आबादी बढ़ रही है, घर भी और चाहिए 

Kushal MishraKushal Mishra   19 Jan 2018 6:56 PM GMT

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आबादी बढ़ रही है, घर भी और चाहिए सपनों का घर।

देश में जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है, लोगों के अपने घर का सपना पूरा होने की मुश्किलें भी तेजी से बढ़ रही हैं।

देश में निर्धन और मध्यम आय वर्ग के लोगों का अपना घर हो, इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना वर्ष 2015 में शुरू की। सरकार ने 9 राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों पर ध्यान देते हुए आवास बनाने का लक्ष्य तय किया और माना कि शहरी इलाकों में करीब 2 करोड़ मकानों की कमी है। सरकार ने इस योजना के जरिए गरीब और मध्यम आय वर्ग के लोगों का वर्ष 2022 तक अपने घर का सपना पूरा करने का वादा किया।

मगर स्थिति क्या है?

मगर केपीएमजी (डिकोडिंग हाउसिंग फॉर ऑल बाय 2022) की रिपोर्ट ने सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना पर कई खामियां होने का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में देश में तेजी से बढ़ती हुई आबादी पर ध्यान देते हुए बताया गया कि साल 2022 तक केवल शहरी इलाकों में हमारे सामने 5 करोड़ मकानों की कमी होगी। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2050 तक शहरों की आबादी में हर साल 1 करोड़ की बढ़ोत्तरी होगी।

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गाँवों में कैसे रहेंगे हालात

वहीं, रिपोर्ट में ग्रामीण इलाकों में भी आवास की बढ़ती मुश्किलों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में वर्ष 2022 तक करीब 6.5 करोड़ मकानों की कमी होगी। ऐसे में अगर कुल मकानों की बात करें तो साल 2022 तक कुल 11 करोड़ मकानों की आवश्यकता होगी।

अब जरुरत क्या है

नेशनल रियल इस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको), नई दिल्ली के डायरेक्टर जनरल ब्रिगेडियर रघुराज सिंह फोन पर बताते हैं, “आबादी बढ़ने के साथ शहरीकरण भी तेजी से हो रहा है, लोग शहरों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। अनुमान है कि 2030 तक शहरों की आबादी लगभग दोगुनी हो जाएगी। ऐसी स्थिति में लोगों के लिए मकानों की कमी को दूर करने को सरकार को प्राइवेट इस्टेट कंपनियों को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।“ आगे कहा, “जरूरी है कि प्राइवेट इस्टेट कंपनियां हर तबके के लोगों के लिए घर बनाए, न कि मध्यम और अमीर वर्ग लोगों के लिए, ऐसे में जरूरी होगा कि सरकार इन कंपनियों को प्रोत्साहित करे।“

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जमीन और धन की होगी जरुरत

देश में आवासीय क्षेत्र में हर साल करीब 110 से 120 अरब डॉलर का निवेश होता है। मगर रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर साल 2022 तक हमें अगर मकानों की कमी को पूरा करना है तो हमें करीब 2 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरुरत होगी। सिर्फ इतना ही नहीं, साल 2022 तक मकानों की कमी को पूरा करने के लिए 1.7 से 2 लाख हेक्टेयर जमीन की जरुरत होगी।

इन 9 राज्यों पर ध्यान

योजना के अनुसार, जिन राज्यों को शामिल किया गया है, उनमें 9 राज्य शामिल हैं, इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

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नई तकनीक का इस्तेमाल जरूरी

नारेडको के डायरेक्टर जनरल ब्रिगेडियर रघुराज सिंह आगे बताते हैं, “लोगों के लिए मकान का सपना पूरा करने के लिए सरकार को देश में रियल इस्टेट क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी पर भी फोकस करना भी जरूरी होगा, ताकि जो घर बनाने में 8 से 10 महीने में तैयार होता है, वह मात्र 2 से 3 महीने में पूरा हो। जरूरी है कि हम न सिर्फ अन्य देशों में उपयोग होने वाली टेक्नोलॉजी को अपनाएं, बल्कि सिंगल विंडो सिस्टम को सरकारी विभागों में अपनाएं, ताकि खरीदारों को भी सुविधा मिल सके।“

लोगों के लिए मकान का सपना पूरा करने के लिए सरकार को देश में रियल इस्टेट क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी पर भी फोकस करना भी जरूरी होगा, ताकि जो घर बनाने में 8 से 10 महीने में तैयार होता है, वह मात्र 2 से 3 महीने में पूरा हो। जरूरी है कि हम न सिर्फ अन्य देशों में उपयोग होने वाली टेक्नोलॉजी को अपनाएं, बल्कि सिंगल विंडो सिस्टम को सरकारी विभागों में अपनाएं, ताकि खरीदारों को भी सुविधा मिल सके।
ब्रिगेडियर रघुराज सिंह, डायरेक्टर जनरल, नेशनल रियल इस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल, नई दिल्ली

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