तबाही के तीन साल बाद यह गांव अब बन गया है ‘महाराष्ट्र का स्मार्ट गांव’
गाँव कनेक्शन 3 April 2017 4:09 PM GMT
पुणे (भाषा)। जिले के मालिन गांव की सूरत अब बदल चुकी है जो कभी प्राकृतिक आपदा का शिकार होकर जमींदोज हो चुका था। पुनर्वास के बाद यह सपनों का गांव लगने लगा है। तीन साल बाद हम यूं भी कह सकते हैं कि अब यह महाराष्ट्र का स्मार्ट गांव बन चुका है।
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जुलाई 2014 में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा मालिन गांव का नामोनिशान मिट गया था। ऐसा तब हुआ था जब यहां प्रलयकारी भूस्खलन आया था। इस भूस्खलन ने गांव के लगभग 151 लोगों को निगल लिया था। इस गांव में लगभग 50 परिवार रहते थे। तबाही के बाद यहां का मंज़र दिल दहला देने वाला था लेकिन अब नज़ारा कुछ और ही है। इस गांव को इसके वास्तविक स्थान से करीब 2 किमी दूर फिर से बसाया गया है। आमदे गांव की 8 एकड़ ज़मीन पर इसका पुनर्वास किया गया है।
केवल घर ही नहीं, गांववासियों को सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुविधाएं दी गईं हैं। 15 करोड़ रुपए की लागत से बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल, आंगनबाड़ी, ग्रामपंचायत, पीएसी, बस स्टैण्ड, शौचालय बनाया गया है।
रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मालिनवासियों को भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिजनों को आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने परिजनों को उनके नए घर की चाभी देते हुए बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने पुनर्वास के काम को सराहा। उन्होंने इस पुनर्वास के काम को ‘‘अभूतपूर्व परिवर्तन और पुनरद्धार' बताया और कहा कि आने वाले समय में इस तरह का प्रयास एक मानक साबित होगा।
किसी भी आपदा के बाद आने वाली त्रासदी दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार, प्रशासन, समाज और सभी तबके के लोग जब त्रासदी से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो उस विपत्ति का असर कम हो जाता है। मालिन गांव के साथ भी ऐसा ही हुआ।मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, महाराष्ट्र
भूकंप-रोधी तकनीक से बनाए गए 67 घर
मुख्यमंत्री ने कहा कि 12 सरकारी संगठन और विभाग, 2508 अधिकारी और कर्मचारी, 13 गैर सरकारी संगठनों के 700 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने इस गांव के सपने को साकार करने के लिए एक साथ मिलकर काम किया है। गांववालों को आगे भविष्य में इस तरह की किसी प्राकृतिक आपदा का सामना न करना पड़े, इसके लिए गांव के सभी घरों को भूकंप-रोधी तकनीक से बनाया गया है।
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