पढ़िए क्यों अपनी ही नगरी में पहचान को मोहताज हो गए अमीर खुसरो

अफ़सोस की बात है कि खड़ी बोली का आविष्कार करने वाले मशहूर कवि हजरत अमीर खुसरो आज अपनी ही नगरी में पहचान को मोहताज बने हुए है। हैरत की बात यह है कि उनकी प्रतिमा उन्हीं के घर में बनी तहसील के कोषागार में कैद कर दी गयी है।

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पढ़िए क्यों अपनी ही नगरी में पहचान को मोहताज हो गए अमीर खुसरो

पटियाली (कासगंज)। दिल्ली स्थित मशहूर सूफी सन्त हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह शरीफ पर जब आप पहुचेंगे तो आपको सबसे पहले उनके सबसे प्रिय शिष्य हजरत अमीर खुसरों के मजार पर हाजिरी देनी होगी। यह यहां की परम्परा है जो सदियों से चली आ रही है। अमीर खुसरो के लिए यह उपाधि खुद हजरत निजामुद्दीन औलिया ने दी थी। उनकी पहचान किसी की मोहताज नहीं रही। उनको तूती-ए-हिन्द के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन अफ़सोस की बात है कि खड़ी बोली का आविष्कार करने वाले मशहूर कवि हजरत अमीर खुसरो आज अपनी ही नगरी में पहचान को मोहताज बने हुए है। हैरत की बात यह है कि उनकी प्रतिमा उन्हीं के घर में बनी तहसील के कोषागार में कैद कर दी गयी है।


कासगंज के पटियाली में जन्मे थे अमीर खुसरो

गंगा किनारे बसे उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद के कस्बा पटियाली में 23 दिसम्बर 1253 को अमीर खुसरो का जन्म हुआ था। उनके जन्म के वक़्त पटियाली मोमिनपुर गाँव के नाम से जाना जाता था। 2008 से पहले यह कस्बा एटा जनपद में आता था लेकिन यह एटा से अलग कर बनाए गए नए जिला कासगंज में आ गया। पटियाली ऐतिहासिक नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाती है, मगर यह सबसे ज्यादा अमीर खुसरो की नगरी के नाम से जानी जाती है। अमीर खुसरो इसी पटियाली में स्थित हवेली में जन्मे थे।

पटियाली निवासी एडवोकेट अनवर अली उर्फ़ इशार मियाँ बताते हैं, "हजरत अमीर खुसरो का जन्म पटियाली में हुआ था। उनके जन्म स्थान पर पटियाली तहसील भवन बना हुआ है जो कभी राजा द्रुपद का किला हुआ करता था, यही किला अमीर खुसरो की हवेली हुआ करती थी।"


अपने ही घर में कैद हुए अमीर खुसरो

अमीर खुसरो ने यूं तो कई ग्रन्थों की रचना की। इनमे से एक ग्रन्थ नुह सिपहर में उन्होने हिंदुस्तान की दो कारणों से काफी प्रशंसा की एक 'हिन्दुस्तान अमीर खुसरो की जन्म भूमि है' तो वही दूसरी 'हिंदुस्तान स्वर्ग के बगीचे समान है' लेकिन अफ़सोस यह है कि अमीर खुसरो ने जिस जन्म भूमि को लेकर इस देश की प्रशंसा की उस जन्म भूमि पर उनकी प्रतिमा कैद करके रखी गयी है।

एडवोकेट अनवर अली बताते हैं, "समीप के कस्बा निवासी समाजसेवी श्याम सुंदर गुप्ता ने हजरत अमीर खुसरो की प्रतिमा पटियाली में लगवाना चाही, उन्होंने प्रतिमा बनवायी लेकिन प्रशासन की अनुमति न मिलने कारण वह प्रतिमा लग न सकी और आज तक वह प्रतिमा तहसील स्थित कोषागार में कैद हुयी पड़ी है।"

हालांकि अमीर खुसरो की प्रतिमा लगवाने के लिए जनपद के सामाजिक, व्यापारी व छात्र संगठन जिला प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से मांग करते आ रहे हैं। कासगंज अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष दीपक गुप्ता सराफ कहते हैं कि "हमने संगठन के बैनर तले जिला प्रशासन से हजरत अमीर खुसरो की प्रतिमा लगवाने की मांग की है। हजरत अमीर खुसरो पटियाली में जन्मे थे, उनकी प्रतिमा को पटियाली तहसील में बंद करके रखना जो कि काव्य प्रेमियों के लिए ही नही समस्त जनपद वासियों के लिये शर्म और निंदा का विषय है।"


