाद उसे उभरती प्राथमिकताओं के अनुकूल बदला गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी अंशधारकों से विचार-विमर्श के बाद क्षेत्र के विकास पर ध्यान दिया जायेगा।

आरबीआई का कहना है कि नये दिशानिर्देशों से कर्ज से वंचित क्षेत्रों तक ऋण की पहुंच को बेहतर किया जा सकेगा। इससे छोटे और सीमान्त किसानों तथा समाज के कमजोर वर्गों को अधिक कर्ज उपलब्ध कराया जा सकेगा साथ ही इससे अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे को भी कर्ज बढ़ाया जा सकेगा।

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रिजर्व बैंक ने कहा कि नये बदलावों की वजह से नवीकरणीय ऊर्जा और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भी क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा। इसकी वजह यह है कि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए कर्ज की सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। इसके साथ ही हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी लोन की सीमा को दोगुना तक बढ़ाया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि आरबीआई ने पीएसएल से जुड़े दिशा-निर्देश किए हैं। इससे ऋण की कमी वाले क्षेत्रों में और क्रेडिट को सक्षम बनाया जाएगा।

आरबीआई के मुताबिक, पीएसएल में स्टार्टअप्स के लिए 50 करोड़ रुपए का बैंक फाइनेंस मिल सकेगा। अब किसानों को सोलर प्लांट्स लगाने और कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स के लिए भी प्रायोरिटी सेक्टर के तहत लोन मिल सकेगा। आयुष्मान भारत के तहत क्रेडिट भी डबल कर दिया गया है। आरबीआई ने इससे पहले पीएसएल दिशानिर्देश की समीक्षा आखिरी बार अप्रैल 2015 में की थी।

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केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि कुछ चिह्नित जिलों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण को बढ़ाया गया है। इनमें वो जिले शामिल हैं, जहां पहले प्राथमिकता क्षेत्र ऋण की कमी देखने को मिली थी। छोटे (एक हेक्टेयर से कम जोत) व सीमांत (अधिकतम जोत एक हेक्टेयर) किसानों और कमजोर वर्ग के ​लिए कर्ज के लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन (FPO) और फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनियों (FPC) के लिए कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। इसमें पारंपरिक और गैर पारंपिक साथ ही बागवानी से जुड़े किसानों को भी शामिल किया गया है।

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