रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.35 प्रतिशत घटाई, सस्‍ती हो सकती है आपकी EMI

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रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.35 प्रतिशत घटाई, सस्‍ती हो सकती है आपकी EMI

रिजर्व बैंक ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.35 प्रतिशत की कटौती कर दी। यह लगातार चौथा मौका है जब रेपो दर में कटौती की गयी है। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.40 प्रतिशत रह गयी है। इस कटौती से आम जनता को बड़ा लाभ मिल सकता है।

रिजर्व बैंक की ओर से रेपो दर में इस कटौती के बाद बैंकों पर कर्ज और सस्ता करने का दबाव बढ़ गया है। इसके चलते आने वाले दिनों में आवास, वाहन और व्यक्तिगत कर्ज पर ब्याज दर कम हो सकती है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणि‍ज्यि‍क बैंकों को अल्पकाल के लिये नकदी उपलब्ध कराता है।

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रेपो दर में इस कटौती के बाद रिजर्व बैंक की रिवर्स रेपो दर भी कम होकर 5.15 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर घटकर 5.65 प्रतिशत रह गई। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति के उसके तय लक्ष्य के दायरे में रहने पर गौर करते हुए रेपो दर में कटौती का नि‍र्णय किया।

समिति ने क्‍या कहा

समिति ने कहा कि जून में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद भी घरेलू आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई है। वहीं वैश्विक स्तर पर नरमी तथा दुनिया की दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से इसके नीचे जाने का जोखिम है। समिति ने कहा कि पिछली बार की रेपो दर में कटौती का लाभ धीरे-धीरे वास्तविक अर्थव्यवस्था में पहुंच रहा है, नरम मुद्रास्फीति परिदृश्य नीतिगत कदम उठाने की गुंजाइश देता है ताकि उत्पादन में नकारात्मक अंतर की भरपाई की जा सके।

केंद्रीय बैंक ने 2019-20 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को भी सात प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर चालू वत्ति वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि दूसरी छमाही में इसके 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें घट-बढ़ का जोखिम बराबर है।

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क्‍या होता है रेपो दर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की जरूरत पड़ जाती है, और ऐसी स्थिति में उनके लिए देश के केंद्रीय बैंक, यानि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है। इस तरह के ओवरनाइट ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो दर कहते हैं।

अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि जब बैंकों को कम दर पर ऋण उपलब्ध होगा, वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं, ताकि ऋण लेने वाले ग्राहकों में ज्‍यादा से ज्‍यादा बढ़ोतरी की जा सके, और ज्‍यादा रकम ऋण पर दी जा सके। इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा, और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।

रेपो दर में लगातार हो रही कटौती

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई की पिछली तीन मौद्रिक समीक्षा बैठकों में रेपो दर में क्रमश: 0.25 फीसदी की कटौती कर चुकी है। इस बार की कटौती को जोड़ दें तो अगस्‍त में यह लगातार चौथी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो दर घटाई है। वहीं रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार है जब गवर्नर की नियुक्‍ति के बाद से लगातार चार बार रेपो रेट में कमी आई है। बता दें कि साल 2018 के दिसंबर महीने में उर्जित पटेल के इस्‍तीफे के बाद शक्तिकांत दास बतौर गवर्नर नियुक्‍त हुए थे। इसके बाद से अब तक 4 बार आरबीआई की मीटिंग हो चुकी है।

गवर्नर शक्तिकांत दास (फाइल फोटो)


इस साल रेपो रेट 1.10% कम हुआ

एमपीसी की बैठक / रेपो रेट में कमी

7 फरवरी / 0.25%

4 अप्रैल / 0.25%

6 जून / 0.25%

7 अगस्त / 0.35%

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई के इस फैसले का फायदा उन लोगों को अधिक मिलेगा जिनका होम या ऑटो लोन की ईएमआई चल रही है। दरअसल, इस कटौती से बैंकों पर ब्‍याज दर कम करने का दबाव बनेगा। गौरतलब है कि आरबीआई के लगातार रेपो रेट घटाने के बाद भी बैंकों ने उम्‍मीद के मुताबिक ग्राहकों तक फायदा नहीं पहुंचाया है। यही वजह है कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से रेपो दर में कटौती का लाभ कर्जदारों को देने को कहा था। (इनपुट- भाषा)

   

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