अब नही मनाया जाता 'खुसरो महोत्सव'

कभी हजरत अमीर खुसरो की याद में उनके पैतृक नगरी पटियाली में 27 दिसम्बर को खुसरो महोत्सव मनाया जाता था, लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते आज इस महोत्सव को भुला दिया गया। एडवोकेट अनवर अली बताते हैं कि "जब पटियाली एटा जनपद में थी तब एटा में हर वर्ष नुमाइश का आयोजन हुआ करता था, तत्कालीन जिलाधिकारी महेश गुप्ता ने एटा जनपद के ऐतिहासिक शहरों में विख्यात हस्तियों ने नाम पर महोत्सव कराना शुरू किया था जिसमे पटियाली में हजरत अमीर खुसरो ने नाम पर 'खुसरो महोत्सव' सोरों में सन्त तुलसीदास जी के नाम पर 'तुलसी महोत्सव' व एटा में कवि रंग जी के नाम पर 'रंग महोत्सव' लेकिन जब 2008 में एटा से अलग कासगंज जिला बना तो उसके बात तुलसी व खुसरो महोत्सव भुला दिए गए। एक दो बार कोशिश भी की गयी लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण वह पूरी न हो सकी।"


अस्तित्व के लिए लड़ रहे खुसरो पार्क व लाइब्रेरी

हजरत अमीर खसरो की पहचान के नाम पर पटियाली में एक पार्क व लाइब्रेरी ही बची है। पटियाली आने पर आपको किसी भी तरह से नही लगेगा कि आप हजरत अमीर खुसरो की नगरी में हैं। दयनीय हालात के बीच खुसरो पार्क व लाइब्रेरी अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस पार्क का निर्माण राज्यसभा सांसद रहे वसीम ने सांसद निधि के माध्यम से यहा खुसरो पार्क व लाइब्रेरी का निर्माण कराया था। देखभाल न होने के कारण यह जर्जर हालात में बदलते जा रहे है। अराजकतत्व यहा से कई बार बैटरी व अन्य सामान चोरी कर ले गए हैं।


जब 1974 में इंद्र कुमार गुजराल ने लिखा पटियाली के नाम पत्र

हजरत अमीर खुसरो की पहचान देश ही नही बल्कि विदेशों में भी है। एडवोकेट अनवर अली बताते हैं कि "वर्ष 1974 में हजरत अमीर खुसरो के नाम से सेमीनार आयोजित हुआ, इसमें हिन्दुस्तान सरकार की ओर से चीफ गेस्ट के रूप में इंद्र कुमार गुजराल वहा गए। वह वहा पहुचे तो उन्हें मालूम हुआ कि वह मेरे वतन के थे, उन्होने कार्यक्रम से लौटने के बाद एक पत्र पटियाली के नाम लिखा था जिस पर पते के रूप में 'ऐनी हाऊ मुस्लिम' लिखा था। वह पत्र हमारे रिश्तेदार जफर अली फ़ारुख़ को मिला। उस पत्र में इंद्र कुमार गुजराल ने दिल्ली में मुलाकात के लिए बुलावा भेजा था। वह दिल्ली गए मुलाक़ात की उसके बाद जफर फारुख ने हजरत अमीर खुसरो कल्चरल सोसायटी बनाई। जब इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमन्त्री बने तो उन्हें सोसायटी के माध्यम से कई पत्र लिखे गए लेकिन कोई फायदा नही हुआ। सोसायटी ने काफी प्रयास किए कि हजरत अमीर खुसरो की याद में कुछ बन जाए लेकिन सफलता नही मिली।"

जन्मतिथि का नहीं है पता

हजरत अमीर खुसरो के जन्म दिवस को लेकर कई तरह के विवाद है। उनका जन्म 27 दिसम्बर माना जाता है लेकिन यह उनकी सही जन्मतिथि नही मानी जाती। अनवर अली कहते हैं कि "हजरत अमीर खुसरो की जन्मतिथि के लिए हमने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लेकर उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद के दस्तावेजो को खंगाला लेकिन कही भी उनकी जन्मतिथि हमे नही मिली। जब पहली बार पटियाली में खुसरो महोत्सव मनाने के लिए तारीख रखी गयी तो उसे 27 दिसम्बर कर दिया गया। तभी से यह हजरत अमीर खुसरो के जन्मदिवस के रूप में आ गयी।

रिपोर्ट- मो. आमिल

   

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