सवर्ण आरक्षण- राज्यसभा में बोले रविशंकर प्रसाद- जब मैच क्लोज होता है तो छक्का लगता है
मंगलवार को लोकसभा में लंबी बहस के बाद संविधान संशोधन बिल पास हो गया। लोकसभा में हुई वोटिंग में कुल 326 सांसदों ने हिस्सा लिया, इसमें 323 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 3 लोगों ने विपक्ष में वोट दिया।
गाँव कनेक्शन 9 Jan 2019 5:39 AM GMT
लखनऊ। सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण बिल संबंधी संविधान संशोधन लोकसभा में पास हो गया है। अब मोदी सरकार के सामने इस बिल को आज राज्यसभा में पास कराने की चुनौती है। राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में राज्यसभा में बिल को पास करने के लिए सरकार को विपक्ष का भी साथ चाहिए। समाजवादी पार्टी के रोमगोपाल यादव ने बिल पर चर्चा करते हुए कहा, नौकरियां हैं नहीं ऐसे में कुछ दिन बाद आरक्षण की बात भी बेमानी हो जाएगी।
बता दें राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। हंगामा सत्र को 1 दिन बढ़ाने की वजह से किया गया। हंगामे की वजह से एक बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई। इसके बाद सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा संशोधन बिल राज्यसभा में पेश किया।
Union Minister Thawar Chand Gehlot tables the 10% quota bill in Rajya Sabha pic.twitter.com/v6d2KlaUCM
— ANI (@ANI) January 9, 2019
सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि अच्छी नियत के साथ यह बिल लाया गया है और इसे लोकसभा से भी मंजूरी मिल गई है। इस बिल से सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जा सकेगा। जब मंत्री बिल के बारे में बता रहे थे उस वक्त विपक्षी दलों के सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे।
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि ''हमारी पार्टी बिल के विरोध में नहीं है, लेकिन सवाल व्यवस्था का है। इसके बारे में सदन को जानने का पूरा हक है। पौने पांच साल बाद सरकार की नींद टूटी है और सभी जानते हैं कि चुनाव की वजह से आप यह बिल लेकर आए हैं। हमें दोष न दें।''
वहीं, कांग्रेस सांसद मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, ''किसी बिल को पेश करने से दो दिन पहले उसकी कॉपी देनी पड़ती है। एक दिन में बिल पर वोटिंग और उसका परिचय नहीं दिया जाता है। सदन जानना चाहता है कि सरकार को इस बिल को लाने की इतनी जल्दी क्यों है। बिल अभी अधूरा है।'' विजय गोयल ने इसके जवाब में कहा कि बैठक के बाद इस बिल पर 8 घंटे की चर्चा पर सहमति बनी है। गोयल ने कहा कि कांग्रेस तकनीक मुद्दे उठाकर इस बिल का विरोध कर रहे हैं, बिल पेश हो चुका है और सरकार इसे पारित कराना चाहती है।
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि सरकार यह बिल कभी भी ला सकती थी, लेकिन सरकार का लक्ष्य आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है। अगर इनकी दिल में ईमानदारी होती तो 3-4 साल पहले यह बिल आ जाता। यादव ने कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के खिलाफ है और कोर्ट इसे अपहोल्ड भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि नौकरियां हैं नहीं ऐसे में कुछ दिन बाद आरक्षण की बात भी बेमानी हो जाएगी। यादव ने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि सरकार क्षेत्र में ठेके पर काम हो रहा है, नौकरियां लगातार घट रही हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पहले कांग्रेस ने क्यों अगड़ी जातियों को आरक्षण नहीं दिया, अब हम दे रहे हैं तो आप सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह संविधान के मौलिक अधिकार में परिवर्तन है और यह केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की नौकरी में भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि समर्थन करना है तो खुलकर करिए। प्रसाद ने कहा कि आज संसद इतिहास बना रही है और हम सब यहां बैठकर बड़ा बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में हिम्मत है कि वो गरीबों के हर वर्ग की चिंता करती है। बिल देरी से लाने के आरोपों पर कानून मंत्री ने कहा कि क्रिकेट में छक्का स्लॉग ओवरों में लगता है और यह पहला छक्का नहीं है अभी विकास और बदलाव के लिए अन्य छक्के भी आने वाले हैं।
Anand Sharma,Congress in Rajya Sabha:The way the House proceedings were extended without the consent of the opposition parties was not right. The situation now is such that there is no dialouge b/w opposition& govt. The govt is foremost responsible if the House doesn't function. pic.twitter.com/z3T4PjX38n
— ANI (@ANI) January 9, 2019
कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा सत्र को बढ़ाने पर कहा कि ''सरकार की ओर से आधी रात में आदेश जारी किया जाता है। सरकार के पास बिल लाने का अधिकार है लेकिन सदन नियमों पर चलता है, बिना आम सहमति के सदन एक दिन के लिए बढ़ाया गया। बिजनेस एडवाइडरी में भी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ, सदन न चलने के लिए सरकार जिम्मेदार है, सरकार को विपक्ष से बात करनी चाहिए। सरकार के काम है कि वो विपक्ष के मुद्दों को सुने और सदन चलाने का काम उनका है।'' गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर को शूरू हुआ था और 8 जनवरी तक चलना था। लेकिन संशोधन बिल की वजह से सत्र को एक दिन बढ़ाया गया है।
इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में लंबी बहस के बाद संविधान संशोधन बिल पास हो गया। लोकसभा में हुई वोटिंग में कुल 326 सांसदों ने हिस्सा लिया, इसमें 323 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 3 लोगों ने विपक्ष में वोट दिया। इस तरह से संशोधन बिल बहुमत से पास हो गया।
बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन करने वाले सभी सांसदों का धन्यवाद करते हुए कहा कि ''आरक्षण बिल पास होना देश के इतिहास में ऐतिहासिक पल है। हम 'सबका साथ सबका विकास' की नीति पर पूरी तरह कटिबद्ध हैं। यह जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर गरीब के लिए बेहतर करने का प्रयास है। विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सांसदों को धन्यवाद।''
We are resolutely committed to the principle of 'Sabka Saath, Sabka Vikas.'
— Narendra Modi (@narendramodi) January 8, 2019
It is our endeavour to ensure that every poor person, irrespective of caste or creed gets to lead a life of dignity, and gets access to all possible opportunities.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आए इस फैसले को मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। फैसले के मुताबिक, सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इससे पहले साल 2018 में सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) एक्ट को लागू किया था। इसके खिलाफ सवर्ण समुदाय के लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मनना था कि सवर्णों की नाराजगी की वजह से ही हिंदी पट्टी के तीन प्रमुख राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई। ऐसे में 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को बीजेपी का सवर्णों को साधने का कदम भी माना जा रहा है।
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